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चिट्ठी, मुख्यमंत्री के नाम


प्रति
डॉ मोहन यादव
मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश शासन,
भोपाल.
मान्यवर,
सादर वन्दे !

11 दिसंबर 2023 का दिन हमारे लिए एक ऐतिहासिक दिन बन गया, जब आपको भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया. 13 दिसम्बर को जब आपने देश की सर्वोच्च राजनीतिक शख्सियतों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो हमें सहसा महसूस हुआ कि हमारा कद भी बढ़ गया है! उक्त दोनों ही दिन हम इन तारीखी अवसरों पर अपेक्षित नहीं थे, लेकिन बीते 30-40 वर्षों के आपसी संबंधों और सरोकारों के चलते हमें लगा कि आपके कारण हम सब भी गौरवान्वित हो रहे हैं! घडियां तेजी से चलायमान हैं और उतनी ही गति से राजनीतिक घटनाक्रम भी, ऐसे में उज्जैनवासी आपकी तरफ टकटकी लगा कर देख रहे हैं. जब आप विधायक नहीं थे या तब जब कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद आपकी सीमाएं थीं, आपने अपने बूते हरचंद कोशिश की उज्जैन के फलक पर तारे जड़ने की. अब आप बहुत-कुछ करने की हिकमत अमली रखते हैं, सो हमारा ये अधिकार तो बनता है याद दिलाने का उन संकल्पों और स्वप्नों का जो आपके अपने ही द्वारा व्यक्त किए जाते रहे हैं.

आपके वादे-इरादे जिन्हें निभाने का समय आ गया है :

(1) सम्राट विक्रमादित्य के यशस्वी कार्यकाल की तरह उज्जयिनी को कम-से-कम राज्य की गौरवशाली राजधानी बनाना.

(2)  जिन आक्रांताओं के नाम से आज भी शासन स्तर पर ‘शक संवत’ प्रचलित है, उसकी जगह “विक्रम संवत” को आधिकारिक कैलेंडर घोषित करना. 

(3) महर्षि संदीपनी के युग में दी जाने वाली ज्ञान-विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति-सैन्य शिक्षा-दुर्लभ उपचार व्यवस्था और विभिन्न कौशल और तकनीकों के शिक्षण-प्रशिक्षण के अधुनातन केन्द्रों की स्थापना.   

(4)  कालगणना के लिहाज से जो अधिमान्यता ग्रीनविच की है, और जो प्रकारांतर में उज्जयिनी की थी, उसको दोबारा प्रतिष्ठित करना.

जनहित के मुद्दों पर प्राथमिकता से काम करना:

(1) सिंहस्थ महापर्व-2028 की कार्य योजना बनाने और उसको क्रियान्वित करने की चिंता करने के लिए सिंहस्थ प्राधिकरण का तुरंत और पूर्ण शक्तियों के साथ गठन करना.

(2)  नर्मदा नदी का पानी तमाम सहायक नदियों तक ठीक-ठीक ढंग से पहुंचाने और क्षिप्रा नदी को हर किस्म के प्रदूषण से दूर रखने के लिए प्राधिकारी संरचना का निर्माण.

(3) ‘विक्रम उद्योगपुरी’ में स्थानीय और आंचलिक युवाओं को रोजगार-धंधों से लगाना सुनिश्चित कर वहां एक कॉन्क्लेव आयोजित करना ताकि उद्योग-धंधों-पर्यटन-परिवहन जैसे सेक्टर को बढ़ावा दिया जा सके.

(4)  उज्जैन को केंद्र-बिंदु बनाकर कोटा-आगर, जयपुर-नागदा, उज्जैन-भोपाल, उज्जैन-इंदौर, उज्जैन-शाजापुर, उज्जैन-बदनावर मार्गों पर छः मार्ग परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाना.

(5) उज्जैन-चिंतामन गणेश-सांवेर-इंदौर के बीच अंतरराष्ट्रीय वायुयान और कार्गो सुविधाओं के लिए तत्परता से कार्य करना.

और अंत में, कुछ मिली-जुली बातें:  

(1) आपके विराट स्वरूप के दर्शन की लालसा आपके बाल सखाओं सहित मित्र मंडल-सहपाठी-सहकर्मी-हितचिंतक वगैरह सब को है.

(2)  समस्त आरोह-अवरोह के बीच आपसे परिचित नागरिक आपके प्रति उच्च प्रकार की दुआएं कर रहा है.

(3) मीडिया माध्यमों में अपनी ज़िन्दगी झोंक चुके साथी आपकी पताका को फहराने के लिए लालायित हैं.

 एडिटोरियल नोट:

जब कांग्रेस की तूती बोलती थी और 1972 में उज्जैन को पहली बार मौका मिला था अपने ही प्रतिनिधि को मुख्यमंत्री की गद्दी पर देखने का, तो हमारी उम्र गिनती में भी नहीं आती थी. साइकिल से घूमने वाले तत्कालीन शहर कांग्रेस समिति के अध्यक्ष प्रकाशचन्द्र सेठी उज्जैन उत्तर विधानसभा सीट से चुनाव जीते और सूबे के सर्वेसर्वा हुए. हमने उन्हें देखा जब हमारे पास के रहवासी क्षेत्र को ‘सेठी नगर’ का नाम देकर सहकारी गृह निर्माण समिति ने एक विस्तृत कॉलोनी का शेप दिया. हमें जब बहुत से माई-के-लाल चुनौती देते हैं, तो उदाहरण देना पड़ता है कि जिस लोटी स्कूल से हम निकले, वहीं से सेठी जी की कई पुश्तें भी पढ़-लिखकर नाम रौशन कर रही हैं, उज्जैन का.

बॉटम लाइन:

सत्ता की कुमुदिनी-कामिनी-कांछा से सतर्क रहकर आप नीर-क्षीर-विवेक से निर्णय लेना!

निरुक्त भार्गव

(उज्जैन का एक नागरिक)

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