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स्टैच्यू ऑफ वननेस : आदि शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा का नाम अंग्रेजी में ?


संदीप कुलश्रेष्ठ
            मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की बाल स्वरूप की 108 फीट ऊँची प्रतिमा बनाने का कार्य तेजी से जारी है। यह मूर्ति करीब 100 टन वजन की रहेगी। 62 फीट ऊँचाई पर इसे स्थापित किया जायेगा। किन्तु मीडिया में जो इसका नाम आ रहा है, वह अग्रेंजी में है। नाम है स्टैच्यू ऑफ वननेस । आदि शंकराचार्य का नाम अग्रेंजी में होने से श्रद्धालुओं के मन को ठेस पहुँच रही है। इसे हिन्दी में होना ही चाहिए। 
करीब 200 करोड़ की होगी यह भव्य प्रतिमा -
            मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद मध्यप्रदेश के ही दूसरे ज्योतिर्लिंंग ओंकारेश्वर में आदि शकंराचार्य की सबसे ऊँची प्रतिमा स्थापित करने का संकल्प लिया है। यह मूर्ति आदि शंकराचार्य के बाल स्वरूप की होगी। ओंकारेश्वर आदि शंकराचार्य की दीक्षा भूमि भी है। प्रदेश की करीब 23 हजार पंचायतों से जुटाए गए कॉपर, जिंक, लैड और टीन आदि अष्टधातु के मिश्रण से यह मूर्ति बनाई जा रही है। इसकी वर्तमान में लागत 198.25 करोड़ रूपए है। 
प्रसिद्ध चित्रकार और शिल्पकार बना रहे हैं मूर्ति -
             आदि शंकराचार्य के बाल स्वरूप का चित्र प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामत ने तैयार किया है। 11 साल के बाल शंकराचार्य के स्वरूप की इस मूर्ति को जाने माने शिल्पकार भगवान रामपुरे के मार्ग दर्शन में तैयार किया जा रहा है। श्रद्धालु लिफ्ट और सीढ़ियों दोनों माध्यमों से दर्शन कर सकेंगे। ओंकार पर्वत पर मूर्ति लगाने के लिए प्रथम चरण का काम लगभग पूरा हो चुका है। ओंकारेश्वर में एकात्मता का वैश्विक केन्द्र भी बनाया जा रहा है। करीब 28 हैक्टर क्षेत्र में यह भव्य प्रतिमा का निर्माण कार्य किया जा रहा है। 
बाल स्वरूप में मूर्ति -
             दुनिया में अद्वैत वेदांत के संस्थानों, मंदिरों और गुरुकुलों में प्रचलित मूर्तियों और चित्रों में शंकराचार्य चार प्रमुख शिष्यों के साथ परिपक्व युवा ही दिखाई दिए हैं। ये वही शिष्य हैं, जो शंकर द्वारा भारत के चार कोनों में स्थापित चार मठों के पहले शंकराचार्य बने थे। ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की मूर्ति के लिए उनके बाल स्वरूप में लेने का निर्णय इसलिए हुआ क्योंकि केरल के कालड़ी से 8 साल की आयु में शंकर यहाँ आए थे। ओंकारेश्वर में गुरू गोविंदपाद ने उन्हें दीक्षा दी थी। और फिर यहीं उन्होंने अगले तीन वर्ष तक अद्वैत वेदांत का अध्ययन किया था। जब वे 11 साल के हुए तब उन्होंने आगे की यात्रा यहीं से आरंभ की थी। आदिगुरू के रूप में उनकी प्राण प्रतिष्ठा का केंद्र बिंदु ओंकारेश्वर ही माना गया है।
अभी तक की तैयारी -
             मांधाता पर्वत पर अभी तक की तैयारी के अन्तर्गत 62 फीट का आधार तैयार कर लिया गया है। 108 फीट की भव्य प्रतिमा के आंतरिक स्टील फ्रेम का 70 प्रतिशत हिस्सा भी बना लिया गया है। 6 फीट चौड़ा और करीब 18 फीट लंबा एक पैर का हिस्सा भी स्थापित कर लिया गया है। करीब एक महीने में पूरी मूर्ति बनकर तैयार होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। सितम्बर माह में प्रधानमंत्री से इसका लोकार्पण कराने की तैयारी भी की जा रही है।  
हिन्दी में हो नामकरण -
               अभी मीडिया ने इसका नाम स्टैच्यू ऑफ वननेस अंग्रेजी में आ रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से अपेक्षा है कि इसका आदि शंकराचार्य की गरिमा के अनुरूप हिंन्दी में नामकरण करें, ताकि आगे अंग्रेजी के नामकरण के चलन की बजाय हिन्दी में ही हो। 
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