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30 नवंबर को होगा चंद्रग्रहण, इस समय होगी शुरूआत, महिलाएं रखें ये ध्‍यान


कार्तिक पूर्णिमा, 30 नवंबर को एक ओर चंद्रग्रहण लग रहा है, वहीं इस दिन शुभ संयोग बन रहे है। जैसे सर्वार्थ सिद्धि योग व वर्धमान योग कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहे है। पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 29 नवंबर रविवार को दोपहर 12:47 बजे से होगा, जो कि 30 नवंबर दोपहर 2:59 बजे तक रहेगी। वहीं चंद्रग्रहण 30 नवंबर दोपहर 1 बजकर 04 मिनट से शुरू होगा और 30 नवंबर शाम 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। जबकि यह ग्रहण उपछाया ग्रहण है। इस ग्रहण का सूतक नहीं लगेगा। यह ग्रहण वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र में लगेगा, जिसका कोई असर नहीं होगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि उपछाया चंद्रग्रहण में न तो कोई सूतक ही लगेगा और न ही किसी प्रकार के शुद्धिकरण आदि की आवश्यकता होगी। इस दिन सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकेंगे। यह इस वर्ष (2020) का चौथा व अंतिम चंद्रग्रहण है। इससे पहले 10 जनवरी, 5 जून व 5 जुलाई को भी यह ग्रहण लग चुके हैं। अब यह साल का अंतिम चंद्रग्रहण 30 नवंबर को होगा।

ग्रहण को लेकर गर्भवती महिलाओं के लिए कुछ नियम बताए जाते हैं
उपछाया ग्रहण होने के कारण गर्भवती महिलाओं पर यूं तो कोई असर नहीं होगा, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे स्वस्थ्य शिशु पैदा हो। ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को तेज धार की वतुओं जैसे चाकू, कैंची, सूई आदि का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। मान्यता है कि इस नियम का पालन न करने पर होने वाले शिशु के किसी भी अंग को नुकसान हो सकता है।

गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बना हुआ खाना नहीं खाना चाहिए, क्योकि ग्रहण के समय पड़ने वाली हानिकारक किरणें खाने को दूषित कर देती हैं। ग्रहण से पूर्व सभी कच्चे खाने व दूध में तुलसी के पत्ते डाल दें। ग्रहण खत्म होने के बाद उन्हें निकाल दें। ऐसा करने से ग्रहण के बाद भी खाना शुद्ध रहता है। चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर के बाहर नही निकलना चाहिए, गर्भवती महिला अगर ग्रहण देख लेती है तो उसका सीधा असर उसके होने वाले बच्चे की शारीरिक और मानसिक सेहत पर पड़ता है। जन्म के बाद बच्चे के शरीर पर कोई न कोई दाग भी पड़ सकता है। ग्रहण समाप्त होने के पश्चात गर्भवती महिला को स्नान अवश्य कर लेना चाहिए, वर्ना उसके शिशु को त्वचा संबधी रोग लग सकते हैं। ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती महिला को तुलसी का पत्ता जीभ पर रखकर हनुमान चालीसा और दुर्गा स्तुति का पाठ करना चाहिए।

ग्रहण काल के दौरान पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। इसके अलावा ग्रहण के दौरान सोने से, किसी दवा का सेवन करने से और भगवान की मूर्तियों को स्पर्श करने से भी बचना चाहिए।

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