चुनावी चटखारे,मुद्दे में बदलती आदिवासी युवक की संदिग्ध मौत…!
कीर्ति राणा वरिष्ठ पत्रकार ,
मालवा-निमाड़ की राजनीति में आदिवासी वोट बैंक का झुकाव जिस तरफ हो जाए उस दल के तो वारे-न्यारे। पिछले चुनाव में कांग्रेस पर विश्वास दिखाया था तो सरकार ने इन पांच सालों में टंट्या माला की प्रतिमा-उत्सव, पैसा एक्ट और न जाने कितने तरीकों से आदिवासी समाज का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आदिवासियों के बीच लंबे समय से विधायक हीरालाल असावा, कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से खफा हुए डॉ आनंद राय भी इन क्षेत्रों में सक्रिय हैं। आलीराजपुर जिले में हाल ही में एक आदिवासी युवक की हुई संदिग्ध मौत भी पुलिस अत्याचार के रूप में चुनावी मुद्दा बन जाए तो बड़ी बात नहीं। अपने काका वरसिंह के घर से छह किलो चांदी, 10 लाख नकदी चोरी की जांच के मामले में पुलिस उदासीनता पर वरसिंह के भतीजे ने थानाकर्मियों के खिलाफ सीएम हेल्प लाइन पर शिकायत कर दी थी।इस शिकायत से खफा पुलिसकर्मी उस कैलाश पुत्र चंदू को ही पूछताछ के लिए थाने ले गए।फरियादी पक्ष के इस सदस्य से पूछताछ में क्या जानकारी मिली, यह तो आज तक पता नहीं चला लेकिन अगले दिन कैलाश का शव कुए में मिला। पुलिस का कहना था वह गिरफ्त से भागने की कोशिश में कुएं में गिर गया। उसके शरीर पर चोंट के निशान कैसे आ गए इसका खुलासा तो हुआ नहीं लेकिन थाना प्रभारी सहित चार पुलिसकर्मी जरूर निलंबित करना पड़े हैं, ज्यूडिशियल जांच भी शुरु हो गई है। सरकार ने यह तत्परता आदिवासी समाज का गुस्सा ठंडा करने के लिए ही दिखाई है लेकिन यह संदिग्ध मौत सरकार विरोधियों के लिए मुद्दा बनती जा रही हैं।
यू ट्यूबर पर डॉ खरे की नजर
आदिवासी इलाकों में गौरव यात्रा की जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से पूरी करने वाले मप्र युवा आयोग के अध्यक्ष डॉ निशांत खरे का यह निजी अनुभव रहा है कि इन अंचलों में अखबार, न्यूज चैनल से अधिक स्थानीय स्तर पर यूट्यूब पर प्रसारित होने वाली खबरों का असर अधिक रहता है।
पंद्रह महीने में कमलनाथ सरकार और उसके बाद शिवराज सरकार इलेक्ट्रानिक मीडिया-खास कर वेबसाइट-यू ट्यूबर्स वाली पॉलिसी पर कोई प्रभावी निर्णय नहीं ले सकी है। डॉ निशांत खरे ने यूट्यूबर के सकारात्मक पक्ष को स्वीकारने के साथ ही कहा है इस काम में लगे पत्रकारिता पाठ्यक्रमों से जुड़े स्टूडेंट का भी उपयोग करेंगे और लंबित पॉलिसी क्यों रुकी पड़ी है यह भी समझेंगे।
मोदी को पसंद है ज्योति और उन्हें जिराती
मप्र में जब जब प्रधानमंत्री मोदी आते हैं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने साथ विमान में ले जाना याद रखते हैं।महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद वापस गए तो साथ में ज्योतिरादित्य सिंधिया को ले गए।अभी भोपाल आए तो जाते वक्त सिंधिया को साथ ले गए और पुरानी भाजपा वालों को बिना कुछ बोले सब समझा गए। इसी तरह सिंधिया जब भी इंदौर आते हैं मिलते तो सांसद से लेकर अपने समर्थकों-मंत्री से भी लेकिन पूर्व विधायक जीतू जिराती के प्रति खास स्नेह दर्शाना नहीं भूलते। इस बार भी आए तो जिराती को आवाज देकर कार में साथ बैठाया। उनका यह प्रेम बाकी नेताओं को भी समझ आता है क्योंकि जिराती ग्वालियर के संगठन प्रभारी हैं।
अंतर दूर कर पाएंगे दरबार…?
कांग्रेस से कौन लड़ेगा, सारे बड़े नेता इस सवाल पर मौन हैं।कारण सब कुछ सर्वे पर निर्भर है। लेकिन पहले विधायक रह चुके दरबार इस तरह से भिड़े हुए हैं जैसे उन्हें हरि झंडी मिल गई है।इस के बावजूद अंतर सिंह दरबार के लिए राह इतनी भी आसान नहीं है क्योंकि जिला कांग्रेस अध्यक्ष सदाशिव यादव और उनके बीच अबोले का अंतर बढ़ता जा रहा है।अभी जब इंदौर के प्रभारी जयवर्द्धन सिंह रेसीडेंसी में कार्यकर्ताओं से मिल रहे थे तब दरबार समर्थकों ने यादव के विरोध में प्रदर्शन कर डाला। इतना सब होने के बाद यादव कैसे दरबार के नाम पर सहमति देंगे।
गीता, योग के बाद अब वीर सावरकर
वीर सावरकर की भूमिका करने वाले रणदीप हुड्डा की फिल्म जब भी प्रदर्शित होगी इस पर विवाद भी संभव है। फिल्म से पहले मप्र सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में बच्चों को वीर सावरकर की जीवनी पढ़ाने का निर्णय ले लिया है।गीता और योग के बाद ऐसा करने वाला यह दूसरा प्रदेश होगा। उत्तर प्रदेश में तो सावरकर की जीवनी पहले से पढ़ाई जा रही है।
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