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चुनावी चटखारे,विधानसभा चुनाव में इस बार ‘द दमोह फाइल्स’ का एंड क्या होगा


कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार

इस बार दमोह में भाजपा किसके प्रति मोह दर्शाएगी यह चर्चा का विषय है। इसकी वजह यह कि इस सीट पर पिछली बार हुए उप चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए राहुल सिंह को टिकट दिया था। उम्मीद थी कि वो तो जीत ही जाएंगे लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन के हाथों 17 हजार मतों से हार गए। 
अपनी इस हार का ठीकरा उन्होंने इस सीट से लगातार जीतते रहे मलैया परिवार पर लगाया था।उनकी शिकायत, सिंधिया की संतुष्टि जैसे कारणों के चलते पूर्व मंत्री जयंत मलैया, उनके पुत्र सिद्धार्थ सहित पांच भाजपा मंडल अध्यक्षों को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। 
                    भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय बीते दिनों जब मलैया परिवार के कार्यक्रम में शामिल होने आए थे तब उन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रदेश भाजपा की इस कार्रवाई का न सिर्फ विरोध किया था बल्कि उनकी पहल पर ही सिद्धार्थ मलैया व अन्य की भाजपा में वापसी भी हो गई थी। 
अब दमोह में भाजपा किस के प्रति अपना मोह दिखाएगी? कारण यह कि उपचुनाव में हारे राहुल सिंह फिर दावेदारी कर रहे हैं, उनकी शिकायत पर ही मलैया परिवार को भीतरघात का दोषी माना गया था।घर वापसी के बाद अब सिद्धार्थ खुद सशक्त दावेदार बन गए हैं। भाजपा यदि उन्हें प्रत्याशी बनाती है तो रोहित सिंह घर में बैठ सुंदर कांड तो नहीं ही करेंगे-क्या दमोह में उप चुनाव की हार का बदला लेने के रास्ते खोजेंगे? कांग्रेस के लिए अजय टंडन का टिकट काटना आसान नहीं क्योंकि वे उस वक्त चल रही हवा, मलैया परिवार के प्रभाव के बाद भी 17 हजार मतों से जीते हैं।यह रोहित सिंह के अहं के खिलाफ होगा कि वो कांग्रेस ज्वाइन कर के अजय टंडन की जीत के लिए वोट मांगे। 

वक्त की नजाकत पहचानने वाले सीएम
आखिरकार इस बार नागदा का मुहूर्त निकल ही गया। वैसे तो 2013 में भी जिला बनाने का वादा किया था। 2018 में अपने इसी वादे से मुख्यमंत्री ने नागदा के लोगों को लुभाया था। नागदा को जिला बनाने की घोषणा को मूर्त रूप देने का मुहूर्त 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले निकल ही आया।रीवां के दौरे में मऊगंज को प्रदेश का 53 वां जिला घोषित कर चुके मुख्यमंत्री ने नागदा यात्रा में 54 वें जिले के रूप में नागदा की न सिर्फ घोषणा की बल्कि उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को इस संबंध में निर्देश भी दे दिए हैं। इस नए जिले में आलोट, नागदा, खाचरौद, ताल, उन्हेल तहसील रहेंगी। 
जाहिर है इस 54 वें जिले का राजनीतिक लाभ भाजपा इस चुनाव में लेना चाहेगी इसीलिए यह घोषणा वक्त पहचान कर की गई है। 
बस दिक्कत इतनी सी है कि यहां से दिलीप गुर्जर कांग्रेस के विधायक हैं।अब जब भाजपा नागदा को जिला बनाने का श्रेय मुख्यमंत्री को दे रही हैं तो विधायक गुर्जर भी यह प्रचारित करने से नहीं चूक रहे हैं कि कमलनाथ की सरकार भले ही पंद्रह महीने रही लेकिन मेरी मांग पर ही 
कमलनाथ ने मंत्री परिषद में नागदा को जिला बनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया था।छल बल से सरकार बनाने वाली भाजपा ने वर्षों तक इस प्रस्ताव को अटकाए रखा।  

पटवारी को प्यारा लगने लगा महू
भाजपा द्वारा की जा रही घेराबंदी को भांप कर यदि कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी अगला चुनाव महू से लड़ने का मन बना लें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।भाजपा से जीतू जिराती और मधु वर्मा ये दोनों राऊ से हार चुके हैं, भाजपा तीसरी बार यहां से हार को दोहराना नहीं चाहती। जाहिर है भाजपा इन दोनों में से तो किसी को फिर मौका देगी नहीं।रमेश मेंदोला, कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेताओं की कमी नहीं है जिन्हें जहां से भी टिकट दें, जीत कर ही आते हैं। वैसे तो उषा ठाकुर भी हैं लेकिन उनके विधानसभा क्षेत्र महू से राऊ क्षेत्र लगा हुआ है इसलिए भाजपा उनके नाम पर आसानी से सहमत नहीं होगी।
अब रही पटवारी की महू में दिलचस्पी तो यहां उनके परिवार की रिश्तेदारी होने से समाज का सहयोग मिलने का भरोसा है।महू में अपनी जड़े मजबूत करने के लिए यहां जया किशोरी जी की कथा कराने की भी प्लॉनिंग हो गई है।इस कथा की सारी तैयारी उनके जिगरी जीतू ठाकुर कर रहे हैं।उनके हाथ में सारे सूत्र होने से इस समाज का भी दिल जीतना आसान हो जाएगा।

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