ढाई महीने से जल रहा मणिपुर: राज्य और केन्द्र की घोर असफलता
डाॅ. चन्दर सोनाने
देश की मणि मणिपुर। इस राज्य के करीब 37 लाख आमजन पिछले ढाई महीने से जातीय हिंसा की आग में जल रहे हंै। इस दौरान 150 से ज्यादा लोगों की मौतें हो गई हंै। 5 हजार से अधिक घर जल गए हंै। 60 हजार से अधिक आमजन राहत शिविरों में जैसे-तैसे रह रहे हैं। उनकी खोज खबर और सुनने वाला कोई नहीं है। राज्य सरकार पूरी तरह से असफल और नाकाम सिद्ध हो चुकी है। केन्द्र सरकार ने जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में बहुत पहले सेना भेज दी थी, किन्तु उससे भी जातीय हिंसा पर कोई नियत्रंण नहीं हो पाया। राज्य में भाजपा की सरकार है। इसलिए भी केन्द्र सरकार को चाहिए था कि वो राज्य पर लगाम कसती और हिंसा पर बहुत पहले ही नियंत्रण पा लेती। किन्तु यह नहीं हो पाया। इससे केन्द्र सरकार की भी घोर असफलता सिद्ध हो रही है।
जातीय हिंसा का बर्बरता, प्रजातंत्र और मानवता को कलंकित करने वाला एक वीडियो हाल ही में सामने आया है। इसमें दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर जुलूस निकाला जा रहा है। इसी अमानवीय घटना के संबंध में वहाँ के मुख्यमंत्री श्री एन बीरेन सिंह का शर्मनाक बयान सामने आया है। महिला को निर्वस्त्र घुमाने के संबंध में उनका कहना है कि ग्राउंड में ऐसे हजारों केस पड़े हंै। मुख्यमंत्री का यह बयान बेहद शर्मनाक, दुःखद और आश्चर्यजनक है !
हिंसाग्रस्त मणिपुर में कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है। चीफ जस्टिस डी. व्हाय. चन्द्रचूड़, जस्टिस पी.एस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा वीडियो देखने के बाद हम बहुत परेशान है। महिलाओं का हिंसा के साधन के रूप में इस्तेमाल करना अस्वीकार्य है। बेंच ने यह भी कहा कि सरकार एक्शन लें, वरना हम लेंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि इस भयावह घटना के दोषियों पर क्या कार्रवाई की?
उक्त वीडियो करीब ढाई महीने पहले का है, जिस समय मणिपुर में हिंसा की शुरूआत हुई थी। किन्तु ढाई महीने तक वीडियो उजागर नहीं होने तक मामला दबा पड़ा रहा। राज्य सरकार जानते बूझते भी कुछ नहीं कर पाई। वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार की नींद जागी। और 4 लोग इस संबंध में गिरफ्तार किए गए। मणिपुर हिंसा के 78 वें दिन पहली बार हमारे देश के प्रधानमंत्री की चुप्पी टूटी। उन्होंने पहली बार मणिपुर के संबंध में कहा कि मेरा हदय हदय क्रोध से भर गया है। देश शर्मसार हुआ। दोषियों को छोड़ेंगे नहीं। यह घटना 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार करने वाली है। मैं मुख्यमंत्रियों से अपील करता हूँ कि अपने-अपने राज्यों में कानून व्यवस्था मजबूत करें।
प्रधानमंत्री का इस घटना के संबंध में भावुक होना स्वभाविक है, किन्तु यहाँ प्रश्न यह उठता है कि यह वीडियो 4 मई का है। 13 मई को घटना की एफआईआर दर्ज की गई। इसके बावजूद दोषियों पर कार्रवाई 19 जुलाई तक क्यों नहीं की गई ? 19 जुलाई को घटना का वीडियो सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और प्रधानमंत्री के बयान के बाद ही 24 घंटे के अंदर 4 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। घटना के ढाई महीने तक पुलिस क्या सोई रही ? और मुख्यमंत्री का यह कहना है कि ऐसे हजारों केस पड़े हैं। यह शर्मनाक, दुःखद और आश्चर्यजनक है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और प्रधानमंत्री के पहली बार दिए गए बयान के बाद मुख्यमंत्री चैते। इसे क्या कहा जायेगा ?
मणिपुर में मुख्य रूप से मैतेई और कुकी समुदाय निवास करते है। मणिपुर की जातीय हिंसा के ढाई महीने के दौरान सरकारी मालखाने से 3 हजार बन्दूकें और 6 लाख गोलियाँ लूट ली गई। यह आज तारीख तक पुलिस क्यों नहीं ले पाई ? 60 हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। वे सब भगवान भरोसे कैसे-तैसे जीवन यापन कर रहे हंै। 10 हजार से ज्यादा आमजन पड़ोसी राज्यों में जाने को मजबूर हो गए। हिंसा की 5 हजार घटनाओं को लेकर 6 हजार एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इसमें पुलिस ने अब तक क्या किया ? दुखद यहाँ यह भी है कि मणिपुर में रोज 100 एफआईआर हो रही है। इनमें से एक तिहाई महिलाओं के उत्पीड़न के प्रकरण है। पुलिस केवल 147 लोगों को ही गिरफ्तार करने में सफल हो पाई है। इसे क्या माना जाए ?
मणिपुर की जातीय हिंसा का सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि पुलिस के जवान भी दो घड़ों में स्पष्ट रूप से बँट गए। राज्य के पुलिस जवान अपने हथियारों के साथ अपने - अपने समुदाय के सशस्त्र संगठनों के साथ चले गए। इनमें से कई लोग आधुनिक हथियारों को भी ले गए। आश्चर्यजनक बात यह भी हैै कि मणिपुर में जगह-जगह कुकी समुदाय और मैतेई समुदाय ने अपने- अपने बंकर बना लिए है। और दूसरे समुदाय के लोगों पर निगाह रख रहे हैं। वे अपने-अपने संगठनों पर मोर्चों पर हाईटेक हथियारों के साथ 24 घंटे दूसरे समुदाय पर निगरानी रख रहे हैं। इन बंकरों के फोटो मीडिया में आ रहे हंै, किन्तु आश्चर्यजनक बात यह है कि मुख्यमंत्री और पुलिस को नहीं दिखाई दे रहे हैं ?
पिछले ढाई महीने से मणिपुर के 37 लाख लोग डर के साये में जी रहे हैं। अब सबसे ज्यादा जरूरत इस राज्य में शांति की है। जातीय हिंसा को सद्भावना से ही मिटाया जा सकता है। इसकी पहल केन्द्र सरकार को ही करनी चाहिए। सबसे पहले आज राज्य के मुख्यमंत्री को तत्काल बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की सख्त आवश्यकता है। इसके बाद पूरे राज्य में एक साथ कफ्र्यू लगा दिया जाए। कफ्र्यू के साये में कुकी और मैतेई समुदाय ने जितने भी बंकर बनाए हैं, उन्हें नेस्तनाबूत कर दिया जाए। घर- घर की तलाशी ली जाकर सभी प्रकार के हथियारों का जब्त किया जाए। राहत शिविरों में मुलभूत सुविधाओं की माकूल व्यवस्था की जाए। राज्य के सभी राजनीतिक दलों की सामूहिक बैठक बुलाकर उनसेें राज्य में शांति स्थापना की अपील की जाए और उनका फील्ड में सक्रीय सहयोग लेकर शांति स्थापित करने के सतत प्रयास किए जाए। यह प्रयास तब तक जारी रहें, जब तक कि राज्य में पूर्ण शांति स्थापित नहीं हो जाए। इस कार्य में दोनों समुदाय के संवेदनशील गणमान्य नागरिकों का भी सहयोग अवश्य लिया जाए, ताकि वह शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। आज देश में सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि मणिपुर में शांति स्थापित हो और इसके लिए केन्द्र सरकार को हर संभव प्रयास करना ही चाहिए।
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