top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << पेंशनरों को धारा 49 के उन्मूलन के लिए ही करना चाहिए आंदोलन

पेंशनरों को धारा 49 के उन्मूलन के लिए ही करना चाहिए आंदोलन


डाॅ. चन्दर सोनाने
                   मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने शुरू से पेंशनरों के साथ अन्याय किया है। पहले सातवें वेतनमान का जनवरी 2016 से मार्च 2018 तक 27 महीने के एरियर का अभी तक पेंशनरों को भुगतान नहीं हुआ है। इसके पूर्व भी छठें वेतनमान के एरियर का भुगतान राज्य सरकार ने अभी तक नहीं किया है। हर बार मध्यप्रदेश सरकार राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 और 6वीं अनुसूची को बहाना बनाकर छत्तीसगढ़ सरकार से पेंशनरों के महँगाई भत्ता बढ़ाने के लिए सहमति बनाने का बहाना करती है। यह बहाना पूर्णतः निराधार है। क्योंकि केन्द्र सरकार ने बहुत पहले ही धारा 49 का उन्मूलन कर दिया है। इसके बावजूद मध्यप्रदेश सरकार धारा 49 का बहाना करके पेंशनरों के बढ़ते महँगाई भत्ते को रोकने का काम कर रही है। इसलिए अब मध्यप्रदेश के पेंशनरों के समस्त संगठनों को एकजुट होकर धारा 49 को ही स्थाई रूप से समाप्त करने के लिए आंदोलन करना चाहिए, तभी मध्यप्रदेश के सभी पेंश्नरों को कर्मचारियों के साथ ही महँगाई भत्ता मिलने का रास्ता साफ हो सकेगा।
                    उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा अपने पत्र क्रमांक एफ नम्बर 17025/02/2017-एसआर नई दिल्ली दिनांक 18 नवम्बर 2017 को मध्यप्रदेश भोपाल के पेंशनर एसोसिएशन, मध्यप्रदेश सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर यह स्पष्ट कर दिया कि मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अन्र्तगत धारा 49 के छठें अनुच्छेद का उन्मूलन कर दिया गया है, जिसके अंतर्गत मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार की आपसी सहमति से पेंशनरों के पेंशन का भुगतान किये जाने का प्रावधान किया गया था। अर्थात् उक्त आदेश के तहत राज्य पुनर्गठन की धारा 49 का ही उन्मूलन ( Eradication ) कर दिया गया है। 
                    भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 18 नवंबर 2017 को अपने पत्र में स्पष्ट रूप से उक्त धारा ही हटा दी गई है। भारत सरकार के इसी पत्र के मुख्य आशय का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत है - “भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि, मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम -२००० की कोई भी धारा , पेंशनरों के मामले में , ऐसा नहीं कहती है कि , पश्चातवतÊ राज्यों, (मध्यप्रदेश अथवा छत्तीसगढ़) की सरकारें एक दूसरे से सहमति प्राप्त करने के बाद ही आदेश जारी करेंगी ।“
                   भारत सरकार ने जो धारा 49 हटा दी है, मध्यप्रदेश सरकार उसी का बहाना लेकर पिछले 23 सालों से मध्यप्रदेश के पेंशनरों के साथ अन्याय कर रही है। इसके बावजूद अभी भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान और उनके वित्त विभाग के आला अधिकारीगण उस धारा को छाती से चिपकाये हुए बैठे हैं। और जब-जब मध्यप्रदेश के कर्मचारियों का महँगाई राहत बढ़ती है, तब-तब मध्यप्रदेश सरकार इसी धारा का बहाना करके छत्तीसगढ़ से सहमति लेने के नाम पर पेंशनरों को महँगाई राहत देने से बचती आ रही है। अब मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सभी कर्मचारियों और पेंशनरों को राज्य सरकार के इस झूठ का पता चल गया है। मध्यप्रदेश सरकार के पेंशनर अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में आ गए हंै। अब पेंशनरों के समस्त संगठनों को एकजुट होकर धारा 49 के स्थायी रूप से उन्मूलन की ही बात को लेकर आंदोलन करना चाहिए।
                 मध्यप्रदेश सरकार ने पेंशनरों को मँहगाई राहत देने के लिए सहमति के नाम पर पिछले दिनों छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखा था। इस पत्र के जवाब में हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने मात्र 5 प्रतिशत महँगाई राहत देने की अपनी सहमति दी है। छत्तीसगढ़ सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा अपने पत्र क्रमांक 436/एफ/2013-04-00416/वि/नि/4 नवा रायपुर अटल नगर दिनांक 02.08.2023 द्वारा मध्यप्रदेश के वित्त विभाग के सचिव को 1 जुलाई 2023 से सातवें वेतनमान में 38 प्रतिशत एवं छठवें वेतनमान में 212 प्रतिशत महँगाई भत्ता दिये जाने की सहमति व्यक्त की है। 
                   भारत सरकार के गृह मंत्रालय और छत्तीसगढ़ मंत्रालय के उक्त पत्रों से स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश सरकार पेंशनरों को निरंतर मूर्ख बना रही है। किन्तु अब मध्यप्रदेश सरकार के इस झूठ का पर्दाफाश हो गया है। मध्यप्रदेश के पेंशनर ,उनके परिवारजन और आमजन यह अच्छी तरह से समझ गए है कि मध्यप्रदेश सरकार नित नए बहाने कर पेंशनरों के अधिकार का हनन कर रही है। 
                   मजेदार बात यह है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने जो महँगाई भत्तंे बढाने की सहमति दी है, वह 1 जुलाई 2023 से दी है। हालांकि मध्यप्रदेश सरकार 1 जनवरी 2023 से महँगाई भत्ता बढ़ाने के लिए अनुरोध पत्र भेजा था। हमेशा की तरह फिर से पेंशनरों के साथ विश्वासघात होने जा रहा है। अब मध्यप्रदेश सरकार भी छत्तीसगढ़ सरकार का बहाना लेकर पेंशनरों को 1 जुलाई से ही 5 प्रतिशत मँहगाई भत्ता बढ़ाने का आदेश जारी करेगी। यानी फिर हमेशा की तरह 6 माह के एरियर का नुकसान ! मध्यप्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए 1 जनवरी 2023 से 5 प्रतिशत महँगाई भत्ता देने की घोषणा की है। उन्हें जुलाई माह के वेतन से बढ़ा हुआ महँगाई भत्ता मिलने भी लग गया है और 1 जनवरी से 6 माह का एरियर उन्हें 3 समान किश्तों में दिया जायेगा। किन्तु पेंशनरों के साथ ऐसा नहीं होगा। मध्यप्रदेश सरकार ने अपने सरकारी समस्त उपक्रमों, निगमों और मंडलों में भी 1 जनवरी 2023 से महँगाई भत्ते देने की घोषणा की है। किन्तु मध्यप्रदेश के पेंशनरों के साथ हमेशा की तरह फिर अन्याय होने जा रहा है। 
                     पेंशनरों के साथ एक नए तरह का अन्याय यह भी हो रहा है कि जो कर्मचारी 30 जून को सेवा से निवृत्त हो गए हैं, उन्हें वेतनवृद्धि नहीं दी जा रही है। क्योंकि वेतनवृद्धि 1 जुलाई को लगती है। हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने 3 अगस्त 2023 को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इसमें 31 दिसम्बर और 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले समस्त कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ दिया जायेगा। इस पत्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि यह निर्देश पूर्व में सेवानिवृत्त हुए शासकीय सेवकों के प्रकरणों में भी लागू होगा। मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं हो रहा है। यह मध्यप्रदेश के पेंशनरों के साथ एक अलग तरह का अन्याय है। हाल ही में 2 मई 2023 में जबलपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी कर 30 जून को सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों का भी 1 जुलाई से वेतन वृद्धि के समान वेतन वृद्धि देने के आदेश जारी किए है। किन्तु 3 माह बाद भी आज तक राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। एक तरह से यह उच्च न्यायालय की अवमानना ही कही जायेगी।
                     अभी मध्यप्रदेश के समस्त कर्मचारियों को 42 प्रतिशत की दर से महँगाई भत्ता दिया जा रहा है, जबकि अभी पेंशनरों को 9 प्रतिशत कम 33 प्रतिशत की दर से ही महँगाई भत्ता मिल रहा है। यह अन्याय पेंशनरों के साथ पिछले 23 साल से हो रहा है। इसके निजात पाने का एकमात्र तरीका यही है कि अब समस्त पेंशनर संगठनों को एकजुट होकर राज्य सरकार से केवल एक माँग यही करना चाहिए कि अब बहुत हो गया ! केन्द्र सरकार द्वारा जब धारा 49 का उन्मूलन कर दिया गया है तो मध्यप्रदेश सरकार क्यों इसे छाती से चिपकाकर बैठी है ! उल्लेखनीय है कि देश में अन्य राज्यों में भी प्रदेशों का विखंडन कर नए राज्य बनाए गए थे। उनमें राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 और 6वीं अनुसूची के अनुसार कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उत्तरप्रदेश से उत्तराखंड अलग हुआ था। उसी प्रकार बिहार से झारखंड अलग हुआ था। किन्तु इन चारों राज्यों में कोई भी राज्य धारा 49 का उल्लेख करके पेंशनरों के साथ अन्याय नहीं कर रही है। कर्मचारियों के साथ ही पेंशनरों को भी समय पर महँगाई भत्ता दे रही है। केवल मध्यप्रदेश की ही सरकार है, जो धारा 49 का बहाना करते हुए पेंशनरों के साथ अन्याय पर अन्याय कर रही है। इससे निजात पाने के लिए अब एकमात्र आंदोलन ही बचा है। और उस आंदोलन में एकमात्र माँग यही होना चाहिए कि धारा 49 का स्थायी रूप से केन्द्र सरकार द्वारा उन्मूलन कर दिया है, तो वह मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ में भी वह प्रभावहीन है। इसका झूठा बहाना कर अब पेंशनरों के साथ अन्याय करना बंद किया जाए ! 
                                 -------- ००० --------

Leave a reply