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अपना एमपी गज्जब है..98 सरकार के आदिवासी प्रेम की असलियत...


अरुण दीक्षित,वरिष्ठ पत्रकार
                         3 अगस्त 2023 ,दिन गुरुवार! भोपाल शहर के लोग सुबह जब तैयार होकर घरों से निकले तो उन्होंने पाया कि उनके मोहल्लों की सड़कों पर बैरिकेड लगे हुए हैं।रास्ता बंद है और बड़ी संख्या में पुलिस तैनात है।यूं तो आजकल लोगों को इस तरह रास्ता रोके जाने की आदत हो गई है लेकिन इस बार अचानक भारी सुरक्षा बंदोबस्त देख वे चौंके।मुस्तैद खड़े सिपाहियों से जब कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति महोदया भोपाल दौरे पर आ रही हैं।उनकी सुरक्षा के लिए ये बंदोबस्त किए गए हैं। ज्यादातर लोग इसे सामान्य बात मान कर गली कूचों में घुस कर अपनी मंजिल की ओर बढ़ गए।लेकिन कुछ लोगों को थोड़ा आश्चर्य हुआ।क्योंकि लोकल अखबारों में उन्हें ऐसा कुछ दिखा नहीं जिससे यह पता चलता कि आज देश की प्रथम नागरिक उनके शहर में हैं।
                        खोजबीन पर पता चला कि राष्ट्रपति महोदया गुरुवार को भोपाल में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित चार दिनी सांस्कृतिक कार्यक्रम - उन्मेष,उत्कर्ष का शुभारंभ करने वाली हैं!राज्य सरकार का संस्कृति मंत्रालय भी इसमें भागीदार है।राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी उद्घाटन समारोह में शिरकत करने वाले हैं ! राष्ट्रपति महोदया समय पर भोपाल आईं।उद्घाटन के बाद निर्धारित समय पर दिल्ली लौट भी गईं। हां जाने से पहले वे यह जरूर बता गईं कि राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने सबसे ज्यादा यात्राएं एमपी की ही की हैं। राष्ट्रपति का आना जाना कोई बड़ी बात नही है।उनका आवागमन तो चलता ही रहता है।जो बड़ी बात लगी वह थी उनके प्रति राज्य सरकार का ठंडा रवैया!केंद्रीय मंत्रियों तक के आने पर भोपाल की सड़कों को बड़े बड़े होर्डिंग से पाट देने और स्थानीय अखबारों को विज्ञापनों से भर देने वाली शिवराज सरकार ने राष्ट्रपति की यात्रा का "संज्ञान" तक नहीं लिया। हां केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने स्थानीय अखबारों में एक विज्ञापन अवश्य दिया था।लेकिन वह विज्ञापन सभी अखबारों के उन पन्नों पर था जिन तक सामान्य पाठकों की नजर नही पहुंचती है।अखबारों ने भी उसी हिसाब से राष्ट्रपति की यात्रा को "महत्व" दिया।
                          राज्य की बीजेपी सरकार का यह रुख इसलिए भी अखरा क्योंकि वह राष्ट्रपति की जाति का उल्लेख अक्सर करती रही है।उसका यह दावा है कि उसने एक आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च पद पर बैठा कर आदिवासी समाज का मान पूरी दुनियां में बढ़ाया है।अन्य दलों को सार्वजनिक रूप से लांक्षित करने के लिए भी बीजेपी श्रीमती द्रोपदी मुर्मू का नाम ट्रंप कार्ड की तरह इस्तेमाल कर रही है। अब तक प्रदेश में उनकी यात्राओं का मूल उद्देश्य भी आदिवासियों को रिझाने का ही रहा है।इसलिए उन्हें बार बार बुलाया भी जाता रहा है।गुरुवार के कार्यक्रम में भी आदिवासियों की बड़ी सहभागिता थी।
 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह यात्रा भी काफी अहम मानी गई है।क्योंकि शिवराज सरकार प्रदेश में आदिवासियों को रिझाने के लिए हर जतन कर रही है।उसने प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में पेसा कानून लागू किया।मुफ्त अनाज के अलावा बहुत कुछ सरकार वोट के लिए कर रही है।मुख्यमंत्री अपनी सभाओं में इनका उल्लेख विस्तार से करते हैं।प्रदेश भर के अखबारों में आदिवासियों से जुड़ी योजनाओं के विज्ञापन भी अक्सर छपते रहते हैं।
                    फिर आदिवासी महिला राष्ट्रपति के प्रति उपेक्षा का ऐसा भाव?राज्य सरकार ने न तो उनके स्वागत में स्वागत द्वार बनवाए ! न ही सड़कों पर होर्डिंग लगवाए!हालांकि सरकार ने अखबारों में कई पन्ने के विज्ञापन गुरुवार को भी छपवाए थे।लेकिन उनका राष्ट्रपति की यात्रा से कोई संबंध नहीं था।राज्य सरकार की सिंचाई परियोजनाओं से जुड़े इन विज्ञापनों में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ही छाए हुए थे।
 राज्य सरकार ने एक भी विज्ञापन राष्ट्रपति के स्वागत में नहीं छपवाया।शायद यही वजह होगी कि अखबारों में भी राष्ट्रपति के आने की खबर प्रमुखता से नही छपी!ज्यादातर लोगों को पता ही नही चला कि देश की राष्ट्रपति उनके शहर में हैं।जानकारी देने का काम पुलिस के सिपाहियों की मौजूदगी और उसके द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स ने किया।
                  इसी वजह से अगले दिन भी उनसे जुड़ी खबर पहले पन्ने पर नही दिखी ! इस यात्रा के कुछ दिन पहले मोदी मंत्रिमंडल के करीब आधा दर्जन सदस्य भोपाल के दौरे पर आए थे।हालांकि उनका दौरा सरकारी नही था।फिर भी भोपाल की प्रमुख सड़कें उनके आदमकद कटआउट से पाट दी गईं थीं।अभी भी सड़कों पर उनकी उपस्थिति कायम है। और राष्ट्रपति की यात्रा... वह ऐसे ही गुजर गई!हो सकता है कि भोपाल में आदिवासी वोटर ज्यादा न होने की वजह से सरकार ने ऐसा किया हो!या दिल्ली का ही कोई निर्देश हो!क्योंकि कोई लाइन बड़ी हो,यह साहब को पसंद नही है। शायद आदिवासी प्रेम की असलियत भी यही है। पर कुछ भी हो सकता है।यह एमपी है।यहां हवा के चलने से पहले ही उसका रख भांप लिया जाता है!इसीलिए तो कहते हैं कि अपना एमपी गज्जब है!

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