पहले आप पहले आप
चुनावी चटखारे
कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार
इंदौर-महू की कुल 9 में से बस तीन क्षेत्रों के नाम दोनों दलों ने होल्ड कर रखे हैं।भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में पहले आप-पहले आप वाले लखनवी अंदाज वाली स्थिति बनी हुई है।
कांग्रेस ने चार नंबर से राजा मांधवानी को प्रत्याशी घोषित कर सिंधी समाज को साधने की चाल चली है किंतु अंदरखाने जो चर्चा है वह यह कि मांधवानी का नाम फायनल करा के पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने दिग्विजय सिंह के मंसूबों फुस्सी बम बनादिया है क्योंकि यहां से वे अक्षय कांति बम को टिकट देने की पैरवी कर रहे थे।यह बात अलग है कि अब अक्षय बड़नगर से टिकट की जोड़तोड़ में लग गए हैं।
जिले के विधानसभा क्षेत्र तीन में कांग्रेस दीपक (पिंटू) जोशी को या अरविंद बागड़ी का नाम घोषित करेगी यह दूसरी लिस्ट में साफ हो जाएगा। भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय के स्थान पर यहां से पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन के पुत्र या बहू को, प्राधिकरण उपाध्यक्ष गोलू शुक्ला को, विधायक उषा ठाकुर में से किस के नाम को मंजूरी मिलेगी यह दिल्ली में हो रही भाजपा केंद्रीय समिति की बैठक में 94 नामों पर चर्चा में तय हो सकता है।
क्षेत्र क्रमांक पांच में भाजपा प्रत्याशियों में गौरव रणदिवे, प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चांवड़ा, नानूराम कुमावत के नाम में से सहमति नहीं बनती है तो बहुत संभव है कि यहां से विधायक महेंद्र हार्डिया को फिर से मैदान में उतार दिया जाए।कांग्रेस से सत्य नारायण पटेल और डॉ स्वप्निल कोठारी ये दोनों सक्रिय हैं और दोनों की प्रियंका गांधी तक सीधी पहुंच है।कमलनाथ का सॉफ्ट कार्नर डॉ कोठारी के प्रति है जबकि सत्तू पटेल के लिए दिग्विजय सिंह पैरवी कर रहे हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में प्रभावी भूमिका भी उनका प्लस पॉइंट है, विधायक जीतू पटवारी भी उनके पक्ष में हैं।एक दिन के शहर कांग्रेस अध्यक्ष रहे अरविंद बागड़ी वैश्य समाज प्रतिनिधि के रूप में तीन नंबर या पांच नंबर से दावेदारी कर रहे हैं। तीन नंबर में दीपक जोशी का नाम फायनल होने पर उन्होंने विकल्प के रूप में पांच नंबर का हल सुझाया है।
महू से भाजपा यदि राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार को विधानसभा चुनाव लड़ाती है तो उषा ठाकुर को लिए तीन नंबर या धार भेजा जा सकता है।यदि भाजपा नेतृत्व युवा आयोग अध्यक्ष डॉ निशांत खरे के नाम पर सहमत होता है तो यह शिवराज खेमे का टिकट होगा। महू से कांग्रेस किसे प्रत्याशी बनाएगी यह चर्चा इसलिए भी कि टिकट मिलने के वादे पर भाजपा से वापस कांग्रेस में आए राम किशोर शुक्ला के नाम पर कुछ दिनों पहले तक जो आम सहमति थी वह तीन, पांच और महू में एकाधिक दावेदार होने से अब वो स्थिति नहीं है। शुक्ला के साथ मेंप्लस पॉइंट यही है कि वे स्थानीय हैं-इस काट के चलते यदि भाजपा कविता पाटीदार का नाम फायनल करती है तो शुक्ला के लिए जीत की राह आसान नहीं होगी।महिला प्रत्याशी होने का लाभ पाटीदार को जरूर मिल सकता है किंतु कार्यकर्ताओं के इस असंतोष को कैसे दबाएगी कि पहले लंबे समय पिता (भेरुलाल) और अब पुत्री से आगे बाकी कार्यकर्ताओं पर पार्टी की नजर क्यों नहीं जाती।पार्टी के ऐसे निर्णय के खिलाफ हिंदूवादी नेता राधेश्याम यादव तो सोशल मीडिया पर भड़ास भी निकाल चुके हैं।
इंदौर जिले की इन तीन सीटों पर दोनों दलों में बढ़ी उलझन यह भी साबित कर रही है कि यहां जीत के लिए भी दोनों दलों को पसीना बहाना पड़ेगा।अभी इन तीनों सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
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