संविदाकर्मियों को मुख्यमंत्री ने दी सौगातें : संविदा कल्चर को ही करें खत्म
संदीप कुलश्रेष्ठ
राज्य सरकार के समस्त 64 विभागों में अभी नियमित पदों के विरूद्ध 70 से 80 प्रतिशत कर्मचारी संविदा पर हैं। अर्थात 20 से 30 प्रतिशत कर्मचारी ही ऐसे है जो नियमित पदों पर कार्य कर रहे हैं। यह राज्य सरकार के लिए एक चुनौती भी है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में संविदाकर्मियों के लिए अनेक सौगातें दी हैं। संविदाकर्मी की शुरूआत भी शिवराज सरकार ने ही की थी। अतः मुख्यमंत्री को चाहिए कि प्रदेश से संविदा कल्चर को ही समाप्त कर दें। अभी सभी विभागों में संविदा कल्चर कायम है। उल्लेखनीय है कि संविदा पर कार्यरत सभी अधिकारी और कर्मचारियों को फिक्स वेतन मिलता है। नियमित कर्मचारियों को वेतनमान के अनुसार वेतन मिलता है।
100 प्रतिशत मिलेगा वेतन -
मुख्यमंत्री द्वारा दी गई अनेक सौगातों में एक महत्वपूर्ण सौगात यह है कि अभी कर्मचारियों को वेतन का करीब 80 से 90 प्रतिशत मिलता था। मुख्यमंत्री ने इस वेतन को बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया है। इससे संविदाकर्मियों को हर माह न्यूनतम 1 हजार रूपए की बढ़ोत्तरी की गई है। इसी प्रकार अधिकतम 7200 रूपए की बढ़ोत्तरी हुई है।
अनुबंध का झंझट खत्म -
अब संविदाकर्मियों को हर साल अपनी सेवा का अनुबंध कराने के झंझट से मुक्ति मिल गई है। पहले ये अधिकारियों की दया पर निर्भर रहते थे। अब हर साल उनके अनुबंध का नवीनीकरण नहीं होगा। संविदाकर्मी एक बार शासकीय सेवा में आ गया तो वह बिना अनुबंध नवीनीकरण के कार्य करता रहेगा।
ग्रेज्युटी की सुविधा मिलेगी -
अब संविदाकर्मियों को उनकी सेवानिवृत्ति पर ग्रेज्युटी भी मिलेगी। यह ग्रेज्युटी 3 लाख रूपए से 10 लाख रूपए तक होगी। पहले यह सुविधा नहीं थी। इस सुविधा से संविदाकर्मियों को बहुत बड़ा लाभ मिल सकेगा। सबसे बड़ी सुविधा इसमें यह रहेगी कि अब कोई संविदाकर्मी एक बार नौकरी में आया तो वह अन्य शासकीय कर्मचारी की तरह ही 62 साल तक काम करता रहेगा। सामान्यतः उसे हटाना संभव नहीं होगा। यह संविदाकर्मियों के लिए बहुत बड़ी सौगात है।
अन्य सौगातें -
प्रत्येक संविदाकर्मी को अब स्वास्थ्य बीमा के अर्न्तगत 5 लाख रूपए तक का इलाज मुफ्त मिल सकेगा। नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) के अन्तर्गत अब संविदाकर्मियों को पेंशन का लाभ भी मिलेगा। यह लाभ अन्य शासकीय कर्मचारियों के समान उन्हें भी मिलेगा।
संविदा कल्चर भी हो खत्म -
मध्यप्रदेश में संविदा कल्चर शिवराज सरकार की ही देन है। एक कर्मचारी को जितने वेतनमान में जितनी राशि मिलती है उतनी राशि में करीब 2 संविदाकर्मी रखे जा सकते हैं। पैसे बचाने के उद्देश्य से शुरू की गई यह योजना संविधान के विरूद्ध है। संविधान में यह उल्लेख है कि समान पद पर समान वेतनमान दिया जाए। संविदाकर्मियों को फिक्स वेतन मिलता है। जबकि अन्य शासकीय कर्मचारियों को वेतनमान के अनुसार वेतन मिलता है। यह बहुत बड़ी विसंगति है। मुख्यमंत्री ने जिस प्रकार संविदाकर्मियों को सौगातें दी है, वह सराहनीय तो है ही, किन्तु पर्याप्त नहीं है ! संविदाकर्मियों के साथ सही मायने में न्याय तब होगा, जब उन्हें संविदाकर्मी के पदनाम की जगह वास्तविक पद और उसका वेतनमान मिलेगा। इस विसंगति को समाप्त किया जाना भी जरूरी है। इसी को करने के बाद सही मायने में संविदाकर्मियों के साथ न्याय होगा।
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