बात यहां से शुरू करते हैं... शिवराज के इस अंदाज से पार पाना मुश्किल है
राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी
अरविंद तिवारी,वरिष्ठ पत्रकार
विजय संकल्प यात्रा शुरू होने के पहले ही जिस अंदाज में शिवराजसिंह चौहान मैदान संभाल चुके हैं, उससे साफ है कि भले ही दिल्ली दरबार ने विकेंद्रीकृत व्यवस्था कर दी है, लेकिन शिवराज तो इस चुनाव के सारे मैदानी सूत्र अपने हाथ में ही रखना चाहते हैं। जब तक विजय यात्रा शुरू होगी, मुख्यमंत्री सरकारी आयोजनों के बहाने आधे से ज्यादा मध्यप्रदेश नाप चुके होंगे। विधानसभा क्षेत्रवार जो आयोजन इन दिनों मुख्यमंत्री की मौजूदगी में हो रहे हैं, उसमें आ रही भीड़ शिवराज का उत्साह बढ़ा देती है और वे भी दिल खोलकर अपनी बात कहने से चूकते नहीं हैं। इन आयोजनों में विधानसभा टिकट के दावेदार भी अपनी ताकत दिखाने में पीछे नहीं हट रहे हैं और इसका पूरा फायदा मुख्यमंत्री उठा रहे हैं।
नरेंद्रसिंह तोमर के प्रभारी बनते ही निश्चिंत हो गई उषा ठाकुर
नरेंद्रसिंह तोमर के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका में आने के बाद जो नेता बहुत सुकून महसूस कर रहे हैं, उनमें पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर भी एक हैं। इस बार महू में ठाकुर की नाव डगमगा रही है। पार्टी के स्थानीय नेता उनके खिलाफ लामबंद हो चुके हैं और प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व तक यह बात पहुंचा दी गई है कि बहुत हो गया, अब हम बाहरी उम्मीदवार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। पिछले कुछ दिनों से बेहद सक्रिय होने के बावजूद क्षेत्र के मैदानी समीकरण भी ठाकुर के अनुकूल नजर नहीं आ रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच तोमर का मध्यप्रदेश की राजनीति में कद बढऩे के बाद ठाकुर निश्चिंत सी हो गई हैं। देखते हैं तोमर कितनी मदद कर पाते हैं।
कमलनाथ से पार पाना मुश्किल होगा सुरजेवाला और जितेंद्र सिंह के लिए
राहुल गांधी के विश्वस्त रणदीपसिंह सुरजेवाला और जितेंद्र सिंह के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य समन्वयक और स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन की भूमिका में आने के बाद कांग्रेस के एक बड़े धड़े को लग रहा है कि अब कमलनाथ की टिकट वितरण के मामले में ज्यादा चलने वाली नहीं है, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। सुरजेवाला कमलनाथ के बहुत करीबी हैं और उन्हीं की पसंद पर मुख्य समन्वयक की भूमिका में लाए गए हैं। नाथ की इच्छा तो उन्हें जेपी अग्रवाल के स्थान पर प्रदेश का प्रभारी बनवाने की थी। कुछ ऐसा ही जितेंद्र सिंह के मामले में है, वे जितने नजदीक राहुल गांधी के हैं, उतने ही कमलनाथ के भी। स्क्रीनिंग कमेटी में दिग्विजय सिंह और कमलेश्वर पटेल की मौजूदगी का फायदा भी कमलनाथ को ही मिलने वाला है।
शंकर भी क्या करें... देर हो ही जाती है
सांसद शंकर लालवानी आयोजनों में अक्सर देरी से पहुंचने के लिए ख्यात हो चुके हैं। कई आयोजन में तो इतनी देर से कि प्रमुख अतिथियों के भाषण भी हो जाते हैं। अभी हाल ही में मध्यभारत हिंदी साहित्य में एक साहित्यिक आयोजन के उद्घाटन सत्र में सांसद जी तब पहुंचे जब केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के भाषण हो चुके थे और सत्र समापन की ओर था। पहले भी समिति में एक आयोजन में राज्यपाल के पहुंच जाने के बाद शंकर पहुंचे थे। शंकर भले यह तर्क दें कि मैं देर करता नहीं देर हो जाती है पर इसी कारण कुछ आयोजनों के आयोजकों ने सांसद जी को बुलाने से तौबा कर ली है।
मालवा में भाजपा का बड़ा विकेट डाउन होने की तैयारी
मालवा के राजस्थान सीमा से लगे एक जिले में भाजपा का एक बड़ा विकेट डाउन होने वाला है। यहां राजनीतिक तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और सामाजिक समीकरण के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से तालमेल जमा कर चल रहे एक नेता आने वाले दिनों में पार्टी को बाय बाय करने जा रहे हैं। उनका यह फैसला एक विधानसभा क्षेत्र के समीकरण को प्रभावित कर सकता है।
राय-बाथम बनाम कियावत-चौहान, कुछ ऐसा है कांग्रेस-भाजपा का मामला
कांग्रेस और भाजपा से नजदीकी रखने वाले सेवानिवृत्त अफसरों की चुनाव के मौसम में पौ-बारह है। डी.एस. राय और वी.के. बाथम जहां कांग्रेस के वचन पत्र को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कवीन्द्र कियावत और शिवनारायण सिंह चौहान भाजपा की चुनाव घोषणा पत्र समिति का हिस्सा बनकर घोषणा पत्र तैयार करने में जुटे हैं। राय तो खुद विधानसभा टिकट के भी दावेदार हैं। देखना यह है कि इनकी मौजूदगी के चलते किसका घोषणा पत्र सरकारी कर्मचारियों के लिए ज्यादा मुफीद साबित होता है।
सांसद तो ठीक कलेक्टर भी हटवा देते हैं इस जमाने में एसपी को
राजगढ़ के एसपी वीरेंद्र सिंह सांसद रोडमल राठोर से पटरी न बैठने के कारण कुछ ही महीनों में हटा दिए गए। यह तो ठीक है लेकिन साफ-सुथरी छवि वाले सिद्धार्थ बहुगुणा को बहुत कम समय में रतलाम से इसलिए हटना पड़ा की कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी का रुतबा उन पर चल नहीं पा रहा था।
चलते-चलते
इंदौर के नए संभाग आयुक्त माल सिंह भाईदिया का अंदाज इन दिनों चर्चा में है। आयुक्त पद संभालने के बाद से ही वे जिस तरह स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में सक्रिय हुए हैं और सख्ती दिखा रहे हैं उससे यह तो स्पष्ट हो गया है कि शिक्षा और चिकित्सा जैसे जनता से सीधे जुड़े मुद्दों पर वे बेहद संवेदनशील है।
पुछल्ला
बाबूसिंह रघुवंशी विधानसभा चुनाव के लिए इंदौर शहर के प्रभारी क्या बने, भाजपा में राजनीतिक कहानी किस्सों की बहार आ गई। कुशाभाऊ ठाकरे से पंगा लेने से लेकर राजेंद्र धारकर को फटकारने तक के किस्से चटखारे लेकर सुनाए जा रहे हैं। संयोग ऐसा है कि शहर कांग्रेस में भी इनके अनुज महेंद्र रघुवंशी संगठन मंत्री की भूमिका में आने के बाद माहौल को जीवंत करने में लगे हैं।
बात मीडिया की
दैनिक भास्कर ने पिछले दिनों इंदौर में राजनेताओं के पॉलिटिकल सोशल प्रोफाइल मैनेज करने वाले आईटी एक्सपर्ट्स की बैठक लेकर खबरों को भेजने संबंधित जानकारी शेयर की। इसके पहले भास्कर इंदौर के सामाजिक -धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ संवाद कर अखबार और डिजिटल प्लेटफार्म पर सहभागिता बढ़ाने की बात कर चुका है। इन संस्थानों द्वारा अधिकृत व्यक्तियों को भास्कर एसोसिएट का कार्ड भी दिया गया है।
एनडीटीवी अब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए रीजनल चैनल भी लांच कर रहा है। जल्दी ही ऑन एयर होने वाले इस चैनल में स्थापित और नए चेहरों का तालमेल देखने को मिलेगा। दैनिक भास्कर में लंबे समय तक सेवाएं देने के बाद एक्सपोज टूडे के नाम से खुद का डिजिटल वेंचर संचालित कर रहे वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु जोशी भी टीम न्यूज 18 का हिस्सा हो गए हैं। जोशी खोजी पत्रकारिता के साथ-साथ राजनीतिक पकड़ के लिए भी जाने जाते हैं।
इंदौर से वास्ता रखने वाले और इन दिनों डीडी न्यूज़ में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रखर श्रीवास्तव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े एक मामले में जिस तरह राज्यसभा सांसद संजय सिंह तथ्यों के साथ घेरा उसने कई न्यूज़ चैनलों को खबर के लिए अच्छा खासा मसाला दे दिया
लंबे समय तक न्यूज नेशन में सेवाएं देने वाले युवा एवं ऊर्जावान पत्रकार मिथिलेश गुप्ता अब इंदौर में टीम न्यूज 18 का हिस्सा हो गए हैं। वे इंदौर में ही सेवाएं देंगे। यहां पहले सेवाएं दे रहे वरिष्ठ पत्रकार विकाससिंह चौहान के पत्रिका में जाने के बाद से प्रबंधन को किसी रिपोर्टर की तलाश थी।
आईएनडी 24 और रेड टीवी में सेवाएं देने के बाद सीनियर कैमरा पर्सन भरत पाटिल अब बीएस टीवी की टीम का हिस्सा हो गए हैं। यह रीजनल चैनल वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण दुबे ने लांच किया है।