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बघेली कहावतों के पीछे का खेल..?


अरुण दीक्षित,वरिष्ठ पत्रकार
                      बड़े दिनों बाद मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के चर्चित नेता स्वर्गीय अर्जुन सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं।इस चर्चा के साथ यह सवाल भी उठा है कि क्या उनके परिवार के भीतर की राजनीति एक बार फिर बाहर आयेगी! चर्चा होने और सवाल उठने की वजह है उनकी बेटी वीणा सिंह का विधानसभा चुनाव से पहले  अचानक सक्रिय होना और अपनी इस सक्रियता में प्रदेश कांग्रेस को शामिल करना! वीणा सिंह गुरुवार (10.08.23) को मीडिया के सामने आईं।उनके साथ उनके रिश्ते के मामा,पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह भी थे।उनके इस कार्यक्रम का न्यौता प्रदेश कांग्रेस ने बांटा था।
 वीणा सिंह ने मीडिया को बताया कि उन्होंने अपने पिता के नाम पर अर्जुन सिंह सद्भावना फाउंडेशन स्थापित किया है।इस फाउंडेशन की मुख्य ट्रस्टी पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहसिना किदवई हैं।कांग्रेस नेता कमलनाथ,दिग्विजय सिंह,विवेक तंखा,राजेंद्र कुमार सिंह और सैम वर्मा के साथ वे खुद ट्रस्टी हैं। वीणा सिंह के मुताबिक उनकी माता सरोज कुमारी सिंह अक्सर बघेली कहावतें और मुहावरे सुनाती रहती थीं।इन सबका उन्होंने संकलन किया है।फाउंडेशन की ओर से इनको एक किताब के रूप में प्रकाशित कराया गया है।
                     मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 12 अगस्त 23 को भोपाल में इस किताब का विमोचन करेंगे!मीडिया से बात करते हुए वीणा सिंह ने बड़ी शिद्दत से अपनी मां से जुड़े किस्से सुनाए!उनकी खूबियां बतायीं।चूंकि वीणा सिंह अपने परिवार को लेकर पहली  बार मीडिया से मुखातिब हुई थीं इसलिए ढेर सारी बातें भी हुईं।जब परिवार की बातें हुईं तो उनके भाइयों का भी जिक्र आया।एक भाई तो राज्य से बाहर बसे हैं इसलिए उनका जिक्र तो ज्यादा नहीं हुआ लेकिन दूसरे भाई के बारे में पत्रकारों ने पूछ ही लिया। दरअसल किताब के विमोचन का जो कार्ड छपा है उस पर ट्रस्टियों के तो नाम हैं लेकिन अर्जुन सिंह के दोनों बेटों के नाम नही हैं।उनके बड़े बेटे तो कर्नाटक में बसे हुए हैं।जबकि छोटे बेटे अजय सिंह राहुल भोपाल में ही रहते हैं।अर्जुन सिंह की राजनीतिक विरासत वही संभालते हैं।राहुल प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं।विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे हैं।दुर्भाग्य से वे पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे।लेकिन वे राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हैं।इन दिनों अपने इलाके चुरहट में चुनावी तैयारी में जुटे हुए हैं।
 प्रेस कांग्रेस में राहुल की गैर मौजूदगी पर मीडिया कर्मियों ने सवाल भी उठाया। वीणा सिंह ने यह कह कर सवाल टाल दिया कि वे कहीं व्यस्त थे इसलिए आ नही पाए।फाउंडेशन में वीणा के भाइयों के नाम न होने की बात भी उठी और दब गई।
                        उधर इस प्रेस कांफ्रेंस के साथ ही अर्जुन सिंह के परिवार को लेकर फिर से चर्चा शुरू हो गई है।पारिवारिक सूत्रों का कहना है कि वीणा सिंह ने अपने भाइयों को इस कार्यक्रम में शामिल ही नही किया है।इसलिए उन्हें औपचारिक निमंत्रण भी नही भेजा गया है।जबकि दशकों तक अर्जुन सिंह के राजनीतिक सचिव रहे युनुस मोहम्मद को आमंत्रित किया गया।इस कार्यक्रम के उत्तरापेक्षी अर्जुन सिंह जी के दूसरे निजी सहायक भट्ट हैं।उन्होंने खुद युनुस के घर जाकर कार्यक्रम का निमंत्रण दिया।  अर्जुन सिंह जी के पुराने निवास स्थान सी 19 शिवाजी नगर पर निमंत्रण पत्र पहुंचने की पुष्टि ही नही हो पाई।
 इस कार्यक्रम की चर्चा की मुख्य वजह है अर्जुन सिंह की संतानों में आपसी मन मुटाव!जिसके बारे में सब जानते हैं।कुछ साल पहले ही श्रीमती सरोज सिंह ने अपने छोटे बेटे अजय सिंह के खिलाफ भोपाल की अदालत में केरवा स्थित कोठी को लेकर मुकदमा दायर किया था।तब वीणा सिंह अपनी मां के साथ खड़ी थीं।सरोज सिंह अपना बयान दर्ज कराने अदालत भी गई थीं।उस समय एनआरआई सैम वर्मा भी उनके साथ थे।वह मुकदमा काफी चर्चा में रहा था!
                   बाद में श्रीमती सरोज सिंह के निधन के बाद वह मुकदमा अपने आप खत्म हो गया था।लेकिन उसका असर अजय सिंह पर साफ दिखाई दिया था।वे चुरहट से विधानसभा चुनाव हार गए थे।तब यह कहा गया था कि मां के आरोपों ने इस हार में अहम भूमिका निभाई है।15 मई 2019 को सरोज सिंह का निधन हुआ था।उस समय वे अपनी बेटी वीणा सिंह के ही पास दिल्ली में थीं। अब विधानसभा चुनाव के तीन महीने पहले वीणा सिंह के भोपाल आकर ,अपनी मां के मुंह से सुनी कहावतों की पुस्तक का विमोचन कराने ने, एक बार सबको चौंका दिया है। पता चला है कि वीणा सिंह चाहती तो यह थीं कि इस किताब का विमोचन प्रदेश कांग्रेस कमेटी अपने स्तर पर करवाए।लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। हां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ किताब का विमोचन अवश्य करेंगे! अर्जुन सिंह के परिवार को करीब से जानने वाले लोगों का मानना है कि कहावतों की किताब खुद एक कहावत का किरदार बनती नजर आ रही है।उनका मानना है कांग्रेस के ही कुछ नेता बहन के जरिए भाई को घेरने का खेल खेल रहे हैं।इनका कहना है कि प्रदेश कांग्रेस में अजय सिंह को हाशिए पर धकेलने की कोशिश लंबे समय से चल रही है। 2018 के विधानसभा चुनाव में उनकी हार के साथ कोशिश कामयाब हो गई थी। हार के बाद भी अजय सिंह निशाने पर रहे।पिछले दिनों बनी कांग्रेस की चुनावी कमेटियों में शामिल नाम इसे प्रमाणित कर रहे हैं।
                      अब अचानक वीणा सिंह का मां की किताब के बहाने भोपाल आना और कांग्रेस के नेताओं का उनका साथ देना एक बार फिर पुराने दिन याद दिला रहा है।फिर यह सवाल उठा है कि क्या मुहावरों की किताब की आड़ में एक बार फिर अजय सिंह अपनों के ही निशाने पर आ रहे हैं।हालांकि पिछले साल भोपाल में अर्जुन सिंह जी की प्रतिमा अनावरण के सरकारी कार्यक्रम में भाई बहन एक मंच पर दिखाई दिए थे।लेकिन मंच पर भी दोनों के बीच की दूरी सबने देखी थी। सब जानते हैं कि अजय सिंह अर्जुन सिंह की राजनीतिक विरासत संभाले हुए हैं।प्रदेश में उनकी एक अलग पहचान है।अर्जुन सिंह से जुड़े रहे लोग आज भी उनके साथ हैं। यह अलग बात है कि उन्हें राजनीति में ठिकाने भी उन्हीं लोगों ने लगाया जो खुद को अर्जुन सिंह का शिष्य कहते रहे हैं। उधर वीणा सिंह की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी बहुत पुरानी है।2009 में उन्होंने सीधी से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप चुनाव लडा था।अर्जुन सिंह के विरोध के बाद भी वे मैदान में उतरी थीं।वे जीत तो नहीं पाई थीं लेकिन उन्होंने तब कांग्रेस प्रत्याशी इंद्रजीत पटेल को हरा दिया था।पटेल अर्जुन सिंह के बहुत करीबी थे।यह भी विडंबना है कि आज इंद्रजीत के परिवार को भी अजय सिंह के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है। देखना यह है कि किताब का विमोचन कहां तक जाता है।लेकिन यह साफ है कि अगर विंध्य में कांग्रेस के भीतर कोई खेल खेला गया तो उसका नुकसान अजय सिंह से ज्यादा कांग्रेस को ही होगा!!
और अंत में एक बुंदेली कहावत...
बाप से पूत सयान, 
अइसय अइसय घर नसान।

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