मालवा निमाड़ में सर्वाधिक, चंबल-ग्वालियर में सबसे कम फायदे में रही भाजपा
दिनेश निगम 'त्यागी',वरिष्ठ पत्रकार
- छिंदवाड़ा छोड़, महाकौशल में भी चली आंधी
- विंध्य, बुंदेलखंड में पहले भी था पार्टी का दबदबा
भोपाल - विधानसभा के इस चुनाव में भाजपा की आंधी के सामने कांग्रेस पत्ते की तरह उड़ती दिखाई पड़ी। प्रदेश का ऐसा एक भी अंचल नहीं है, जहां भाजपा ने बढ़त नहीं बनाई। मालवा-निमाड़ अंचल में सबसे ज्यादा 66 सीटें है तो भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा भी यहां ही मिला। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण चंबल-ग्वालियर अंचल में भाजपा को ज्यादा उम्मीद थी लेकिन यहां बड़ी सफलता नहीं मिली। सिंधिया अपने खास समर्थकों की हार भी नहीं बचा सके। प्रदेश के विंध्य, बुंदेलखंड और मध्य भारत अचंल में पहले से भाजपा मजबूत थी। इस चुनाव में उसमेंं और इजाफा हुआ। कमलनाथ का छिंदवाड़ा जिला छोड़कर महाकौशल अंचल में भी भाजपा की आंधी चली। कुल मिलाकर इस चुनाव में भाजपा ने चौतरफा जीत दर्ज की।
मालवा- निमाड़ में सवाधिक 19 सीटों की बढ़त
प्रदेश के मालवा- निमाड़ अंचल में सर्वाधिक 66 विधानसभा सीटें आती हैं। पिछली बार भाजपा के पास 29 सीटें ही थीं। 2020 में दलबदल के बाद उसकी सीटें बढ़कर 33 हो गई थीं। इस बार भाजपा ने 48 सीटें जीत कर इतिहास रच दिया। इतना ही नहीं, भाजपा ने पहली बार इंदौर जिले की सभी सीटें जीत लीं। इसकी वजह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का मैदान में होना भी रहा। कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी जैसे दिग्गज चुनाव हार गए। 2018 के चुनाव की तुलना में भाजपा ने इस अंचल से 19 सीटें ज्यादा जीतीं।
चंबल- ग्वालियर अंचल में ज्यादा फायदा नहीं
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में आ गए हैं , इसलिए ग्वालियर-चंबल अंचल में भाजपा को ज्यादा फायदा मिलना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हो सका। सिंधिया के भाजपा में आने और उप चुनाव के बाद इस अंचल में भाजपा के पास 34 में से 16 सीटें थीं, इनमें दो का ही इजाफा कर भाजपा 18 सीटें जीत सकी। कांग्रेस ने पीछा करते हुए 16 सीटें जीत लीं। नरोत्तम मिश्रा और माया सिंह तक को हार का सामना करना पड़ा। अलबत्ता यदि सिंधिया को माइनस कर 2018 से तुलना की जाए तो भाजपा 11 सीटों के फायदे में रही। इस चुनाव में सिंधिया अपने समर्थकों को नहीं बचा सके। कांग्रेस छोड़कर उनके साथ 19 विधायक आए थे लेकिन अब 6 ही शेष बचे हैं।
महाकौशल में 8, मध्य में 7 सीटों की बढ़त
महाकौशल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का क्षेत्र माना जाता है। वे यहां भी अपनी पुरानी स्थिति बहाल नहीं रख सके। भाजपा के फग्गन सिंह कुलस्ते और गौरीशंकर बिसेन जैसे दिग्गज चुनाव जरूर हार गए और कमलनाथ ने अपने ग्रह जिले छिंदवाड़ा की सभी सीटें जीत लीं लेकिन भाजपा ने कांग्रेस की तुलना में 8 सीटें ज्यादा जीत लीं। कमलनाथ मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तुलना में उनकी जीत का अंतर आधा भी नहीं रहा। शिवराज सीहोर सहित प्रदेश के कई जिलों में भाजपा को एकतरफा जीत दिलाने में सफल रहे। मध्य अंचल हमेशा भाजपा का गढ़ रहा है। यहां 36 में से 31 सीटें जीतकर भाजपा ने 7 सीटोें का इजाफा किया। कांग्रेस 5 पर सिमट कर रह गई।
बुंदेलखंड, विंध्य में भाजपा का दबदबा कायम
प्रदेश के बुंदेलखंड और विंध्य अंचल में पिछले चुनाव में भी भाजपा का दबदबा था, इस बार उसने पिछली बार से भी ज्यादा सीटें जीतीं। बुंदेलखंड की 26 में से 21 सीटें जीत कर भाजपा ने कांग्रेस को धूल चटा दी। यहां गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत और जयंत मलैया जैसे दिग्गज चुनाव जीतने में सफल रहे जबकि मुकेश नायक जैसे कांग्रेस के दिग्गज चुनाव हार गए। विंध्य में भाजपा के पास पहले से 30 में से 24 सीटें थीं, इस बार उसने 25 सीटों में सफलता पाई। यहां सतना से सांसद गणेश सिंंह को हार का सामना करना पड़ा दूसरी तरफ पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने पिछली हार का बदला लेकर चुरहट से चुनाव जीत लिया।
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