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SBI की इकोरैप रिपोर्ट में सरकार को ऐसे कदम उठाने से बचने की सलाह दी


नई दिल्ली । कोरोना महामारी के दौरान सरकार का खर्च बढ़ा है। चर्चा है कि सरकार आमदनी बढ़ाने के लिए कोरोना सेस जैसे अतिरिक्त टैक्स के प्रावधान कर सकती है। लेकिन SBI की इकोरैप रिपोर्ट में सरकार को ऐसे कदम उठाने से बचने की सलाह दी गई है।

SBI की रिपोर्ट में अर्थशास्त्रियों ने एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में नए टैक्स नहीं लगाने की सलाह दी है। उनका कहना है कि आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार को टैक्स विवाद सुलझाने पर फोकस करना चाहिए। वित्त वर्ष 2018-19 तक लगभग 9.5 लाख करोड़ रुपए के टैक्स को लेकर विवाद चल रहा था। इसमें कॉर्पोरेट टैक्स के 4.05 लाख करोड़ रुपए, इनकम टैक्स के 3.97 लाख करोड़ रुपए और कमोडिटी तथा सर्विस टैक्स के 1.54 लाख करोड़ रुपए शामिल हैं।

खर्च बढ़ने के कारण सरकार का घाटा (फिस्कल डेफिसिट) काफी बढ़ जाएगा। महामारी के चलते सरकार को मिलने वाला रेवेन्यू भी घटा है। रेवेन्यू बजट आकलन से 3.2 लाख करोड़ रुपए कम रहने का अनुमान है, जबकि खर्च 3.3 लाख करोड़ रुपए बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए सरकार का घाटा जीडीपी के 7.4 प्रतिशत तक पहुंच सकता है, जो कम से कम पिछले एक दशक में सबसे अधिक होगा। रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष में सरकार का घाटा 14.46 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।

मौजूदा वित्त वर्ष में GDP का आकार 194.8 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है, जबकि बजट में सरकार ने अनुमान जताया था कि यह 224.9 लाख करोड़ रुपए पहुंच जाएगी। यह फिलहाल लक्ष्य से 30 लाख करोड़ रुपए कम रह सकता है। 2019-20 में GDP का आकार 204 लाख करोड़ रुपए था। यानी मार्च 2021 में GDP मार्च 2020 से भी कम होगी।

रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में देश की रियल GDP में 7.7 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है, जबकि नॉमिनल GDP 4.2 प्रतिशत फिसल सकती है। रियल जीडीपी में महंगाई को जोड़ने पर नॉमिनल जीडीपी का आंकड़ा निकलता है। बजट में इस वर्ष नॉमिनल GDP 10 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया था। वित्त वर्ष 2021-22 में नॉमिनल GDP 15 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। सरकार का घाटा भी 11.67 लाख करोड़ रुपए यानी GDP का 5.2 प्रतिशत रह सकता है।

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