बरातियों जैसे इंतजाम से खुश रहे मतदान ड्यूटी वाले कर्मचारी ••• कलेक्टर की सजगता से मतदान व्यवस्थाओं में भी इंदौर नंबर 1 बना
कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार
इंदौर। महू सहित इंदौर जिले की नौ सीटों पर मतदान कराने के लिए जिन अधिकारियों-कर्मचारियों की ड्यूटी लगी थी, उनकी देखभाल-आवश्यक सुविधाओं का इंतजाम बरातियों की तरह किया गया था। यही कारण रहा कि मतदान प्रशिक्षण से लेकर ईवीएम मशीन जमा कराने तक ये सभी कर्मचारी फेस्टिवल मूड में रहे। प्रदेश में संभवत: इंदौर ऐसा जिला भी रहा है, जहां इलेक्शन ड्यूटी में लगे हजारों कर्मचारियों को, उनके घर लौटने से पहले ही इलेक्शन ड्यूटी के मानदेय का भुगतान कर दिया गया। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने कर्मचारियों की छोटी-छोटी समस्याओं का समय से पूर्व निराकरण में जो मानवीयता दिखाई, उसका ही प्रभाव रहा कि मतदान संबंधी व्यवस्थाओं में कहीं चूक नहीं हुई। कतार में लगे मतदाता शाम 6 बजे के बाद भी मतदान कर सके और मतदान इंतजाम में भी इंदौर नंबर वन बन गया। मतदान सामग्री वितरण, बूथ पर तैनाती, पुलिस फोर्स इनमें करीब 20 हजार अधिकारी-कर्मचारी लगे थे। मतदान प्रशिक्षण के दौरान कर्मचारियों के लिए चॉकलेट, स्वल्पाहार का इंतजाम, स्टेडियम में सामग्री वितरण के दौरान चाय-नाश्ते का इंतजाम हो या टॉयलेट व्यवस्था या मतदान सामग्री लेकर बसों से रवाना हुए दल... सबके लिए चॉकलेट, बोतलबंद पानी की व्यवस्था, मतदान केंद्रों की सफाई, बिजली के साथ ही 238 सेक्टर पर मेडिकल टीम की तैनाती के साथ ही मेडिकल किट की व्यवस्था, सामग्री के बोझ से राहत के लिए स्टेडियम में दलों के लिए ई-रिक्शा की व्यवस्था कर रखी थी।
पॉलिटिकल पार्टियों से विवाद नहीं हुआ
कलेक्टर का कहना था- सभी राजनीतिक दलों को हमने पहले दिन से ही विश्वास में ले रखा था। उनके साथ खूब मीटिंग की। उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया, सारी प्रक्रिया को पारदर्शी रखने का ही नतीजा रहा कि पॉलिटिकल पार्टियों से मतदान समाप्त होने तक किसी तरह के विवाद की स्थिति नहीं बनी।
‘इंदौर जैसी पॉजिटिव एनर्जी अन्यत्र नहीं देखी’निर्विघ्न मतदान सम्पन्न होने का श्रेय कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने मतदान सम्पन्न कराने वाले हजारों कर्मचारियों, पुलिस फोर्स के साथ ही आम मतदाताओं और राजनीतिक दलों को दिया है। ‘हिन्दुस्तान मेल’ से चर्चा में कलेक्टर का कहना था- इंदौर जैसी पॉजिटिव एनर्जी मैंने अन्यत्र नहीं देखी। शहर से लेकर ग्रामीण सभी क्षेत्रों में वोटिंग के लिए खूब उत्साह था। विदेशों में बसे इंदौर के लोगों ने भी मतदान के लिए शहर आकर जागरूकता दिखाई। रात में लौट रही मतदानकर्मियों की टीम इतनी उत्साहित थी कि हर दल साथ में सेल्फी लेना चाहता था। हर कर्मचारी फेस्टिवल मूड में हैप्पीनेस था। कोविड के दौरान मैं रीवा कलेक्टर था, तब जितने फोन आए, उससे अधिक फोन कल आते रहे। सुबह से इतनी व्यस्तता रही कि ना मैं और न ही मेरे स्टेनो लंच कर पाए। सारी ईवीएम स्ट्रांग रूम में लॉक कराते आज सुबह 5.30 तो स्टेडियम में ही बज गए। पिछली बार की अपेक्षा इस बार आदर्श मतदान केंद्र भी अधिक (104) बनाए थे। इससे पहले तक स्टेडियम में मतदान प्रक्रिया शुरू होने पर खेल गतिविधियां ठप हो जाती थीं। कलेक्टर की सजगता से इस बार ये सारी गतिविधियां चलती रहीं। बैडमिंटन एसो. के खिलाड़ियों को रेसीडेंसी क्लब में तो टेटे खिलाड़ियों के लिए अभय प्रशाल में सुविधा मुहैया कराई गई।
ऐसा पहली बार हुआ :घर पहुंचने से पहले आ गया इलेक्शन ड्यूटी मानदेय का मैसेज
मतदान समाप्ति के साथ जब निर्वाचन की महत्वपूर्ण ड्यूटी समाप्त हो रही थी, उसी बीच निर्वाचन में लगे कर्मचारियों ने अपने बैंक के अकाउंट में राशि जमा होने का संदेश देखा तो उनका चौंकना स्वाभाविक था। पिछले कई चुनावों में ड्यूटी कर चुके कर्मचारियों का कहना था निर्वाचन के इतिहास में पहली बार कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. इलैया राजा टी की पहल पर मतदान के दिन ही निर्वाचन कर्मियों को उनके मानदेय का भुगतान हुआ है। इससे पहले तक मतदान समाप्त होने के कई महीनों बाद मानदेय मिलता था। यह पहली बार है कि निर्वाचन में अपनी सेवाएं देने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को मतदान दिवस पर ही मानदेय का भुगतान प्राप्त हो गया है।
मतदान संपन्न कराने में लगे थे 20 हजार अधिकारी-कर्मचारी
इंदौर जिले में मतदान महायज्ञ संपन्न कराने में करीब 20 हजार अधिकारी-कर्मचारी लगे थे। इन सबकी मुस्तैदी से जहां मतदान निर्विघ्न संपन्न हुआ, वहीं अनावश्यक तनाव को भी टाला जा सका।
करीब 10800 कर्मचारी तो मतदान ड्यूटी में ही लगे थे।
मतदान सामग्री वितरण में 2000 कर्मचारी लगे हुए थे।
स्पेशल पुलिस आॅफिसर के रूप में पूरे जिले में 3000 कोटवार, पटवारी आदि पदस्थ किए गए थे।
चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था के लिए करीब 4500 पुलिस फोर्स लगाया गया था।
बसों का इंतजाम मतदान संपन्न कराने वाले कर्मचारियों को लाने-ले जाने के लिए करीब 710 बसें अधिग्रहित की गई थीं।
इनमें से 685 बसों का उपयोग हुआ, जबकि बाकी बसें स्टैंडबाय रखी थीं। स्कूलों का कायाकल्प भी कर दिया
ग्रामीण क्षेत्रों के जिन स्कूलों में मतदान केंद्र बनाए गए थे, उनमें जिन स्कूलों की हालत जर्जर नजर आई, उनकी रंगाई-पुताई के साथ टॉयलेट की सफाई, खिड़की, छत आदि की मरम्मत भी करा दी गई।
फोटो: कलेक्टर इलैयाराजा टी