सुख-समृद्घि की कामना से किया जाता है चतुर्थी व्रत
आज (23 मई) ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। मंगलवार का कारक ग्रह मंगल है। मंगल का एक नाम अंगारक भी है। इस वजह से इसे अंगारक चतुर्थी कहते हैं। ये व्रत घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनाए रखने की कामना से किया जाता है। चतुर्थी तिथि श्री गणेश की जन्म तिथि है, इस कारण इस दिन गणेश जी के लिए व्रत-उपवास करने की परंपरा है।उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चतुर्थी पर स्नान के बाद किसी गणेश मंदिर में भगवान के दर्शन करना चाहिए। दूर्वा और हार-फूल चढ़ाएं। लड्डू का भोग लगाएं। अगर मंदिर नहीं जा पा रहे हैं तो घर ही गणेश जी का पूजन करें।भगवान गणेश को सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, प्रसाद चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं। श्री गणेशाय नम: मंत्र का जप करें। गणेशजी के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें।पूजा में भगवान को दूर्वा और जनेऊ जरूर चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद अन्य भक्तों को बांटें और खुद भी लें।पूजा में गणेश जी के 12 नाम मंत्रों का जप भी करेंगे तो पूजा जल्दी सफल हो सकती है। गणेश जी के नाम मंत्र- ऊँ सुमुखाय नम:, ऊँ एकदंताय नम:, ऊँ कपिलाय नम:, ऊँ गजकर्णाय नम:, ऊँ लंबोदराय नम:, ऊँ विकटाय नम:, ऊँ विघ्ननाशाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ धूम्रकेतवे नम:, ऊँ गणाध्यक्षाय नम:, ऊँ भालचंद्राय नम:, ऊँ गजाननाय नम:।ध्यान रखें चतुर्थी व्रत में फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन किया जा सकता है।शाम को चंद्र उदय के बाद गणेश जी की पूजा करें और फिर चंद्र देव की पूजा करें। चंद्र को अर्घ्य अर्पित करें। अधिकतर लोग रात में चंद्र पूजा के बाद भोजन कर लेते हैं। इस तरह चतुर्थी व्रत पूरा होता है।
मंगल ग्रह की करें पूजा
मंगलदेव की पूजा शिवलिंग रूप में होती है। इसलिए शिवलिंग पर जल और लाल गुलाल चढ़ाएं। लाल फूलों से श्रृंगार करें। मसूर की दाल चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। इस तिथि पर की गई मंगल पूजा से कुंडली के मंगल ग्रह से जुड़े दोष शांत हो सकते हैं।मंगलवार को हनुमान जी की भी पूजा करें। दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।
चतुर्थी व्रत के दिन कौन-कौन से काम न करें
जो लोग ये व्रत कर रहे हैं, उन्हें अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। गुस्सा, लालच, ईर्ष्या न करें। किसी भी तरह के गलत कामों न करें। नशा न करें। घर-परिवार में और बाहर किसी का अनादर न करें। गणेश जी की पूजा में तुलसी का उपयोग न करें। गणेश जी को शमी के पत्ते चढ़ा सकते हैं।