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अब छात्रवृत्ति में भेदभाव से भड़के हुए हैं माई के लाल


चुनावी चटखारे

कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार

••• चर्चित हो रहा है नारा अल्पसंख्यकों को छात्रवृति और ब्राह्मणों को दुलत्ती 

मध्य प्रदेश सरकार के पीछे “माई के लाल” शब्द हाथ धोकर पड़ा हुआ है।2018 के विधानसभा चुनाव में डेढ़ साल पहले अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के कर्मचारी-अधिकारियों के सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने सीना ठोंक कर कहा था आरक्षण को कोई भी माई का लाल खत्म नहीं कर सकता, आरक्षण जारी रहेगा, प्रमोशन में भी सरकार आरक्षण देगी, संविदा भर्तियों में भी आरक्षण दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री के इस दावे से लाल-पीले हुए सवर्ण समाज वाले माई के लालों ने भाजपा के इस लाल को भूतपूर्व कर दिया था। बड़ा कारण यह कि सवर्ण वर्ग तब से लेकर अब तक जाति की अपेक्षा आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत कर रहा है।करणी सेना तब से ही अपनी 21 सूत्री मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन-रैली के जरिये सरकार पर दबाव बना रही है। 

दूध की जली भाजपा इस बार छाछ भी फूंक फूंक कर तो पी रही है लेकिन ब्राह्मण, राजपूत सहित सवर्ण समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्गों का पारा इस बार भी चढ़ा हुआ है।इंदौर से ब्राह्मण समाज के छात्रों को स्कॉलरशिप की सुविधा देने की जो चिंगारी भड़की उसकी लपटें पूरे प्रदेश में नजर आने लगी हैं।गरीब ब्राह्मण विद्यार्थियों को सरकार से छात्रवृत्ति दिलाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को और प्रभावी बनाने के लिए सर्व ब्राह्मण समाज की बैठकों का दौर चल रहा है।इंदौर, उज्जैन, गुना, शिवपुरी, अशोक नगर, खंडवा, खरगोन बुरहानपुर, धार झाबुआ आलीराजपुर सहित 24 जिलों की चालीस तहसीलों में ज्ञापन दिए जा चुके हैं, बड़े शहरों में रैलियां निकल रही हैं।ऐसा नहीं कि सरकार को जानकारी नहीं हो,आंदोलन के और जोर पकड़ने के बाद सरकार ऐसा रास्ता निकालेगी ही कि सवर्ण समाज के वोट बैंक को भी भुनाया जा सके। 
सर्व ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष हैं राष्ट्रकवि सत्यनारायण सत्तन और कार्यवाहक अध्यक्ष सुरेंद्र चतुर्वेदी (उज्जैन) हैं। समाज के प्रदेश सचिव-ब्राह्मण छात्रवृति आंदोलन के संयोजक विकास अवस्थी का कहना है मध्यप्रदेश में सामान्य वर्ग के एक करोड़ से अधिक छात्र हैं, किसी को छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है।मुलाकात के लिए दो बार मुख्यमंत्री से समय मांगा था, बाकी समाजों को भोपाल आमंत्रित कर उनके सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं, हमारे लिए समय नहीं है।आंदोलन का निर्णायक कदम तय करने के लिए प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक इसी माह करेंगे और मुख्यमंत्री भवन पर धरने का निर्णय ले सकते हैं। 
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