घोषणा को हाथी के दांत साबित करता प्रशासनिक अमला
चुनावी चटखारे
कीर्ति राणा ,वरिष्ठ पत्रकार
महीनों पहले प्रदेश की अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा मुख्यमंत्री ने धूमधड़ाके से की थी। इस घोषणा पर ही उनका कई शहरों में अभिनंदन भी हो गया।सैंकड़ों अवैध कॉलोनियों के साथ ही वैध से अवैध हुई तुलसी नगर के रहवासी भी सपने देख रहे थे कि कॉलोनी वैध हो ही रही है, फिर बैंकों से लोन भी मिल जाएगा, नगर निगम से नक्शे पास हो ही जाएंगे और अपने घर का सपना पूरा हो जाएगा तो दीवाली पर नवनिर्मित घर में गृह प्रवेश भी कर लेंगे।
अब जो हकीकत सामने आ रही है उससे कॉलोनियों के वैध होने का सपना देख रहे हजारों-हजार परिवारों के मुगालते दूर हो गए हैं। अकेले इंदौर की ही 600 से अधिक अवैध कॉलोनियों में से पहले चरण में 100 कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा होने के बाद इस सूची में तुलसी नगर रहवासियों के दबाव पर इस कॉलोनी को भी वैध वाली 101 कॉलोनियों की सूची में जोड़ लिया था।अब 25 जनवरी को जबलपुर में होने वाले सरकारी इवेंट में मुख्यमंत्री जिन कॉलोनियों को वैध का दर्जा देने संबंधी घोषणा करने वाले हैं उस सूची में इंदौर की मात्र 20 कॉलोनियां ही शामिल हैं इस सूची में तुलसी नगर का नाम नहीं है।
मुख्यमंत्री की महीनों पूर्व अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया सम्पन्न करने में सरकारी विभागों की कछुआ चाल ने ‘हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और’ साबित तो किया ही है, कांग्रेस को घोषणावीर जैसे आरोप लगाने का भी मौका दे दिया है।
इंदौर के महापौर तो दावा करते हैं कि मेरे स्तर पर नगर निगम ने आवश्यक कार्रवाई समय से पहले पूरी कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन महीनों बाद भी जिला प्रशासन से सीलिंग की अनुमति नहीं मिल पाने पर असमर्थता जाहिर करने के साथ झिझकते हुए यह कहने में संकोच नहीं करते कि लगता नहीं कि उस 20 वाली सूची में तुलसी नगर को शामिल किया जा सकेगा, जिला प्रशासन से बात भी हुई है कम से कम 8-15 दिन तो सीलिंग की अनुमति के साथ बाकी औपचारिकता पूरी करने में लग ही जाएंगे। महापौर का कहना है तुलसी नगर में 15 प्रतिशत प्लॉट निर्विवाद हैं या 70 प्रतिशत जब तक सीलिंग की यह क्लियर रिपोर्ट जिला प्रशासन से नहीं मिलती तब तक मैं भी असहाय हूं।मेरे लेबल पर कोई ढिलाई नहीं है।
तुलसी नगर को वैध करने संबंधी दस्तावेजों के लिए एक से दूसरे विभाग में फुटबॉल की तरह टप्पे खाते-खाते हताश हो चुके पदाधिकारियों की परेशानी यह भी है कि हजारों रहवासी परिवारों का उनके प्रयासों से विश्वास उठने के साथ ही बढ़ता असंतोष सितंबर के पहले सप्ताह से ‘वैध नहीं तो वोट नहीं’ का माहौल भी बना रहा है।वैध से अवैध और अब वैध होने की वह सारी विभागीय प्रक्रिया के लिए महीनों से इस कॉलोनी के पदाधिकारी जितना भटके हैं उतना लोड अन्य अवैध कॉलोनियों के रहवासियों ने भी नहीं लिया है।
मुख्यमंत्री ने सैकड़ों अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा के साथ ही भरोसा कर लिया था कि संबंधित जिला प्रशासन तमाम प्रक्रिया पूरी कर लेंगे ताकि इन अवैध कॉलोनियों में रह रहे लाखों परिवार वाले वोट बैंक को विधानसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में भुनाया जा सकेगा।अवैध कॉलोनियों को वैध करने वाली खिचड़ी कितनी पकी है यह तुलसी नगर वाला चांवल का दाना दबाने पर पता चल रहा है कि घोषणा बीरबल की खिचड़ी साबित हो रही है।
सरकार की यह घोषणा हाथी के दांत दिखाने वाली साबित इसीलिये हो रही है कि संबंधित जिलों के प्रशासनिक अमले ने विभिन्न विभागों की आवश्यक एनओसी जुटाने में तत्परता नहीं दिखाई।इंदौर की तुलसी नगर कॉलोनी का तो यह दुर्भाग्य ही रहा कि तत्कालीन संभागायुक्त संजय दुबे ने इसे अवैध घोषित करने की फाइल सरकार को बढ़ाने में जो दिलचस्पी दिखाई तो बाद के किसी अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने इस लक्ष्मण रेखा को लांघने का साहस नहीं दिखाया।
निगम कमिश्नर रहे मनीष सिंह पदाधिकारियों से जिला प्रशासन स्तर पर आ रही समस्याएं बताते रहे।जब वे ही कलेक्टर बन गए तो लगा था कि बस अब तो वैध संबंधी आदेश जारी हो ही जाएगा लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं।कलेक्टर की हैसियत से तुलसी नगर को लेकर उन्होंने जो टीप लिख दी है तो अब के कलेक्टर, निगम कमिश्रनर से लेकर सहकारिता विभाग, नजूल और टॉउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अधिकारियों की हिम्मत नहीं हो रही है कि फटे में पैर कैसे डालें।
इस क्षेत्र के विधायक महेंद्र हार्डिया ने खूब प्रयास किए लेकिन महापौर की तरह अन्य जनप्रतिनिधि भी अब तक इतना साहस नहीं जुटा पाए हैं कि मुख्यमंत्री और पार्टी को फिर से सत्ता में लाने की रणनीति में भिड़े सलाहकारों को बता सकें कि आचार संहिता लगने से पहले इन तमाम कॉलोनियों को वैध नहीं करने पर चुनाव में विपरीत हालात भी बन सकते हैं।
सत्ता पक्ष निश्चिंत है तो उसकी एक बड़ी वजह यह भी हो सकती है कि इन अवैध कॉलोनियों के रहवासियों की परेशानी को विपक्ष ने अब तक समझा ही नहीं है, जबकि हकीकत यह भी है कि प्रदेश में अवैध कॉलोनियां अर्जुन सिंह और दिग्विजय सरकार के वक्त से फलफूल रही हैं।
अकेले इंदौर में ही 800 से अधिक अवैध कॉलोनियां हैं, जिन्हें वैध करने की प्रक्रिया तो 2018 से शुरु हो गई थी। इनमें से 315 कॉलोनियां विभिन्न आपत्ति के चलते बाहर कर दी गई थीं।इनमें से पहले चरण में 100 को वैध करने की घोषणा मई में भोपाल सम्मेलन में की गई थी।इसी सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने दिसंबर 22 तक की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा कर दी थी।2016 तक प्रदेश में 6077 कॉलोनियां थी जिसमें दिसंबर 22 तक की करीब 2500 अवैध कॉलोनियां शामिल किए जाने से संख्या बढ़कर 8500 से अधिक हो गई हैं।इनमें से विधिवत कितनी वैध की गई हैं यह तो जबलपुर में मुख्यमंत्री की घोषणा से ही साफ होगा किंतु यह तय है कि इसमें तुलसी नगर का नाम नहीं होगा।
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