प्रधानमंत्री जी ने जो कहा , उससे किसानों का नहीं हुआ अपमान ?
डॉ. चन्दर सोनाने
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और उनकी 2014 के बाद की भारतीय जनता पार्टी , किसी भी घटना , दुर्घटना , परिस्थिति हो या प्रतिपक्ष के किसी नेता का बयान , उसे अपने पक्ष में कर लेने में उसे महारत हासिल है ! एक बार फिर एक छोटी सी घटना या परिस्थिति को देशव्यापी समस्या बना दी गई है , जैसे देश में अब इसके सिवा कोई समस्या ही नहीं हो !
जी हाँ ! हम बात कर रहे हैं , प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा में कथित चूक की ! यह सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा के संबंध में कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता । होना भी नहीं चाहिए । उनकी सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने ही चाहिए । किन्तु हाल ही कि घटना में सुरक्षा में यदि यह कोई चूक है या थी तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ दोषी है एसपीजी ! यह सब जानते हैं कि जब भी प्रधानमंत्री जी देश या विदेश जहाँ कहीं भी जाते हैं , तो उनकी सुरक्षा की एकमेव जिम्मेदारी उनकी सुरक्षा के लिए ही तैनात एसपीजी की ही होती है ! उसकी मंजूरी के बिना कोई भी कुछ भी नहीं कर सकता ! कहा जा सकता है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता ! फिर क्या कारण था कि प्रधानमंत्री जी को 5 जनवरी को दोपहर 12 बजे हेलिकॉप्टर से फिरोजपुर के हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक पहुँचना था और उसके बाद उनकी पार्टी की ही फिरोजपुर रैली में शामिल होना था , किन्तु खराब मौसम के कारण एसपीजी ने दौरा निरस्त करने की बजाय 140 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग से प्रधानमंत्री जी को जाने की इजाजत कैसे दे दी ? कभी आपने सुना है कि देश में पहले कभी कोई प्रधानमंत्री इतने लंबे मार्ग पर सड़क मार्ग से गये हो , जबकि मौसम अनुकूल नहीं हो ? इसकी जाँच जरूर की जानी चाहिए ! और शक के घेरे में एसपीजी को भी जरूर लेना ही चाहिए !
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद पहली बार वे पंजाब के दौरे पर जा रहे थे । फिरोजपुर रैली में भाग लेने जा रहे अमृतसर , तरनतारन , जालंधर आदि कई स्थानों से निकले भाजपा कार्यकर्ताओं का किसानों ने रास्ता रोका । किसानों ने कई जगह ट्रैक्टर ट्रॉली अड़ाकर हाईवे बंद कर दिए थे। भारतीय किसान यूनियन ने बहुत पहले से ही घोषणा कर रखी थी कि जब तक किसानों की एमएसपी सहित सभी मांगें नहीं मान ली जाती है , तब तक इसी तरह विरोध जताते रहेंगे ! और अपने इसी घोषित आन्दोलन के कारण किसान मोगा - फिरोजपुर मार्ग पर प्यारेआना गांव में सड़क पर धरना दे रहे थे ! यहीं से कुछ दूरी पर स्थित फ्लाईओवर से कुछ देर इंतजार करने के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अपने काफिले के साथ बठिंडा एयरपोर्ट आये और यहाँ से दिल्ली जाने के पहले पंजाब के अधिकारियों से कहा " अपने सीएम को थैंक्स कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया । "
बस इसी बीच आगे की पटकथा लिख ली गई थी ! पाँच राज्यों उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड , पंजाब , मणिपुर और गोवा में शीघ्र ही विधानसभा के चुनाव होने वाले थे ही। इसी में एक प्रमुख राज्य पंजाब भी था । तो इसी घटना को यह कह कर तूल दे दिया गया कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में जानबूझ कर चूक की गई ! और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सोची समझी राजनैतिक रणनीति के तहत यह कहा कि सीएम को थैंक्स कहना कि मैं जिंदा लौट पाया ! किन्तु जहाँ प्रधानमंत्री जी का काफिला रुका था , वहाँ से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर किसान धरना - प्रदर्शन कर रहे थे । किसी भी किसान ने काफिले के सामने ना तो कोई प्रदर्शन किया और ना ही कोई नारेबाजी की ! और ना ही किसानों ने प्रधानमंत्री का काफिला रोका ! एसपीजी ने ही किसानों के धरना प्रदर्शन स्थल के काफी पहले ही प्रधानमंत्री जी का काफिला रोक लिया था ! तो फिर उन्हें खतरा किस बात का था ? फिर कैसे प्रधानमंत्री जी ने वह कहा जो उन्हें कभी नहीं कहना था ! क्या बिना किसी खतरे के देश के प्रधानमंत्री को यह सब कहना चाहिए था ? क्या यह सब कहना विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र के प्रधानमंत्री को शोभा देता है ? यह क्या उनके पद की गरिमा के अनुकूल है ? क्या प्रधानमंत्री जी का यह सब कहना , सोची समझी राजनीति से प्रेरित होकर और सुनियोजित ढंग से पंजाब और किसानों को बदनाम करना नहीं था ? और सारे देशवासियों को यह बताना था कि उनकी जान को खतरा है ! किन्तु उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्हें खतरा किससे है ? और कैसे है ?उनके द्वारा यह कह कर आगामी विधानसभा के चुनावों में आम मतदाताओं से मानवीय संवेदना का राजनीतिक लाभ लेना मात्र नहीं था ? प्रधानमंत्री जी ने यह सब बोल कर किसानों का अपमान नहीं किया है ?
और यहाँ एक महत्वपूर्ण बात गोदी मीडिया द्वारा लगभग गायब सी ही कर दी गई ! और वह यह थी की इस घटना के बाद ही संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेसवार्ता लेकर यह स्पष्ट कर दिया था कि वीडियो से यह स्पष्ट है की प्रदर्शनकारी किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी जी के काफिले के पास जाने की कोशिश भी नहीं की । प्रधानमंत्री की जान को खतरे वाली बात मनगढ़ंत है । और आश्चर्य की बात तो यह है कि जिससे खतरे की बात की जा रही है , उसी की बात अपवाद को छोड़कर सुनी नहीं जा रही है ! बताई नहीं जा रही है ! प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या सोशल मीडिया , कहीं भी किसान और उनके मोर्चे की बात दिखाई ही नहीं दे रही हैं ! यह सब क्या है ?
क्या यह सब संयोग भर है कि इस घटना के 24 घंटों के अंदर ही देश भर में भाजपा और उसके अन्य संगठनों द्वारा उज्जैन के महाकाल मंदिर सहित देशभर के शिव मंदिरों में महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान शुरू कर दिए गए ! यही नहीं केंद्रीय मंत्री जो जहाँ हैं , वहीं पर मंदिरों में जाकर प्रधानमंत्री के दीर्घायु की प्रार्थना करने लगे ! और राज्यों के मंत्री भी अपने - अपने राज्यों में मंदिरों में जाकर अपने प्रधानमंत्री की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करने लगे ! जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं , उन राज्यों में तो और भी सक्रियता से राज्य भर में जगह - जगह राज्य के मंत्री , सांसद , विधायक , विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री को दोषी मानकर उनके विरुद्ध मौन धरने पर बैठ गए ! इसी के साथ पंजाब कांग्रेस और उसके मुख्यमंत्री के विरोध में मशाल रैली निकाली गई और उनका पुतला दहन भी किया गया ! यह सब एक निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सुनियोजित तरीके से किये जा रहे राजनैतिक प्रयास का परिणाम नहीं है तो क्या है ? और 5 जनवरी को हुई इस घटना के तीन दिन बाद ही 8 जनवरी को चुनाव आयोग द्वारा उक्त पाँच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा भी कर दी गई है ! यह सब क्या संयोग मात्र है ? कदापि नहीं ! तो क्या प्रधानमंत्री और उनकी भारतीय जनता पार्टी को इस पूरी मशक्कत का राजनैतिक लाभ मिलेगा ? या उनका पांसा उलटा पड़ जायेगा ? अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दीबाजी होगी । तो हम करते हैं 10 मार्च का इंतजार ! इसी दिन उक्त पाँच राज्यों के चुनाव परिणाम आएँगे ! ! !
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