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आखिर और कब तक शिप्रा में डूबने से मरेंगे लोग ?


संदीप कुलश्रेष्ठ
              पुराणों में यह उल्लेख है कि पतित पावन शिप्रा नदी में डुबकी लगाने से लोगों के पाप कट जाते है। किन्तु इस समय जिला प्रशासन, स्मार्ट सिटी, नगर निगम, जल संसाधन विभाग, होमगार्ड आदि विभागों की घोर लापरवाही के कारण आए दिन शिप्रा में डुबने से श्रद्धालुओं की मौतें हो रही है। यह क्रम थम नहीं रहा है। पिछले दिनों एक माह के अन्दर फिर 5 लोगों की स्नान के दौरान गहरे पानी में जाने और डुबने से जान चली गई। ऐसे हादसे हर महीने शिप्रा में हो रहे हैं। जिम्मेदार लोग अपने कर्त्तव्य को भूला बैठे है और निर्दोष लोगों की जान जा रही है।
कलेक्टरों ने दौरा किया किन्तु नतीजा शून्य -
                 पूर्व कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने 11 जून 2022 को शिप्रा नदी के तट का भ्रमण किया था। उस समय स्मार्ट सिटी के सीईओ आशीष पाठक ने बताया था कि रामघाट के डेवलेपमेंट का प्लान बन चुका है। इसके टेंडर और वर्क ऑर्डर भी हो गए है। इंजीनियर और आर्किटेक्ट के माध्यम से शिप्रा की प्रोफाईल मैकिंग कराई जा रही है। किन्तु नतीजा कुछ नहीं निकला।
              इसके एक साल बाद 23 जून 2023 को 6 श्रद्धालुओं की शिप्रा में डूबने से मौतें हो जाने के बाद कलेक्टर श्री कुमार पुरूषोत्तम रामघाट और अन्य घाटों के निरीक्षण के लिए निकले। उस समय भी स्मार्ट सिटी के सीईओ से बताया कि 13 करोड़ 30 लाख रूपए के टेंडर हो गए है। किन्तु ठेकेदार ने काम शुरू नहीं किया है। उस समय कलेक्टर ने निर्देश दिए थे कि उसका टेंडर निरस्त करें और ठेकेदार को ब्लैक लिस्टैड करें। इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ।
             उक्त घटना के करीब चार माह बाद पिछले माह 5 अक्टूबर को पत्रकारों द्वारा पूछने पर फिर स्मार्ट सिटी के सीईओ से बताया कि दो बार टेंडर हो चुके हैं अब रि-टेंडर भी कर चुके है, किन्तु अभी तक कोई नहीं आया। जिम्मेदारों का इस प्रकार रटा-रटाया जवाब देना सिद्ध करता है कि वे शिप्रा के घाट के सुरक्षा के प्रति कितने लापरवाह हैं !
घाटों पर जो काम होना जरूरी है -
                शिप्रा नदी के सभी घाटों पर अत्यधिक काई और चिकनाई होने की वजह से श्रद्धालु संभल नहीं पाते हैं और नदी में डूब जाते हैं। इसलिए युद्ध स्तर पर कार्रवाई करते हुए सभी घाटों से काई और चिकनाई हटाई जाए और इसके बाद प्रति सप्ताह काई और चिकनाई हटाने की कार्रवाई की जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही हरिद्वार की तर्ज पर घाटों पर एक जैसे प्लेटफॉर्म और जंजीर लगाई जाना चाहिए, ताकि श्रद्धालु डुबने नहीं पाए और पानी का बहाव तेज होने पर जंजीर से अपनी सुरक्षा कर सके। सभी घाटों पर गहराई को लेकर सूचना बोर्ड भी लगाए जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त सभी घाटों पर लाईफ गार्ड तैनात रहे और उनकी निरन्तर पेट्रोलिंग हो। विशेषकर रामघाट पर सांउड सिस्टम ठीक किया जाना चाहिए। इसके अलावा रामघाट पर एंबुलेंस और प्राथमिक चिकित्सा का भी इंतजाम किया जाना चाहिए।
स्मार्ट सिटी को किया जाए ब्लैक लिस्टेड -
               जिस प्रकार कलेक्टर ने घाटों और रेलिंग के निर्माण में लापरवाही बरतनें पर ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड किया था उसी प्रकार स्मार्ट सिटी के सीईओ की भी घोर लापरवाही के कारण उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई करते हुए निर्माण एजेंसी स्मार्ट सिटी को ब्लैकलिस्टेड कर देना चाहिए। शिप्रा के घाटों को एक समान बनाने और रेलिंग लगाने का कार्य अब स्मार्ट सिटी से लेकर जल संसाधन विभाग , नगर निगम या अन्य किसी निर्माण एजेंसी को दिया जाना चाहिए। कलेक्टर को यह कार्य जल्द से जल्द करना चाहिए।
जिम्मेदारों के विरूद्ध हो कार्रवाई -
                  शिप्रा तट पर हर 12 साल में सिंहस्थ का आयोजन होता है। इसके अलावा वर्ष में अनेक तीज, त्यौहार और पर्व आते हैं, जिसमें देशभर से श्रद्धालु नदी में स्नान के लिए आते है। हजारों की तादाद में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इंतजाम कुछ नहीं है और शिप्रा में डुबने से लगातार मौतें हो रही है। इसलिए जिम्मेदारों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्हें श्रद्धालुओं की मौतों के लिए सीधा जिम्मेदार माना जाना चाहिए, तभी उनकी नींद खुलेगी और वे जागेंगे तथा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ठोस कार्य करेंगे।
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