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मशहूर लेखक और उपन्यासकार मंजूर एहतेशाम का निधन


भोपाल । पद्मश्री सम्मान प्राप्त मशहूर लेखक और उपन्यासकार मंजूर एहतेशाम का रविवार - सोमवार की दरमियानी देर रात निधन हो गया। वे पिछले कई वर्षों से बीमार चल रहे थे और कुछ दिन पूर्व कोरोना से संक्रमित होने के बाद राजधानी के पारुल अस्पताल में भर्ती थे। उनके परिवार में सिर्फ दो बेटियां और दामाद हैं।

3 अप्रैल 1948 को भोपाल में जन्मे मंजूर एहतेशाम (73) साहित्य जगत की मशहूर शख्सियत रहे हैं। उन्होंने पांच उपन्यास समेत कई कहानियां और नाटक लिखे हैं। उन्हें साल 2003 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। इसके अलावा उन्हें भारतीय भाषा परिषद का पुरस्कार, श्रीकांत वर्मा स्मृति सम्मान, वागेश्वरी अवॉर्ड एवं पहल सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर में ही उनकी पत्नी सरवर एहतेशाम का निधन हुआ था और एक माह पूर्व उनके बड़े भाई का भी कोरोना से निधन हुआ है उन्होंने कई नाटक भी लिखे हैं। उनकी कहानियों और उपन्यासों का नाट्य रूपांतरण भी किया गया है। रविन्द्र भवन में कुछ दिन पूर्व ही उनकी कहानियों पर आधारित नाटकों का नाट्य समारोह भी आयोजित हुआ था। इनमें तस्बीह, कौम, लड़ाई समेत कई नाटक मंचित हुए थे।

1973 में उनकी पहली कहानी ‘रमजान की मौत’ प्रकाशित हुई थी। वहीं उनका पहला उपन्यास ‘कुछ दिन और’ 1976 में छपकर आया। सूखा बरगद, दास्ताने लापता, बशारत मंजिल, पहर ढलते उनके प्रमुख उपन्यास हैं वहीं वे तसबीह, तमाशा सहित अनेक कहानियों के रचयिता रहे। उनकी लेखनी समाज की विद्रूपताओं, कड़वी सच्चाई और अन्याय को बहुत प्रभावी ढ़ंग से प्रस्तुत करती थी। उनका जाना साहित्य जगह के साथ पूरे समाज के लिए गहरी क्षति है। उनकी पुस्तक दस्ताने लापता का अमेरिका के एक प्रोफेसर ने अंग्रेजी में अनुवाद किया था। स्टोरी ऑफ मिसिंग मेन नामक यह किताब पूरे विश्व में सराही गई है। मंजूर जी हिंदी, इंग्लिश और उर्दू भाषा के अच्छे जानकार थे। कवि और लेखक राजेश जोशी और मध्यप्रदेश के पूर्व डीजीपी दिनेश चन्द्र जुगरान ने निधन पर गहरा दुख प्रकट किया है।

 

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