आकाश मिसाइल सिस्टम की अगुवाई कर देश का बढ़ाया मान:
मिसाइल सिस्टम को लीड करते हुए जब चेतना निकली तो पूरा कर्तव्य पथ तालियों से गूंज उठा और लोग उनके चेहरे की चमक और शौर्य की तारीफ करते नहीं थके। वुमन भास्कर से बातचीत में लेफ्टिनेंट चेतना शर्मा ने बताया कि कई बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और कोशिश करती रहीं। अपनी कोशिश में असफल होने पर वो बचपन में सुनी एक शायरी को मन ही मन दोहराती। 'कयामत तक बैठ तू धरने पर ऐ किस्मत, मैं कोशिश करने से कभी इस्तीफा नहीं दूंगी।'जनवरी 2020 में मैं अपने भाई के शादी के लिए घर गई। इस दौरान मेरा रिजल्ट आया और मेरी ऑल इंडिया रैंक 4 थी। मेरे पेरेंट्स और घरवालों की खुशी का ठिकाना नहीं था। मगर, मैंने बैठने और खुशियां मनाने के बजाए फिजिकली खुद को आर्मी के लिए तैयार करने की सोची। भाई की शादी के बाद जिम जॉइन किया। कोविड की वजह से जॉइनिंग डेट आगे खिसक गई, लेकिन मैं घर पर ही फिजिकल ट्रेनिंग करने में जुट गई।15 जून को मैंने फाइनली एकेडमी जॉइन की। आर्मी की ट्रेनिंग शुरु हुई।फिजिकल ट्रेनिंग टेस्ट में मैंने बहुत अच्छा स्कोर किया। सेकेंड टर्म में फिंगर इंजरी हो गई, लेकिन मैंने हार मानने के बजाए अपनी कोशिश जारी रखी और टेस्ट दिया। कमीशनिंग होने से एक महीने पहले तक मुझे नहीं पता था कि मैं पास होंगी या फिर 6 महीने के लिए एक्सटेंड कर दी जाऊंगी।लेकिन, कामयाबी ने मेरा हाथ थामा और मैंने अपनी मेहनत और साथियों की मदद से फिजिकल टेस्ट क्लियर कर लिया। इसके बाद मैं कमीशन होकर एयर डिफेंस रेजीमेंट में लेफ्टिनेंट के तौर पर कार्यरत हुई। यह मेरे लिए जिंदगी का पहला जश्न था।