प्रशासन में शिवराज के पंच प्यारे...
ना काहू से बैर
राघवेंद्र सिंह,वरिष्ठ पत्रकार
भोपाल - मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चौथी पारी में पंच प्यारों का जलवा रहा है। खास बात यह है कि ये राजनीतिक नही बल्कि प्रशासनिक हल्के से जुड़े हुए हैं। इन पंच प्यारों में तीन बदलते रहें लेकिन दो स्थाई रूप से हर दौर में उनके साथ मौजूद रहे हैं। इनमें चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैंस और आईएएस अधिकारी नीरज वशिष्ठ शामिल हैं। पीएस सीएम सचिवालय से लेकर मुख्यसचिव और फिर सेवा वृद्धि तक का सफर साबित करता है कि किसी का इकबाल बुलंद रहा हो या नहीं लेकिन अनेक उतार-चढ़ाव के बावजूद इकबाल सिंह बैंस का इकबाल शिव सरकार में बुलंद रहा है। इस फेहरिस्त में दो मनीष भी जुड़ गए हैं। दोनो ही सीएम के निर्देश पर अमल करने के साथ उन्हें बलाओं से बचाने में पारंगत हैं। जब से सीएम सचिवालय के प्रमुख सचिव की कमान मनीष रस्तोगी के पास आई है विवादों भरे निर्णयों से मुख्यमंत्री को बचाने के काम में खासी कामयाबी मिली है। सीएम के रूप में शिवराज सिंह पिछले तीन कार्यकालों की तुलना में गड़बड़ी और घोटालों के मामलों में उलझे नही है। इसमे मनीष रस्तोगी की कठोर कार्यशैली साथ सीएम के विश्वसनीय अधिकारी नीरज वशिष्ठ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है। सीएम के हित -अहित पर वशिष्ठ की पैनी नजर और साफगोई उन्हें पिछले बीस वर्षों से सीएम की आंख,कान और नाक बनाए हुए है।
रस्तोगी के बाद दूसरे मनीष के रूप में इंदौर नगर निगम से लेकर इंदौर कलेक्टर और फिर औद्योगिक निवेश के मामले में "टेस्टेड ओके" के बाद जनसम्पर्क आयुक्त के कठिन काम को अंजाम देने में लगे हैं मनीष सिंह। चुनावी साल में जनसम्पर्क का काम हमेशा की भांति कांटों भरा ताज होता है। कुछ महीनों में ही समय सीमा में तेज रफ्तार और पूरी कमांड के साथ काम करने के लिए मशहूर मनीष सिंह ने जल्दी ही इस मिशन जनसम्पर्क में भी सीएम का दिल जीत लिया। बहुत काइयां और घुटे हुए लोग जानते हैं कि जनसम्पर्क विभाग और मीडिया को संभालना मेंढकों को तोलने जैसा दुष्कर कार्य है। बदले हुए हालात में तो यह और भी कठिन है। फिर जनसम्पर्क की अपनी एक डर्टी पॉलिटिक्स और अलग दुनिया है। उसमें काम करना मुश्किल भले ही न लगे लेकिन आसान भी नही है। मगर भोपाल नगर निगम को अपने तीखे तेवर से ठीक ठाक करने वाले मनीष सिंह ने अपना जलवा जारी रखा है। इसमे खास बात यह भी है कि भोपाल में मेट्रो रेल को चुनाव के पहले चलाने का चुनौतीपूर्ण कार्य भी मनीष सिंह संभाले हुए हैं। भोपाल मेट्रो के मुखिया के तौर पर वे अतिरिक्त जिम्मेदारी निभा रहे हैं। मेट्रो को लेकर एक चुनौती पूर्ण टास्क उनके जिम्मे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया है। दरअसल चुनाव के पहले सीएम चाहते हैं कि भोपाल में मेट्रो ट्रेन का शुभारंभ हो जाए। दिनरात काम हो रहा है और यदि यह सम्भव हुआ तो इसे अलाउद्दीन के चिराग के माफिक किसी चमत्कार से कम नही माना जाएगा। मनीष सिंह की कार्यशैली की चर्चा कांग्रेस केम्प में भी खूब होती है। भोपाल के एमएसीटी कॉलेज आज के एमएनआईटी से इंजीनियरिंग करने वाले मनीष के पिता मोती सिंह भोपाल के कलेक्टर रहे हैं।
सीएम के पंच प्यारे में आते हैं आईपीएस आशुतोष प्रताप सिंह। कहने को आशुतोष आईपीएस हैं लेकिन मीडिया के मामले में उनकी धमक और पकड़ भोपाल से दिल्ली तक खूब है। डीयू से पढ़े आशुतोष के नेशनल मीडिया में अच्छे रिश्ते मामा शिवराज सिंह चौहान को अवसर आने पर एक कदम आगे रखते हैं। यही वजह है कि अपने तीसरे कार्यकाल में सीएम ने संचालक जनसंपर्क का जिम्मा दिया था। प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी आईपीएस अफसर को यह दायित्व दिया गया था। कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद जब शिवराज सिंह पुनः सीएम बने तो आशुतोष फिर संचालक जनसम्पर्क बन गए। कुल मिलाकर राजनीति में रणनीतिक शिव के गणों के बाद प्रशासनिक प्यारों ने अफसरशाही हावी है जैसे अनेक आरोप और राजनीतिक राजी नाराजी झेली हो लेकिन वे सीएम को सीधे तौर पर किसी जंजाल में उलझने से बचाने में सफल दिख रहे हैं। हालांकि कई बार ये अधिकारी गण राजनीतिक तौर पर नाजुक मुद्दों को लेकर ऐसे अप्रिय फैसले भी करा देते हैं जो सीएम शिवराज सिंह के स्वभाव और उनके वादों के विपरीत भी होते हैं। जिनका चुनाव के वक्त खामियाजा भी भुगतना पड़ता है। इसके लिए एक चतुर सुजान राजनीतिक समझ वाले सहायक की कमी जरूर खलती रही है। क्योंकि चुनाव के समय किए वादों की पूर्ति न होने पर नुकसान नेता और पार्टी को ही उठाना पड़ता है।
प्रियंका पर एफआईआर की भरमार
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी पर मध्यप्रदेश में 41 एफआईआर दर्ज करा दी गई है। वजह है भ्रष्टाचार के कथित झूठे आरोपों के कारण भाजपा संगठन और सरकार से जुड़े लोगों ने राज्य भर में प्रियंका के खिलाफ थानों में शिकायत दर्ज करना शुरू कर दी है। पुलिस शिकायत की जांच करेगी। इसके बाद मुकदमे दर्ज होने का सिलसिला भी शुरू होगा। राहुल गांधी के इस कथन के बाद के सारे मोदी चोर क्यों होते हैं कांग्रेस बयान बाजी में भले ही आक्रामक हो लेकिन अदालती मुद्दे पर वह डिफेंसिव नजर आई सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद राहुल बाबा की सांसदी वापस आई है। इसके बाद भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में प्रियंका के खिलाफ पुलिस में शिकायत इस बात का संकेत देती है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के नेता अगर थोड़ा भी गैर जिम्मेदारी से बयान देंगे यह आरोप लगाएंगे तो उनके खिलाफ जिन जिन राज्यों में भाजपा की सरकार हैं वहां कानूनी कार्रवाई बड़े पैमाने पर की जाएगी। आरोप प्रत्यारोप को लेकर राजनीति में यह एक नए किस्म का ट्रेंड डेवलप हो रहा है। देखते हैं कांग्रेस पर आरोप लगाने वाले भाजपा नेताओं पर कांग्रेस नेतृत्व क्या रणनीति अपनाते हैं।
मप्र में मोदी के मन की बात पर 100 घण्टे की मैराथन चर्चा...
मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात के 100 एपिसोड पूरे होने पर 100 घंटे की मैराथन चर्चा का कार्यक्रम तय हुआ है खास बात यह है कि इस चर्चा पर गिनीज बुक भी नजर रखेगी। भोपाल के के रविंद्र भवन में 23 अगस्त से 27 अगस्त तक 100 घंटे "मन की बात" की भूमिका पर विषय के विशेषज्ञ और सामाजिक सरोकारों से जुड़े जानकार लोग चर्चा करने जा रहे हैं। मोदी की मन की बात पर टास्क इंटरनेशनल नामक संस्था यह कार्यक्रम आयोजित कर रही है। इसमें आम जनता के साथ चुनिंदा युवाओं की भी भागीदारी होगी। सबसे खास बात यह है कि 100 घंटे की बातचीत में हर घंटे श्रोता और सवाल करने वाले नए लोग होंगे । संस्था के संयोजक राघवेंद्र शर्मा का कहना है कि देश भर में यह अपने तरह का एक अनूठा आयोजन है।स्वाधीनता के अमृत काल मे स्वर्णिम भारत निर्माण के उद्देश्य से यह पहला कार्यक्रम है। सम्भावित रिकार्ड के लिए गिनीज बुक आफ वर्ल्ड इस चर्चा को पंजीकृत भी कर लिया है। सौ घण्टे की चर्चा के सफल होने पर यह किसी नेता की रेडियो टॉक के रूप में दुनिया भर में अलग किस्म का रिकार्ड होगा।