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चुनावी चटखारे,एक की खुशी बढ़ाई तो दूसरे की नाराजी मोल ले ली सरकार ने


कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार

चुनावी साल में सरकार के हाथों में खजाना लुटाने की ताकत आ जाती है, जो जैसी मांग रखे उसकी समस्या हाथोंहाथ हल हो जाती है। खुश करने के चक्कर में सरकार की तब फजीहत बढ़ जाती है, जब एक वर्ग खुश हो जाता है तो दूसरे की त्यौरियां चढ़ जाती है। सरकार ने प्रदेश के साढ़े सात लाख नियमित कर्मचारियों को खुश करने के लिए केंद्र के समान 42 फीसद महंगाई भत्ता देने की घोषणा करते वक्त कहां सोचा था कि इससे आधे से अधिक पेंशनर नाराज हो जाएंगे। सरकार ने नियमित कर्मचारियों को यह महंगाई भत्ता छह महीने पहले (जनवरी) से देना तय किया है। जनवरी से जून तक तीन समान किश्तों में महंगाई भत्ते का एरियर मिल भी जाएगा।ये साढ़े सात लाख नियमित कर्मचारी तो खुश हैं क्योंकि दिसंबर 22 तक इन्हें 30 फीसद महंगाई भत्ता मिल रहा था जिसमें चार फीसद की वृद्धि हो गई है। सेवारत कर्मचारियों को 42 फीसदी महंगाई भत्ता लागू किए जाने संबंधी सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के करीब 4.50 लाख पेंशनर नाराज हो गए हैं।वजह यह कि उन्हें 33 फीसद की दर से महंगाई राहत मिल रही है। ये सारे पेंशनर अब 9 फीसद पीछे हो गए हैं।सरकार ने पेंशनरों की महंगाई राहत बढ़ाने का निर्णय भी कर चुकी है लेकिन पेंच छत्तीसगढ़ के कारण  फंसा हुआ है।छग सरकार जब तक सहमति नहीं देगी मप्र के पेंशनरों को लाभ नहीं मिल पाएगा।यहां भाजपा की और वहां कांग्रेस की सरकार होने से इतनी जल्दी मसला सुलझने के आसार भी नहीं है।

भीम आर्मी को लगने लगा करणी सेना को सहयोग कर रही सरकार 
ऐसा संभव तो नहीं लेकिन आजाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील आस्तेय दावा कर रहे हैं कि सरकार करणी सेना को गले लगाती और भीम आर्मी से भेदभाव करती है।भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तो हमले की घटना के बाद से मप्र के दौरे पर आए नहीं हैं लेकिन प्रदेश अध्यक्ष का मप्र सरकार पर आरोप है कि हमारी सामाजिक न्याय यात्रा को अनुमति देने में अड़ंगे लगाए जाते हैं और करणी सेना के आंदोलन-रैली की अनुमति आसानी से मिल जाती है। करणी सेना के आंदोलन में पुलिस के तीन हजार जवान लगाए गए, लेकिन हमारे आंदोलन स्थल पर पानी के टैंकर तक नहीं भेजे गए।भीम आर्मी अपनी मांगों-2 अप्रैल 2018 के केस वापस लिए जाएं। जातिगत जनगणना।प्रमोशन में आरक्षण। बैकलॉग भर्ती।51 हजार शिक्षकों की भर्ती पर बैन हटाया जाए। ठेकेदारी प्रथा को बंद किया जाए।महिला सफाई कर्मचारियों की नाइट शिफ्ट बंद की जाए।स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए-को लेकर फिर आंदोलन की तैयारी कर रही है। 

उमा भारती का हीरा है ज्योतिरादित्य

पूर्व सीएम उमा भारती ग्वालियर केसिंधिया बॉयज स्कूल फोर्ट में पढ़ रहे अपने भतीजे से मिलने ग्वालियर पहुंची थीं।यहां उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को फिर हीरा कहा है।उनके हीरा वाले बयान से जाहिर है उन नेताओं को झटका लगा होगा जो मान रहे थे कि भाजपा में सिंधिया का महत्व कम होता जा रहा है क्योंकि हीरा ही एकमात्र है जिसकी चमक कभी कम नहीं होती।फिर से मध्य प्रदेश में भाजपा की ही सरकार बनेगी।इसकी एक बड़ी वजह उन्होंने सिंधिया जैसा हीरा साथ होना बताया है पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने प्रदेश के बाकी नेताओं को राहत पहुंचाने वाली यह बात भी कही है कि वे मप्र में विधानसभा चुनाव लड़ेंगी नहीं, लड़वाएंगी। उनकी इच्छा तो लोकसभा चुनाव लड़ने की है कई राज्यों से ऑफर भी मिल रहे हैं।

मलखानसिंह ने ऐसा क्यों कहा 
भाजपा के कद्दावर नेता तोमर और सिंधिया को पूर्व दस्यु मलखान सिंह के इस विश्वास से तो जरूर परेशानी हो सकती है।मलखान सिंह को लग रहा है कि प्रदेश में अगली सरकार तो कांग्रेस की ही बनेगी। उन्हें तो प्रियंका गांधी भविष्य की प्रधानमंत्री भी लग रही हैं।मलखान सिंह के ये सारे आंकलन जिस भी आधार पर हों लेकिन यह संकेत भी दे रहे हैं कि ग्वालियर-चंबल संभाग में भाजपा की जमीन अब उतनी मजबूत नहीं रह गई।

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