इस बार दो दिनी रहेगी अनंत चतुर्दशी, किस समय करें मूर्ति विसर्जन
भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की चतुर्दशी 1 सितंबर को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। इस बार चतुर्दशी तिथि 31 अगस्त को सुबह 8 बजकर 48 मिनट से प्रारंभ होकर 1 सितंबर को सुबह 9 बजकर 38 मिनट तक रहेगी। ज्योतिषाचार्य गौरव उपाध्याय के अनुसार अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। अनंत रेशम या कपास से बना हुआ धागा होता है, जिसे रक्षासूत्र भी कहा जाता है। पुरुष अनंत को दाएं एवं महिलाएं अनंत को बाएं हाथ में बांधती है। इस दिन खीर का भोग लगाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। प्रातः 5 बजकर 59 मिनट से लेकर 9 बजकर 40 मिनट तक पूजा का मुहूर्त रहेगा। इस दिन गणेशजी का विसर्जन भी किया जाता है। इसके साथ ही गणेश उत्सव का समापन हो जाता है।
यह है अनंत चतुर्दशी की कथा
पुराणों व शास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत राजा हरिशचंद्र ने किया था। जिसके बाद उन्हें राजपाठ वापस मिला था। इसी प्रकार महाभारत काल में पांडव भी जब अपना सारा राजपाठ हार गए थे तब भगवान कृष्ण ने अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह पांडवों को दी थी। धर्मराज युधिष्ठर ने द्रोपदी व अपने भाइयों के साथ अनंत सूत्र को धारण किया था। जिससे उन्हें बाद में सारे कष्टों से मुक्ति मिली थी। अनंत को धारण करने से पहले उसकी पूजा आराधना की जाती है। सुबह भक्त स्नान आदि करने के बाद कलश की स्थापना करते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति को रखकर उनके सामने अनंत को रखें। इसमें 14 गांठे लगाए। पूजा में रोली, धूप, दीप, नैवेध, भगवान को अर्पित करें।
अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी वाले दिन भगवान गणेश का विसर्जन भी किया जाता है। मान्यता है कि 10 दिन भक्तों के घरों में विराजने के बाद गणेशजी अपने घर वापस लौट जाते हैं। अनंत चतुर्दशी वाले दिन सुबह 9 बजकर 22 मिनट से दोपहर 1 बजकर 52 मिनट तक चर, लाभ, अमृत की चौघड़िया, दोपहर 3 बजकर 22 मिनट से 4 बजकर 52मिनट तक शुभ की चौघड़िया, शाम 7 बजकर 52 मिनट से रात्रि 9 बजकर 22 मिनट तक लाभ की चौघड़िया, रात्रि 10 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 12 मिनट तक शुभ की चौघड़िया में विसर्जन करना उत्तम रहेगा।