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राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी,बात यहां से शुरू करते हैं...


अरविंद तिवारी,वरिष्ठ पत्रकार

योजना दिल्ली वाले बनाएंगे, क्रियान्वयन मध्यप्रदेश के नेता करेंगे 

भाजपा में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर परिदृश्य साफ हो गया। चुनाव कैसे लड़ा जाएगा, कौन किस भूमिका में रहेगा, किसको टिकट देना है, किसका टिकट काटना है, यह सब अब दिल्ली से तय होगा। दिल्ली यानि मोदी, शाह और नड्डा के साथ ही शिवप्रकाश जायसवाल, अजय जामवाल, मुरलीधर राव, भूपेन्द्र यादव और अश्विनी वैष्णव। दिल्ली जो तय करेगी उसे मैदान में अमल में लाने की जिम्मेदारी मध्यप्रदेश के नेताओं की रहेगी। इसमें भी एक बात साफ है, इस बार मध्यप्रदेश में पार्टी सिर्फ शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा के भरोसे रहने वाली नहीं है। नरेंद्र सिंह तोमर तो अहम भूमिका में आ ही गए हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह और फग्गनसिंह कुलस्ते की भी इस बार के चुनाव में बड़ी भूमिका रहना है। 

मीडिया मैनेजमेंट और प्लानिंग रहेगा वैष्णव के जिम्मे

नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में किसकी क्या भूमिका रहेगी, यह दो-चार दिन में तय हो जाएगा। लेकिन यह तय सा है कि दिल्ली से भोपाल भेजे गए केंद्रीय रेल एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के जिम्मे मीडिया मैनेजमेंट और प्लानिंग का काम रहेगा। वैष्णव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रियपात्र हैं और उन्हें यह जिम्मेदारी दिए जाने से यह स्पष्ट है कि इस काम में और किसी की चलने वाली नहीं है। चर्चा तो यह है कि जल्दी ही गुजरात की एक बड़ी टीम भोपाल आकर इस काम को हाथ में ले लेगी। यह टीम सीधे वैष्णव को रिपोर्ट करेगी। मध्यप्रदेश से इस टीम के साथ समन्वय कौन करेगा यह भी वैष्णव की पसंद पर ही तय हो पाएगा। 

अभी तो बाकी है शिवराज का मास्टर स्ट्रोक

अब इंतजार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मास्टर स्ट्रोक का है। कांग्रेस की लोक लुभावन घोषणाओं से शिवराज बेफिक्र हैं। अपने भरोसेमंद लोगों के बीच वे यह कहने से परहेज नहीं करते हैं कि थोड़ा रुको, इंतजार करो, कांग्रेस जितने भी भी लॉलीपॉप दे रही है, उन्हें मेरा मास्टर स्ट्रोक धराशायी कर देगा। शिवराज का यह मास्टर स्ट्रोक क्या होगा, इसका अंदाज भाजपा के नेता भी नहीं लगा पा रहे हैं। माना यह जा रहा है कि 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने, बिजली बिल में बड़ी छूट, ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने तथा किसानों की कर्जमाफी जैसे कमलनाथ के वचन से लोगों का ध्यान हटाने के लिए शिवराज कोई बड़ा खेल खेलेंगे। बस... थोड़ा इंतजार कीजिए।

बदले-बदले से हैं कमलनाथ इन दिनों

कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के तालमेल की चर्चा तो इन दिनों हर कांग्रेसी की जुबां पर है। इस गठबंधन से तालमेल जमाना सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया और अरुण यादव के साथ ही डॉ. गोविंद सिंह तथा अजय सिंह राहुल की मजबूरी-सा हो गया है। चर्चा एक और है और वह है कमलनाथ के बदले अंदाज की। इन दिनों वे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को बहुत समय दे रहे हैं। उनकी बातें सुन रहे हैं और जहां ठीक लग रहा है, उस पर तुरंत निर्णय भी ले रहे हैं। यही कारण है कि उनके सिविल लाइंस स्थित बंगले पर भी रोज कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ उमडऩे लगी है। अभी तो स्थिति यह है कि कमलनाथ के सामने कार्यकर्ता नेताओं पर भारी पडऩे लगे हैं। 

जावद में तीसरे की तलाश और समंदर पटेल की सक्रियता 

मध्यप्रदेश का एक बड़ा चर्चित विधानसभा क्षेत्र है जावद। नीमच जिले के इस विधानसभा क्षेत्र से सालों तक पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा विधायक रहे और इन दिनों मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा विधायक हैं। उनके सामने कांग्रेस से चुनाव लडऩे के लिए राजकुमार अहीर और सत्यनारायण पाटीदार का दावा है। अहीर जावद से ही तीन चुनाव हार चुके हैं और पाटीदार नीमच से पिछला चुनाव हारे। कमलनाथ के सर्वे में दोनों में जीत की संभावना नहीं दिख रही है। इसका फायदा किसे मिलेगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इस क्षेत्र में समंदर सिंह पटेल की सक्रियता ने अहीर और पाटीदार दोनों की नींद उड़ा रखी है। कारण आपको कुछ दिन बाद समझ आ जाएगा। 

अरुण मामा दुबई में डिटेन, इंदौर में कइयों की सांसें ऊपर-नीचे

यारी, दोस्ती के साथ ही अपनी पार्टियों के लिए अलग पहचान रखने वाले इंदौर के बड़े रियल इस्टेट और अगरबत्ती कारोबारी अरुण गोयल उर्फ अरुण मामा सालों पहले के एक कारोबारी लेन-देन के चक्कर में पिछले दिनों दुबई में डिटेन कर लिए गए। उन पर यह एक्शन वहां के अपने एक व्यवसायिक भागीदार के साथ कथित धोखाधड़ी के चलते हुआ है। उन्हें दुबई में डिटेन करने की खबर जैसे ही वायरल हुई, इंदौर में कइयों की सांसें ऊपर नीचे होने लगी। ये सब वे लोग हैं, जिनका मामा के साथ बड़ा लेन-देन था। जिन लोगों ने मामा के साथ यह लेन-देन किया था, उनमें रियल इस्टेट के कुछ बड़े कारोबारियों के साथ ही कुछ नेता और तीन-चार अफसर भी शामिल हैं। इन्हें अब मामा के वापस लौटने का इंतजार है। इनमें से कुछ तो दुबई जाकर मामा से मिल भी आए हैं।

दिल बेकरार और साहब का प्यार

इसी साल सेवानिवृत्त होने जा रहे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के प्यार की इन दिनों पुलिस मुख्यालय में बड़ी चर्चा हैं। ‌चर्चा इस बात की है कि आखिर साहब इतना मैनेजमेंट कैसे कर लेते हैं। अब प्यार और मैनेजमेंट का क्या संबंध यह भी समझ लीजिए। ‌साहब का दिल 1-2 नहीं आधा दर्जन से ज्यादा प्रेमिकाओं से लगा हुआ है। यह सब उन पर बराबरी का अधिकार जताने लगी है। ‌ ऐसे में मैनेजमेंट तो जरूरी है ना। 

चलते-चलते

एक दूसरे को फूटी आंख भी नहीं देखने वाले बुंदेलखंड के दो मंत्री इन दिनों एक-दूसरे को निपटाने के लिए जिस स्तर पर उतर आए हैं, उससे भाजपा के बड़े-बड़े दिग्गज भी भौंचक्क हैं। इनमें से एक मंत्री के बेटे पर बेहद संगीन आरोप है और दूसरे मंत्री एक समय में 'सरकार' की नाक का बाल होने के बाद इस वक्त लोकायुक्त जांच में फंसे हुए हैं। 

पटवारी चयन परीक्षा के नतीजों के बाद जो हालात बने उसके बाद सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। उनके इस कदम से फौरी तौर पर तो सरकार को राहत मिल गई, क्योंकि छात्रों का आंदोलन गति नहीं पकड़ पाया। लेकिन इन नतीजों के बाद इस परीक्षा को लेकर जो बातें सामने आ रही हैं, वह आने वाले समय में बड़ी परेशानी का कारण बन सकती हैं। देखना यह है कि किसको कितना नुकसान होता है। 

पुछल्ला 

बुंदेलखंड के एक जिले में कलेक्टर रहते हुए वहां के एक विधायक के साथ कारोबार करने वाले अफसर को आखिरकार दूसरे जिले की कलेक्टरी मिल ही गई। ये कलेक्टर जहां भी पदस्थ रहते हैं, वहां के वजनदार नेता के साथ व्यवसायिक भागीदारी कर लेते हैं और फिर माल बटोरने में कोई कसर बाकी नहीं रखते। 

बात मीडिया की 

दैनिक भास्कर में लंबी पारी खेलने के बाद सुनील सिंह बघेल अब बंसल न्यूज में एक्जीक्यूटिव एडिटर की भूमिका में आ गए हैं। 

राजधानी भोपाल के दो वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता और राजेश चतुर्वेदी इन दिनों अपने यूट्यूब चैनल के कारण बहुत चर्चा में हैं। गुप्ता पॉवर गैलरी विद दिनेश गुप्ता और चतुर्वेदी एक बात कही चैनल के माध्यम से बेहद सक्रिय हैं। इनके शो बहुत पसंद किए जा रहे हैं और इन्हें अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का एक और स्थापित नाम, बेहद शांत सौम्य और शालीन दीपक यादव अब पत्रकारिता को अलविदा कह रिलायंस जिओ में मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन हेड की भूमिका में आ गए हैं। दीपक अभी इंदौर में IBC 24 के ब्यूरो चीफ थे।

पत्रिका इंदौर की रिपोर्टिंग टीम में दो नए रिपोर्टरों ने आमद दे दी है। लंबे समय तक नईदुनिया में सेवाएं देने वाले अश्विनी बक्षी और पत्रिका के धार ब्यूरो में प्रभारी रहे अमित मंडलोई अब इंदौर में पत्रिका की रिपोर्टिंग टीम में काम करेंगे। 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तेजतर्रार रिपोर्टर राकेश चतुर्वेदी एक बार फिर बंसल न्यूज की टीम का हिस्सा हो गए हैं। राकेश अभी न्यूज 24 में सेवाएं दे रहे थे। वे पहले बंसल न्यूज में लंबे समय तक रहे हैं। 

भोपाल के सांध्य अखबार सांध्य प्रकाश के दफ्तर और प्रिंटिंग प्लांट की नीलामी का नोटिस अखबारों में प्रकाशित हो गया है। यह अखबार लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है।

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