राधाअष्टमी : सर्वार्थ-अमृत सिद्धि योग में होगी पूजा
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर बुधवार को सर्वार्थ एवं अमृत सिद्धि योग में राधा अष्टमी मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन राधा रानी का जन्म हुआ था। इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही मंदिरों में राधा अष्टमी पर विशेष आयोजन होते हैं। विशेष तौर पर मथुरा-वृंदावन और बरसाना में बड़े ही धूमधाम के साथ राधा अष्टमी मनाई जाती है, जिसमें ग्वालियर के लोग भी शामिल होने बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। हालांकि इस साल कोरोना वायरस के कारण वह उत्साह देखने को नहीं मिलेगा, जैसा हर साल रहता है। यह भी मान्यता है कि राधाजी वृंदावन की अधीश्वरी हैं, जिसने राधाजी को प्रसन्न कर लिया उनसे भगवान श्रीकृष्ण भी प्रसन्न हो जाते हैं। धर्मिक शास्त्रों में राधाजी को लक्ष्मी का अवतार भी माना गया है, इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है।
ऐसे करें राधा अष्टमी पर पूजन : सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें। एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं, उसपर राधा-कृष्ण की प्रतिमा व चित्र स्थापित करें। प्रतिमा पर फूलों की माला चढ़ाएं, चंदन का तिलक लगाएं साथ ही तुलसी के पत्ते भी अर्पित करें। राधारानी व भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें। आरती के बाद पीले रंग की मिठाई व फल चढ़ाएं।
राधा अष्टमी का महत्व : राधा अष्टमी के व्रत से पापों का नाश होता है। राधा अष्टमी का व्रत महिलाओं द्वारा व्रत रखा जाना शुभकारी माना जाता है। परिवार सुखी व समृद्ध होता है। निसंतान को संतान प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने से लक्ष्मी का वास होता है।