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ये ना प्रकाशित हो पाएगी, खबर किसी अखबार में, सारी रात नर्तकी नाची, अंधों के दरबार में


कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार

••• नेहरू जी ने ट्रांजिस्टर भेंट किया और कवि बालकृष्ण शर्मा नवीन ने कविता से प्रभावित होकर पैर छू लिए थे कवि रमेश शर्मा महबूब के 
इंदौर। कबीर परंपरा के फक्कड़ कवि (स्व) रमेश शर्मा मेहबूब आपात्तकाल के दौरान लिखी अपनी गजल के इस शेर ‘यह ना प्रकाशित हो पाएगी, खबर किसी अखबार में, सारी रात नर्तकी नाची, अंधों के दरबार में… से देश भर में चर्चित हो गए थे।इससे पहले लाल किले पर सुनाई उनकी कविताओं से तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू इतने प्रभावित हुए कि उन्हें ट्रांजिस्टर भेंट किया था। 
कवि सरोज कुमार ने संस्मरण सुनाया कि मेहबूब की एक कविता से कवि बालकृष्ण नवीन इतने प्रभावित हुए कि मंच पर ही उन्होंने मेहबूब के पैर छूए और गले से लगा लिया था। 
सांघी मुक्ताकाश के मंच पर आयोजित कवि मेहबूब के काव्य संग्रह ‘रोटी हंसे’ का लोकार्पण करने कवियत्री महादेवी वर्मा और बालकवि बैरागी इंदौर आए थे।नगर निगम परिषद में टायपिस्ट कवि मेहबूब और श्याम कुमार श्याम ये दो कवि ऐसे थे जिन्होंने देश भर में काव्यपाठ कर के नगर निगम का नाम भी रोशन किया। 
इंदौर प्रेस क्लब स्थित ‘सूत्रधार’ के कविता कोना में सत्रहवें कविता पोस्टर के रूप में कवि रमेश शर्मा मेहबूब की कविताओं के पोस्टर का विमोचन वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा ने किया। विशेष मेहमान थे मेहबूब के भांजे इंदौर नगर निगम के पूर्व सभापति कैलाश शर्मा थे।
पोस्टर विमोचन पश्चात हुई काव्यगोष्ठी में कीर्ति राणा, कैलाश शर्मा, सरोज कुमार, सूर्यकांत नागर, योगेन्द्र नाथ शुक्ल, नवीन जैन ने मेहबूब जी के कई अंतरंग संस्मरण सुनाए। प्रभु त्रिवेदी, डॉ.पद्मा सिंह, अरुण ठाकरे व श्रीमती उपासना गुप्ता ने कुछ कविताओं का पाठ भी किया।मेहबूब जी की दो कविताएं उन्हीं के स्वर में भी सुनाई गई। कार्यक्रम में प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी,श्री विजय दलाल,डॉ.आभा होल्कर,श्रीमती प्रतिभा मित्तल,श्री एसएन पंचोली व ओंकार सिंह गौड़ भी उपस्थित थे।

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