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कामिका एकादशी के फल से होता है जीवन के समस्‍त कष्‍टों का नाश


एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है और श्रीहरी को सृष्टि का पालनहार माना जाता है। एकादशी तिथि भगवान लक्ष्मीनारायण को अतिप्रिय है इसलिए इस दिन इनकी आराधना करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साल में सामान्यत: 24 एकादशी तिथि आती है। इसमें सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi 2020) कहा जाता है। इस साल यह एकादशी 16 जुलाई गुरुवार को है।

कामिका एकादशी - 16 जुलाई 2020, गुरुवार

एकादशी तिथि का प्रारंभ – 15 जुलाई की रात 10 बजकर 23 मिनट से

एकादशी तिथि का समापन – 16 जुलाई को रात 11 बजकर 47 मिनट पर

व्रत का पारण - 7 जुलाई को सुबह 5 बजकर 59 मिनट से 8 बजकर 10 मिनट तक

कामिका एकादशी का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) का माहात्मय बतलाया था। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से मानव जीवन के समस्त कष्टों का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके व्रत से पूर्वजन्म के पापों से भी मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इस तिथि को व्रत करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। कामिका एकादशी तिथि को उपासक भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसके द्वारा गंधर्वों और नागों की पूजा स्वत: हो जाती है।

कामिका एकादशी पूजा विधि
कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके लिए श्रीहरी की प्रतिमा है तो उसको पंचामृत और शुद्ध जल से स्नान कराकर एक पाट पर पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। या उनका चित्र स्थापित करें। भगवान लक्ष्मीनारायण को कुमकुम, अक्षत, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, चंदन, सुगंधित फूल, वस्त्र आदि समर्पित करें। दीप और धूपबत्ती प्रज्जवलित करें। ऋतुफल, पंचमेवा, पंचामृत, मिठाई आदि का भोग लगाएं और उनकी आरती उतारें। ब्राह्मणों को भोजन कराकर यथोचित दक्षिणा देकर सम्मान के साथ विदा करें। इस पूजाविधि से कामिका एकादशी के व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

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