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हरियाली तीज : महिलाऐं करती है शिव पार्वती की पूजा



जल और हरियाली के महीने सावन मास में पर्वों की अनोखी छटा चारों और छाई हुई रहती है। प्रकृति अपना अनुपम श्रंगार इस दौरान करती है। चारों और हरियाली छाई हुई रही है और बरसात की बूंदें धरती को हरी-भरी चूनर उड़ाती है। सावन भोलेनाथ का प्रिय मास है और इस मास में आने वाले ज्यादातर त्यौहार उनको समर्पित रहते हैं। ऐसा ही प्रकृति से नजदीकियों और शिव-पार्वती की आराधना का पर्व हरियाली तीज है। इस साल हरियाली तीज 23 जुलाई गुरुवार को है।

हरियाली तीज के शुभ मुहूर्त

हरियाली तीज का आरम्भ: 22 जुलाई को शाम 7 बजकर 23 मिनट से

हरियाली तीज का समापन: 23 जुलाई को शाम 5 बजकर 4 मिनट पर

हरियाली तीज की पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन सूर्योदय के पूर्व उठ कर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। स्वच्छ वस्त्र धारण करें और तत्पश्चात भगवान के सामने पूजा और व्रत का संकल्प लें। घर को स्वच्छ कर मुख्य द्वार को सजाएं। मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान श्रीगणेश और माता पार्वती की मूर्तियों के साथ उनकी सखियों की प्रतिमाओं का भी निर्माण करें। माता पार्वती को श्रंगार की सामग्री जैसे चुड़ियां, चुनरी, मेंहदी, बिंदी आदी अर्पित करें।

उसके बाद महादेव औऱ देवी पार्वती के साथ सखियों की पूजा करें। महादेव को शिवलिंग पर जल अर्पित कर चंदन, चावल, बिल्वपत्र, फूल चढ़ाएं। भांग, धतूरे का भोग लगाएं। देवी पार्वती की कुमकुम, हल्दी, मेंहदी, गुलाल, फूल चढ़ाकर शिव, पार्वती औऱ सखियों को पंचामृत, पंचमेवा, मिठाई, फल आदि का भोग लगाएं। दीप, धूपबत्ती आदि जलाएं और आरती उतारें। हरियाली तीज व्रत का पूजन रात भर चलता है इसलिए इस दौरान महिलाएं जागरण करते हुए और भजन करती हैं। कुछ महिलाएं इस दिन अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं।

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