चुनावी चटखारे,*जो सबको दिख रहे हैं ‘वो’ नहीं दिख रहे…! *
कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार
इंदौर को फोकस करते मास्टर प्लान की मांग को लेकर, कान्ह-सरस्वती नदी को प्रवाहमान बनाने, सिटी फारेस्ट को धरातल पर उतारने, कपड़ा मिलों की जमीन को शहर हित में संरक्षित रखने, अहिल्या लोक प्रोजेक्ट को राजवाड़ा क्षेत्र की अपेक्षा पुराने आरटीओ की जमीन पर विकसित करने, स्मार्ट सिटी में नक्शा स्वीकृति के भारी भरकम शुल्क को कम करने, हर कॉलोनी में हॉकर्स जोन विकसित करने जैसे ज्वलंत मुद्दे हैं जिनका इस पौने दो दशक में भी सरकार शत-प्रतिशत हल नहीं निकाल सकी है। इंदौर का तो मात्र उदाहरण है, प्रदेश के अन्य बड़े शहरों से लेकर नगर निगम क्षेत्र वाले शहरों के भी ऐसे स्थायी मुद्दे हैं जिन पर क्रियान्वयन नहीं हो पाया है। ऐसे सारे मुद्दे शहरों के आमजन को तो वर्षों से दिख रहे हैं लेकिन सत्ता-संगठन स्तर पर इन्हें घोषणा पत्र लायक नहीं समझे जाने का ही नतीजा है कि अब चुनाव मैदान में उतरने से पहले भाजपा आमजन से वो सारे विषय जानना चाहती है जिन्हें वह अपने घोषणा पत्र में शामिल कर सके।इस के लिए वह व्यापारी, चिकित्सकों सहित अन्य प्रबुद्धजनों से तो समूह चर्चा करेगी चुनाव घोषणा पत्र के लिए सामान्यजन से भी मुद्दे जुटाने के लिए चौराहे चौराहे तंबू लगा कर उनके लिखित सुझाव लेगी।इन सुझावों पर वाकई अमल हो ही जाएगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन सर्वाधिक राजस्व देने वाले इंदौर शहर की ही बात करें तो सतत कई वर्षों से मास्टर प्लान को लेकर मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों-अधिकारियों से मिलते रहने के बाद भी शहर के ज्वलंत मुद्दों का ठोस हल नहीं खोजा जा सका है।
इनकी समरसता और उनकी सम्मान यात्रा
भाजपा ने संत रविदास मंदिर शिलान्यास समारोह से पहले पूरे प्रदेश से जो पांच समरसता यात्रा शुरु की है उसका समापन 12 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी के सागर आगमन पर हो जाएगा। इधर कांग्रेस ने भी पेशाब कांड वाले सीधी जिले से 20 दिनी आदिवासी सम्मान यात्रा शुरु कर रखी है।प्रदेश के 17 जिलों की 36 आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्रों को कवर करती इस सम्मान यात्रा का समापन 7 अगस्त को झाबुआ में होगा। युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम के नेतृत्व में झाबुआ पहुंचेगी। इन दोनों दलों की इन यात्राओं से यह साफ संकेत है कि आदिवासी, दलित, पिछड़े समाज के मतदाताओं को रिझाने पर फोकस है।
फिर मचलने लगा गिरिजा शंकर का मन
पिछले चुनाव में तो भाजपा ने शर्मा बंधुओं को टिकट दे दिया था लेकिन इस बार पार्टी परिवारवाद को गले नहीं लगाना चाहती।यह बात पूर्व विधायक गिरिजाशंकर शर्मा भी समझ गए हैं।इसीलिए उनका मन फिर से कांग्रेस में जाने के लिए मचल रहा है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा के भाई को इसलिए भी वर्तमान सरकार और संगठन की स्थिति खराब लग रही है कि उन्हें पार्टी ने इन वर्षों में लगभग भुला दिया है।वो भाजपा से संतुष्ट नहीं है और विकल्प तलाश रहे हैं फिर चाहे कांग्रेस हो या आप पार्टी, बस उन्हें तो चुनाव लड़ना है।
बेटी नहीं तो मैं भी नहीं
पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाकर सरकार ने विधायक-पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन का गुस्सा ठंडा करने की कोशिश तो की लेकिन बिसेन अड़े हुए हैं कि उन्हें नहीं तो उनकी बेटी मौसमी को पार्टी बालाघाट से टिकट दे।इसीलिए सार्वजनिक कार्यक्रमों में वो अपनी बेटी को स्थापित करने में लगे हुए हैं।सात बार से विधायक बिसेन के तेवर भांप चुकी भाजपा बालाघाट में नए चेहरे की तलाश कर रही है लेकिन यह नया चेहरा यदि मौसमी नहीं हुआ तो बिसेन कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं।सत्ता में आने पर ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने संबंधी कांग्रेस की घोषणा की तारीफ कर के उन्होंने बदल रही अपनी मानसिकता के संकेत भी दे दिए हैं।
रावत की राह में कांटें
सेंधवा से कांग्रेस के विधायक ग्यारसीलाल रावत की राह में क्षेत्र के ही कांग्रेस नेताओं ने कांटे बिछा दिये हैं। ये लोग पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी मिल चुके हैं और इस बार रावत को टिकट नहीं देने के कारण भी गिना चुके हैं।कांग्रेस सेवादल के प्रदेश सचिव भुवानसिंह जाधव ने कमलनाथ को वो सारे दस्तावेज भी सौंपे हैंजिनमें यह प्रमाण है कि क्षेत्र की जनता और कार्यकर्ता विधायक की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं हैं। रावत से नाराज चल रहे क्षेत्र के नेताओं ने साफ कह दिया है कि नए चेहरे को प्रत्याशी बनाने पर ही कांग्रेस की जीत आसान होगी ।
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