नागपंचमी की पूजा का शस्त्रों में है ऐसा महत्व
नाग पंचमी के दिन श्रद्धालु नाग देवता की पूजा उनको वासुकि नाग, तक्षक नाग और शेषनाग मानकर करते हैं। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से कष्टों का निवारण भी होता है। इस दिन कुछ लोग घरों में सब्जी आदि काटने से परहेज करते हैं और कुछ और रीति-रिवाजों का भी पालन करते हैं।
नाग पंचमी का महत्व
सनातन संस्कृति में नाग को देवता का दर्जा दिया गया है। भगवान शिव को प्रिय नाग है तो श्रीहरी की शय्या शेषनाग की है। यह भी मान्यता है कि शेषनाग के सिर पर पृथ्वी टिकी हुई है। सावन के महीने में नाग पंचमी मनाने का उद्देश एक यह है कि इन दिनों में बिलों में पानी भरने और उमस की वजह से नाग अपने बिलों को छोड़कर बाहर निकलते हैं। इसलिए सर्पों से रक्षा करने के लिए भी उनकी आराधना का प्रावधान है। कुंडली के दोषों को दूर करने के लिए भी नाग देवता की पूजा की जाती है। इस दिन कालसर्प दोष के निवारण के लिए नाग देवता की पूजा और रुद्राभिषेक करने का विधान है।
नाग पंचमी की पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के दरवाजे पर या पूजास्थल पर गोबर या पवित्र मिट्टी से नाग बनाएं। व्रत का संकल्प लें। नाग देवता का आह्वान कर उनको मन ही मन आमंत्रित करें। बनाए गए गए नाग को जल, फूल और चंदन का अर्घ्य दें। दूध, दही, घी, शहद और चीनी का पंचामृत बनाकर उससे नाग प्रतिमा को स्नान करवाएं। इसके बाद चंदन युक्त जल चढ़ाएं। मिठाई, मालपुए आदि का भोग लगाएं। अब प्रतिमा पर कुमकुम, अबीर, गुलाल, चंदन, फूल, बिल्वपत्र, हल्दी, मेंहदी आदि चढ़ाएं। पंचामृत, पंचमेवा, फल आदि का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें।