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शिक्षा का उद्देश्य डिग्री प्राप्त करना नहीं


 

शिक्षा जीवन को प्रकाशवान बनाती है
विद्यार्थी जीवन में लक्ष्य बना कर आगे बढ़ने का प्रयास करें
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया 

      राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं हैं। रिजल्ट विजिटिंग कार्ड नहीं होता है। शिक्षा व्यक्ति के जीवन को प्रकाशवान बनाकर प्रेरणा देती है कि प्राप्त ज्ञान का उपयोग देश के नागरिकों का जीवन स्तर ऊँचा उठाने, जनकल्याण कर, समाज एवं राष्ट्र की चहुँमुखी प्रगति में योगदान दे। उन्होंने विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य की मंगल कामनायें और नववर्ष की शुभकामनाएं दी।

            श्रीमती पटेल आज राजभवन से ऑनलाईन महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह को ऑनलाइन संबोधित कर रही थी। श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति श्री गोपबंधु मिश्र ने भी वर्चुअल भागीदारी की।

            राज्यपाल श्रीमती पटेल ने विद्यार्थियों का आव्हन किया कि जीवन में लक्ष्य बना कर आगे बढ़ने का प्रयास करें। लक्ष्य सामर्थ्य के साथ जुड़ा होना चाहिए। जो पहुँच में हो पर पकड़ में नहीं हो। यह लक्ष्य जब पकड़ में आएगा तो नए लक्ष्य की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों में आत्मनिर्भरता का गुण विकसित करने के लिए सभी पाठ्यक्रमों के सैद्धांतिक अध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ उसके प्रायोगिक अध्ययन पर बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा प्राचीन एवं सनातन ज्ञान-विज्ञान परंपरा के संवाहक एवं विद्वान आचार्यों के जीवन तथा उनके महान ग्रंथों पर केंद्रित प्रमाणिक शोध आलेखों के लेखन कार्य की सराहना की। विश्वविद्यालय के प्रयासों से उपचारित टीबी रोगी की जानकारी पर विश्वविद्यालय की सामाजिक सरोकारों के प्रति सजगता की सराहना की। शास्त्रार्थ परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि छात्रों के व्यक्तित्व विकास तथा मानव मूल्यों से संबंधित संस्कृत में अनेक सुभाषित वाक्य विद्यमान हैं। सुभाषितो का मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने विश्वविद्यालय को सुभाषितों का संग्रह कर प्रकाशन करने के लिए कहा। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा संचालित उपाधि पाठ्यक्रम, अल्पावधि वाले पत्र उपाधि, डिप्लोमा, प्रमाण पत्र और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रमों को डिजिटल प्लेटफार्म पर विस्तारित करने के निर्देश दिए, ताकि विज्ञान, वाणिज्य और गणित आदि अन्य विषयों के विद्यार्थी डिग्री पाठ्यक्रम के साथ संस्कृत का अध्ययन कर सके। यदि व्यक्ति घर से ही अध्ययन का लाभ लेना चाहें तो, वह भी ले सकें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ऐसे शिक्षकों का निर्माण करे। जो प्राचीन सनातन ज्ञान विज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य करे। विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों में श्रेष्ठ शिक्षक निर्माण के लिए आवश्यक मूल्यपरक शिक्षा का समावेश भी किया जाये। श्रीमती पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय संस्कृत की परंपरागत शिक्षा का प्रमुख केंद्र है। अतः इसकी गुणवत्ता को वैश्विक मान्यता प्राप्त हो। इसके लिए रणनीति बनाकर कार्य किया जाए। प्रमाणन संस्थाओं नैक आदि से उच्चतम ग्रेड प्राप्त करने के प्रयास किए जाए।

           उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि श्रीमहाकालेश्वर वैदिक शोध संस्थान, को विश्वविद्यालय से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि वैदिक शोध संस्थान के संसाधनों का शोध कार्य तथा उच्च शिक्षा में उपयोग हो सके। उन्होंने संस्कृत ग्रन्थों के अनुवाद करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह महाकाल की नगरी है। श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली रही है, अत: इस विश्वविद्यालय को संस्कृत के व्यापक प्रचार-प्रसार की कार्य योजना बनाकर कार्य करना चाहिए।

    डॉ. यादव ने ज्योतिष की पुस्तकों का विमोचन करते हुए कहा कि उज्जैन ज्योतिष कालगणना की भूमि है अत: विश्वविद्यालय द्वारा किया गया ज्योतिष के ग्रन्थों का प्रकाशन प्रशंसनीय है। उन्होंने सभी उपाधिकर्ता छात्र-छात्राओं को बधाई दी। विश्वविद्यालय के विकास हेतु शासन स्तर से सभी प्रकार के सहयोग करने का आश्वासन दिया। समारोह को सांसद श्री अनिल फिरोजिया, विधायक श्री पारस जैन ने संबोधित किया। स्वागत उद्बोधन कुलपति डॉ. पंकज जानी ने दिया। उन्होंने बताया कि 9 शोधार्थियों सहित कुल 625 छात्र-छात्राओं को दीक्षांत में उपाधि प्रदान की जा रही है।

 

अजय वर्मा

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