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जानें अनंत चर्तुदशी का महत्‍व


भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है. अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और अनंत चतुर्दशी का व्रत भी रखा जाता है. इस दिन दस दिवसीय गणेशोत्सव का समापन होता है. माना जाता है कि महाभारत काल में इस व्रत की शुरुआत हुई थी. जब पांडवों का राज्य छीन लिया गया था तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें ये व्रत करने की सलाह दी थी.

अनंत चतुर्दशी की महिमा
मान्यता है कि इस व्रत को 14 सालों तक लगातार करने पर विष्णु लोक की प्राप्ति होती है. इस व्रत में नमक का सेवन नहीं करते हैं. व्रत के पारायण में मीठी चीजें जैसे सेवई या खीर खाते हैं. इस दिन गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करने से जीवन की तमाम विपत्तियों से मुक्ति मिलती है. बंधन का प्रतीक सूत्र हाथ में बाँधा जाता है तथा व्रत के पारायण के समय इसको खोल दिया जाता है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा होती है. इस दिन अनंत सूत्र भी बांधा जाता है. कहते हैं जो लोग इसे अपनी कलाई पर बांधते हैं उन्हें सौभाग्य ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

14 गांठें भगवान श्री हरि के 14 लोकों की प्रतीक
इस व्रत में सूत या रेशम के धागे को कुमकुम से रंगकर उसमें चौदह गांठे लगाई जाती हैं. इसके बाद उसे विधि-विधान से पूजा के बाद कलाई पर बांधा जाता है. कलाई पर बांधे गए इस धागे को ही अनंत कहा जाता है. भगवान विष्णु का रूप 

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