जानिए दुर्गा अष्टोत्तर स्तोत्र का नियमित पाठ करने के लाभ
जगत जननी मां भगवती की कृपा पाने के लिए उन्हें प्रसन्न करना सबसे जरूरी है। मां भगवती अच्छे कर्म करने वालों से शीघ्र प्रसन्न होती है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए धार्मिक ग्रंथों में दुर्गा अष्टोतर स्त्रोत का वर्णन किया गया है। दुर्गा अष्टोतर को अष्टोतर शतनामावली भी कहा जाता है। दुर्गा सप्तशती के अंतर्गत एक मंत्र है, यह स्त्रोत देवी भगवती के 108 नामों का वर्णन करता है। भगवान शिव ने इन 108 नामों की व्याख्या की है। धार्मिक ग्रंथो में उल्लेखित है कि भगवान शिव कहते हैं जो इन नामों का पाठ करता है या जो इनका मात्र श्रवण कर लेता है, भगवती दुर्गा उस व्यक्ति पर प्रसन्न होती है और उसका कल्याण करती हैं। जो व्यक्ति निश्चल मन से ध्यान करके इस स्त्रोत का नियमित पाठ करता है, वह निश्चय ही सिद्धि को प्राप्त होता है। उसके जीवन सुख-समृद्धि, खुशहाली और धन प्राप्ति होती है।
दुर्गाष्टोतर स्तोत्र
शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने ।
यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती ॥ 1॥
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी ।
आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी ॥ 2॥
पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः ।
मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चितिः ॥ 3॥
सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्द स्वरूपिणी ।