ज्येष्ठ अमावस्या कल, खास उपाय और श्राद्ध से कटेंगे तीन दोष
सनातन धर्म मानने वालों के लिए अमावस्या तिथि (Jyeshtha Amavasya 2023) बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस दिन पूजा और श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा, श्राद्ध और आसान उपाय से तीन तरह के दोषों से छुटकारा मिलता है।
कब है ज्येष्ठ अमावस्या
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या शुक्रवार 19 मई को है। इस दिन शनि जयंती और वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। इसके अलावा इस दिन शोभन योग और गजकेसरी जैसे विशेष योग बन रहे हैं, जिससे यह अमावस्या खास बन गई है।
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरुआत : ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई 2023 को रात्रि 09 बजकर 44 मिनट से होगी।
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि संपन्न : ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि 19 मई 2023 को रात 09 बजकर 24 मिनट पर संपन्न हो रही है।
ज्येष्ठ अमावस्या (उदयातिथि में): 19 मई शुक्रवार 2023 को
इन दोषों से मिलता है छुटकारा
1. शनि दोषः धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ही शनि जयंती होती है। इस दिन शनि देव की पूजा करने और छाया दान करने से शनि की कृपा प्राप्त होती है। शनि जयंती पर छायादान करने से शनि दोष से छुटकारा मिलता है। शनि की महादशा, ढैया और साढ़ेसाती की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
2. पितृ दोष : हर महीने की अमावस्या तिथि पितरों के लिए खास होती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तर्पण किया जाता है। इसलिए इस दिन पिंडदान को जरूरी बताया गया है। ऐसा करने से व्यक्ति को पितृदोष से छुटकारा मिलता है। वहीं उसे सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिल जाती है। यही नहीं ऐसा करने वाले व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद मिलता है और उसको सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।
3. कालसर्प दोषः अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा का ऐसे व्यक्ति के लिए खास महत्व है, जिसकी कुंडली में कालसर्प दोष है। इस दिन कालसर्प दोष निवारण के लिए भगवान शिव की विधिवत पूजा करनी चाहिए। रुद्राभिषेक करें और किसी तीर्थ में नाग नागिन के जोड़ों की पूजा करें। फिर इन्हें नदी की धारा में प्रवाहित कर दें और प्रार्थना करें। इससे कालसर्प दोष से छुटकारा तो मिलता ही है, धन धान्य में भी वृद्धि होती है।