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चुनावी चटखारे,ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आए भाजपा के चुनाव प्रभारी


कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार

               अधिक मास और किसी को फले ना फले वीडी भाईसाब के लिए तो राहत भरा साबित हुआ है।अब वे अधिक (महीनों) मास तक प्रदेश अध्यक्ष पद पर रह सकेंगे।भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दिया है। वो मोशा (मोदी-शाह) जी के अत्यंत विश्वस्त हैं।उनका आना ऐसा है जैसे वो साथ में ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आए हैं जिससे प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कार्यकर्ताओं में ऊर्जा द्रुत गति से दौड़ने लग जाएगी।  जाने कितने महीनों से उन्हें हटाने की चर्चा हर रोज वैसे ही चल रही थी जैसे नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय को प्रदेश भाजपा की कमान सौंपे जाने की बातें चल रही थी।इन तीनों ने सत्ता-संगठन प्रमुख में बढ़ी दरार और प्रदेश में संगठन की असफलता का हवाला देते हुए ऐन चुनाव के कुछ महीने पहले यह दायित्व स्वीकार करने से इंकार कर दिया था।क्योंकि संगठन के जानकार तीनों नेता का मानना था कि रायता फैले किसी और की वजह से और असफलता का ठीकरा हमारे माथे क्यों फूटे।
            केंद्रीय नेतृत्व ने अपने विश्वस्त केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव को मध्यप्रदेश का चुनाव प्रभारी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को राज्य में सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। भूपेन्द्र यादव चुनावी रणनीति में माहिर माने जाते हैं। वहीं, अश्विनी आईटी एक्सपर्ट होने के साथ ही मोदी के भरोसेमंद भी हैं। गुजरात के चुनाव प्रभारी रहे भूपेन्द्र यादव ओबीसी  समुदाय से आते हैं।वे गुजरात में भी विधानसभा चुनाव के प्रभारी रह चुके हैं। यहां उनकी रणनीति के चलते प्रदेश की 182 सीटों में से भाजपा को 156 सीटें जीतने में सफलता मिली थी।230 विधायकों वाले मप्र में में से 60 विधायक ओबीसी वर्ग के और ओबीसी वर्ग के 48फीसदी वोटर्स हैं।इस वर्ग के मतदाताओं को साधने में यादव कितने सफल होते हैं यह वक्त बताएगा। 

*एमपी में का बा… रिलीज से पहले हुआ हिट*

सामाजिक बुराई वाले हर मुद्दे पर भोजपुरी में गीत लिखने और गाने वाली लोक गायिका नेहा राठौर ने मप्र के सीधी में हुए पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला को टारगेट कर ‘एमपी में काबा…’ कमिंग सून गीत का ट्विट किया और फंस गई। नेहा राठौर के खिलाफ भोपाल और इंदौर के थाने में भावना भड़काने, आरएसएस को बदनाम करने, दो समुदायों में विद्वेष फैलाने की धाराओं में  प्रकरण दर्ज कराया गया है।यूपी, बिहार, गुजरात और दिल्ली सरकार की ‘का बा…’ गीतों से पोल खोलने वाली नेहा राठौर के खिलाफ दो शहरों के थानों में दर्ज प्रकरण ने  मप्र में गीत गाने से पहले ही उन्हें सुपर हिट कर दिया है। 

*जब बेड़ी नहीं तो हथकड़ी कैसे *
ज्योतिरादित्य सिंधिया को जब आश्वासनों की बेड़ी भाजपा में जाने से नहीं रोक पाई तो खुद सिंधिया अपने समर्थकों को कांग्रेस में जाने से कैसे रोक सकते हैं, उन्हें हथकड़िया तो लगी नहीं है। शिवपुरी जिले के कोलारस में जाटव समाज के सम्मेलन में आए सिंधिया से मीडिया ने चुभता सवाल पूछ लिया था कि आप के साथ रहे नेता कांग्रेस में जा रहे हैं, उन्होंने संतुलित जवाब देने के साथ यह भी कहा कि राजनीतिक दल में लोग आएंगे और जाएंगे। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है इसमें कुछ नया नहीं है।पहले भी मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहे मप्र के नेता कांग्रेस छोड़ कर गए ही हैं।  

हारी हुई 103 सीटों पर भाजपा का फोकस,यहां उम्र और सिंधिया फेक्टर भारी पड़ेगा मंत्रियों को 

भाजपा नेतृत्व का फोकस प्रदेश की ऐसी 103 सीटों पर अधिक है जहां पिछले चुनाव में उसे सफलता नहीं मिली थी।इनमें से कांग्रेस को 96 और अन्य को 7 पर जीत मिली थी।रणनीतिकारों में यह आम राय बन रही है कि इन 103 सीटों पर भाजपा नए और युवा चेहरों को मौका दे।
यदि इस सलाह को नीतिगत निर्णय मान लिया जाता है तो उम्रदराज मंत्री अंतर सिंह आर्य, ललिता यादव, ओमप्रकाश धुर्वे, नारायण सिंह कुशवाह, जयभान पवैया, रुस्तम सिंह, उमाशंकर गुप्ता, अर्चना चिटनीस, शरद जैन, जयंत मलैया, बालकृष्ण पाटीदार, लाल सिंह आर्य आदि को अब शायद ही मौका मिले। एक कारण तो उम्र अधिक होना और दूसरा भारी कारण इनकी सीटों पर सिंधिया समर्थक विधायकों की दावेदारी, इनमें से कितनों को टिकट मिलेगा और कितने जीत पाएंगे यह तो सिंधिया भी नहीं बता सकते। 
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अकेले मोरवाल को 45 करोड़ का ऑफर…!

बड़नगर विधायक मुरली मोरवाल के दुष्कर्म के आरोप में घिरे पुत्र करण मोरवाल के कारण  कांग्रेस की बीते वर्षों में खूब फजीहत हो चुकी है।मोरवाल को भी लग गया है कि इस बार कांग्रेस से टिकट मिलने के आसार कम ही हैं।यही सारे कारण हैं कि विधायक मोरवाल को अचानक याद आया और वह अब यह कहने लगे हैं कि भाजपा ने उन्हें 45 करोड़ केश के साथ ही राज्यमंत्री का पद ऑफर किया था लेकिन उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ी। मोरवाल के इस खुलासे पर कांग्रेस से ज्यादा तो सिंधिया समर्थक विधायक चौंके हैं कि इन अकेले को 45 करोड़ …! सिंधिया के साथ भाजपा में थोक बंद गए विधायक में हरएक को 30-35 करोड़ दिए जाने की चर्चा सावर्जनिक हुई जरूर लेकिन इन आरोपों की भी आज तक किसी ने पुष्टि नहीं की है। 
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