*छात्रों को तनावमुक्त रखने के सार्थक प्रयास*
संदीप कुलश्रेष्ठ
छात्रों को तनावमुक्त रखने के लिए और आत्महत्या के बढ़ते प्रकरणों को रोकने के बीच एक अच्छी खबर आई है। आईआईटी दिल्ली और मद्रास ने छात्रों की आत्महत्या को रोकने के लिए हाल ही में अहम फैसलें लिए हैं। इन फैसलों में अनेक प्रमुख फैसलें हैं। छात्रों को अपने माता-पिता से सप्ताह में कम से कम दो बार बात करनी होगी। इसके साथ ही छात्रों को तनाव से बचाने के लिए मिड टर्म एक्जाम का एक सेट ही समाप्त कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त और भी प्रयास किए गए है, जिससे छात्र तनावमुक्त हो और आत्महत्या करने से बच सके।
आईआईटी दिल्ली ने परीक्षा कैलेन्डर बदला -
आईआईटी दिल्ली ने अपने परिसर में ओपन हाउस संवाद शुरू किया है। इसके साथ ही छात्रों के लंच और डीनर पर फैकल्टी भी छात्रों से मिलेंगे और उनको तनावमुक्त रखने में मदद करेंगे। इस समय फैकल्टी छात्रों की समस्या को समझेंगे। इसके साथ ही आईआईटी दिल्ली ने यह माना कि उनके एक्जाम का कैलेन्डर काफी व्यस्त है, ऐसी हालत में कुछ परीक्षा को उन्होंने ड्रॉप करने का निर्णय लिया है। छात्रों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए शिक्षकों को छात्रों का संरक्षक बनाया जायेगा। ये क्लास के बाद छात्रों को मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए समझाईश भी देंगे। इसके साथ ही छात्राओं के छात्रावासों की भी सतत समीक्षा की जायेगी। काउंसलर्स छात्रों के साथ चर्चा करेंगे और किसी छात्र के व्यवहार में यदि वे असामान्य परिवर्तन महसूस करेंगे तो उसकी सूचना उन्हें प्रबंधकों को भी देने की अनिवार्यता दी गई है।
आईआईटी मद्रास ने मनोवैज्ञानिकों की टीम बनाई -
आईआईटी मद्रास ने छात्रों के चेहरे की पहचान करने का एक एप शुरू किया है। इससे उनकी उपस्थिति भी दर्ज होगी। यदि कोई छात्र कॉलेज या मेस में 2 दिन तक नहीं आयेगा तो प्रबंधक और वार्डन को इसका संदेश भी भेजा जायेगा, ताकि वे छात्रों से सम्पर्क कर सके और छात्र के नहीं आने के कारणों को समझ सके। इसके साथ ही शिक्षक छात्रों की पढ़ाई को लेकर आ रही समस्या का भी निराकरण करेंगे। आईआईटी मद्रास ने अपने परिसर में मनोवैज्ञानिकों की एक टीम भी बनाई है। यह टीम आकस्मिक रूप से छात्रों के साथ संवाद करेगी। और उनमें मनोवैज्ञानिक रूप से हो रहे परिवर्तनों को देखकर उसे समझाईश देगी। आईआईटी मद्रास ने अपने परिसर में शिकायतों के समयबद्ध निराकरण करने की भी व्यवस्था शुरू की है। इसके साथ ही जातिगत भेदभाव के विरूद्ध कठोर नीति भी बनाई गई है। छात्रों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्तियों की पहचान के लिए शिक्षकों के लिए भी विशेष प्रशिक्षण शुरू किए जा रहे हैं, ताकि वे छात्रों की बदलती हुई मानसिक स्थिति को पहचान सके और समय रहते उन्हें तनाव से मुक्त कर सके।
39 छात्रों ने की आत्महत्या -
केन्द्र सरकार की एक जानकारी के अनुसार सन् 2018 से 2023 तक विभिन्न आईआईटी के 39 छात्रों ने आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली है। इस कारण आईआईटी प्रबंधन को अपने परिसर में विशेष प्रयास करने के लिए बाध्य किया।
कोटा ने की अभिनव पहल -
राजस्थान का कोटा शिक्षा का हब बन गया है। देशभर के लाखों छात्र यहाँ इंजीनियरिंग और मेडिकल की उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कोंचिंग के लिए आते है। यहाँ के समस्त होस्टलों और पेईंगगेस्ट के आवासों में लगाए गए पंखों में बदलाव कर स्प्रींग लोडेड पंखे लगाए गए है। इससे होगा यह कि यदि कोई छात्र तनावग्रस्त होकर पंखे से लटककर अपनी जान देना चाहेगा तो ये पंखे नीचे आ जायेंगे और छात्रों के पैर जमीन से टीक जायेंगे। इससे वे आत्महत्या से बच सकेंगे।
माता-पिता की जिम्मेदारी -
माता-पिता को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों पर अपनी पसंद नहीं थोपे। हायर सेकेंडरी के बाद बच्चों को उनकी पसंद के विषय में ही प्रवेश दिलावे। इससे होगा यह कि रूचि के विषय को पढ़ने से छात्रों को आनन्द आयेगा और वे तनावग्रस्त नहीं होने पायेंगे। अत्यधिक तनावग्रसत होने पर ही छात्र आत्महत्या की ओर अग्रसर होते है। पसंद के विषय का अध्ययन करने पर छात्र तनावग्रसत नहीं होंगे और वे आत्महत्या के बारे में नहीं सोचेंगे।
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