दुर्लभ योग में मनेगी नागपंचमी
सनातन संस्कृति में प्रकृति पूजा का बड़ा महत्व है। वृक्षों, लताओं और पौधों के साथ पशु-पक्षियों तक की पूजा की जाती है और उनको अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा माना जाता है। देवी-देवताओं की सवारी पशु-पक्षी हैं इसलिए समय-समय पर उनकी पूजा की जाती है। ऐसा ही प्रकृति के साथ नजदीकियों वाला त्यौहार नागपंचमी है। नागपंचमी का पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 25 जुलाई शनिवार को है।
इस साल नागपंचमी की पर्व उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र के प्रथम चरण के दुर्लभ योग में आ रहा है। इस योग में कालसर्प योग की शांति हेतु पूजन का विधान शास्त्रों में बतलाया गया है। ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन परिगणित और शिव नामक योग होने से नाग पूजन के लिए यह अत्यंत शुभ दिवस है। नागपंचमी को मंगल वृश्चिक लग्न में होंगे और कल्की भगवान की जयंती भी इसी दिन है। सनातन संस्कृति में नाग महादेव के गले का हार है तो भगवान विष्णु की वह शय्या है। इसलिए इस दिन नागपूजन करने से महादेव और श्रीहरी दोनों प्रसन्न होते हैं।
नाग पंचमी के शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि प्रारंभ - 24 जुलाई दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर
पूजा का मुहूर्त - 25 जुलाई, सुबह 5 बजकर 38 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट तक
पूजा की अवधि - 2 घंटे 43 मिनट
पंचमी तिथि का समापन - 25 जुलाई 12 बजकर 1 मिनट पर
नाग पंचमी के मंत्र
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
नाग गायत्री मंत्र
ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।