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राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी, भाजपा के असंतुष्टों को साधने में लगे हैं संघ के दिग्गज


अरविंद तिवारी ,वरिष्ठ पत्रकार

बात यहां से शुरू करते हैं...

कहा तो यह जा रहा है कि संघ और उसके अनुषांगिक संगठन इन दिनों भाजपा से बहुत नाराज हैं और समय-समय पर इसका इजहार भी अपने तरीके से कर देते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है। संघ के दिग्गज इन दिनों भाजपा के उन नेताओं की घेराबंदी में लगे हैं, जो अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ मुखर हैं। नाराज नेताओं को तलब कर संघ के दिग्गज उनसे वन-टू-वन बात कर रहे हैं। प्यार से भी समझाया जा रहा है और आंखे भी तरैरी जा रही है। समझाइश के इस दौर में उनकी नाराजगी का जो कारण है, उस पर भी गौर किया जा रहा है। संघ इस मामले में कितना गंभीर है, इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस काम का जिम्मा विभाग और प्रांत प्रचारक स्तर के दिग्गजों ने संभाल रखा है। 

पोस्टर पॉलिटिक्स में पर्दे के पीछे के किरदार

विधानसभा चुनाव के पहले मध्यप्रदेश में पोस्टर वार शुरू हो गया है। पहले कमलनाथ के पोस्टर लगे, फिर शिवराज सिंह चौहान के। अब तो पोस्टर की बहार आ गई है। इस पोस्टर वार के पर्दे के पीछे के किरदार कौन हैं? यह जानने में सबकी बहुत रुचि है। हकीकत तो भाजपा के स्टेट प्रेसीडेंट वीडी शर्मा और मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल और कमलनाथ के मीडिया एडवाइजर पीयूष बबेले ही बता सकते हैं। लेकिन इन पोस्टर के बहाने दोनों दलों के नेता अपने नंबर बढ़ाने में लग गए हैं। पोस्टर को आधार बनाकर जिस तरह से सोशल मीडिया पर पोस्ट पर पोस्ट चिपकाई जा रही हैं, वह नंबर बढ़ाए जाने की कवायद का ही हिस्सा है। देखते हैं किसको कितना फायदा मिलता है। 

इंदौर में सब पर भारी है चार नेताओं की चौकड़ी

राजेंद्र धारकर, श्रीवल्लभ  शर्मा, निर्भयसिंह पटेल और गोकुलदास भूतड़ा जैसे दिग्गजों की अगुवाई में आगे बढ़ी इंदौर की भाजपा मैं इन दिनों चार नेताओं का बड़ा दबदबा है। ये चार नेता हैं जयपाल सिंह चावड़ा, गौरव रणदिवे, मनोज पटेल और सावन सोनकर। इनके दबदबे के आगे बड़े-बड़े नेता पानी भरने लगे हैं। चारों की चौकड़ी जिस पर हाथ रख दे, उसका उद्धार तय माना जाता है और जिससे खफा हो जाए, उसकी फिर खैर नहीं। इनके दबदबे का अहसास सांसद शंकर लालवानी और विधायक महेंद्र हार्डिया जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी है। इसलिए कई मौके पर ये दोनों भी इनकी हां में हां मिलाने से ज्यादा कुछ कर नहीं पाते। 

विधायकों से प्रेम... दिग्गजों से दूरी... अब टूटने लगा सब्र का बांध

ग्वालियर-चम्बल के जिलों के सिंधिया समर्थकों में छटपटाहट है। कांग्रेस में सिंधिया के नाम का ठप्पा लगाकर ठप्पे से घूमने वाले नेता बीजेपी में निराश क्यों हैं? शिवपुरी जिले के दो कद्दावर नेता राकेश गुप्ता और बैजनाथ यादव अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं तब सिंधिया के कुछ निकटतम लोग इस बात के विश्लेषण में लगे हैं कि दो-दो, तीन-तीन पीढ़ी से सिंधिया परिवार के साथ राजनीति करने वालों का अब महाराज से भरोसा क्यों उठ रहा है। चर्चा तो यह है कि कमलनाथ सरकार गिराने के बाद महाराज ने सिर्फ विधायकों को तवज्जो दी, क्योंकि उन्हीं के कारण सरकार गिरी। कई ऐसे नेता जो अपने जिले में विधायक से ज्यादा प्रभाव रखते थे, वे इससे खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे हैं। इसी कारण टूट रहा है सब्र का बांध।

यहां पैसे देने के लाले, वहां स्टेबिन के गानों पर छलकते जाम और उड़ते नोट

प्रशासन और पुलिस ने 13 वर्षों में कोई पांच बार भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया। बावजूद इसके चंद छटे-छटाए भूमाफिया ना तो अपनी फितरत से बाज आ रहे और ना ही इन्हें कार्यवाही का खौफ है। तमाम कार्यवाहियों और अदालतों के समक्ष बेचारा बनकर खड़े होने वाले इन भूमाफियाओं का असली रंग उदयपुर के पांच सितारा अनन्ता रिसोर्ट में सामने आ गया। इंदौर के एक चर्चित भूमाफिया के बेटे की बेहद खर्चीली डेस्टीनेशन वेडिंग में शहर के वे सभी छटे-छटाए भूमाफिया शामिल हुए। पीडि़तों को प्लाट और पैसे देने के लिए तरसाने वाले ये तमाम भूमाफिया अनन्ता रिसोर्ट में स्टेबिन के गानों पर जाम छलकाते हुए नोट उड़ा रहे थे। 

इस बार प्रदेश को मिल सकती है दूसरी महिला मुख्य सचिव

नवंबर में जब मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का विस्तारित कार्यकाल समाप्त होगा प्तब चुनाव आचार संहिता लागू रहेगी। नए मुख्य सचिव के लिए चुनाव आयोग का अनुमोदन लगेगा लगेगा। इसका फायदा वीरा राणा को मिल सकता है क्योंकि इकबाल सिंह बैंस के बाद वरीयता सूची में जो 2 नाम है वह केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर तैनात है और उसके बाद नंबर वन पर राणा का ही नाम है। देखते हैं मौका किसे मिलता है पर फिलहाल तो आचार संहिता के बीच मुख्य सचिव की नियुक्ति ने राणा के नाम को चर्चा में तो ला दिया है।

चलते-चलते

जयवर्धन सिंह जैसे शांत, सौम्य और सबको साथ लेकर राजनीति करने में विश्वास करने वाले नेता को भी इंदौर के कांग्रेसियों ने पसीना ला दिया। अंतरसिंह दरबार और सदाशिव यादव के झगड़े में महू की बैठक टालना पड़ी। सत्यनारायण पटेल और स्वप्निल कोठारी की खींचतान में पांच नंबर की बैठक स्थगित करना पड़ी। अभी 1, 2, 3 और 4 नंबर विधानसभा क्षेत्र का नंबर आना बाकी है। 

पुछल्ला

राजनीति जो कराए वह कम है। प्रेमचंद गुड्डू ने बेटी रीना सेतिया को सांवेर से कांग्रेस के टिकट के लिए मैदान में उतारा और स्थापित कर दिया। अब जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, गुड्डू खुद आलोट से कांग्रेस के टिकट के दावेदार हो गए हैं। टिकट किसी एक को ही मिलना है। देखते हैं कौन किस पर भारी पड़ता है। 

बात मीडिया की

पत्रिका में बड़े बदलाव की आहट है। यह बदलाव जल्दी ही आकार लेगा। इस बदलाव की चपेट में कुछ बड़े नाम भी आ सकते हैं। दरअसल पत्रिका के इंदौर संस्करण से एक के बाद एक कई लोगों ने संस्थान को अलविदा कह दिया। जो लोग रिपोर्टिंग टीम में हैं उनके परफार्मेंस को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। लंबे समय तक दैनिक भास्कर की एसआईटी में सेवाएं देने वाले सुनील सिंह बघेल ने नोटिस पीरियड समाप्त होने के बाद दफ्तर जाना बंद कर दिया है। सैलरी के मुद्दे पर भास्कर छोडऩे वाले बघेल जल्द ही नई भूमिका में नजर आएंगे। पत्रिका में लंबे समय से सेवाएं दे रहे युवा पत्रकार लवीन ओव्हाल अब टीम दैनिक भास्कर का हिस्सा हो गए हैं।  लवीन हेल्ट बीट के अच्छे रिपोर्टर हैं। डिजियाना टीवी में क्राईम बीट देख रहे पलाश राठौर अब पत्रिका अखबार में सेवाएं देंगे। पलाश डिजियाना टीवी में लंबे समय से क्राईम बीट देख रहे थे।

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