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शुरू हुआ आषाढ़ मास, शुभ कार्यों और सेहत का रखें ख्‍याल



हिन्दू पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ का महीना है. इसी महीने से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है. इस महीने में रोगों का संक्रमण सर्वाधिक होता है. इस महीने से वातावरण में थोड़ी सी नमी आनी शुरू हो जाती है. इसे कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है. आषाढ़ मास इस बार 6 जून से 5 जुलाई तक रहेगा.

इस महीने आने वाले व्रत और त्योहार
आषाढ़ मास के पहले दिन खड़ाऊं, छाता, नमक तथा आंवले का दान किसी ब्राह्मण को किया जाता है. इसी महीने में श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा भी निकाली जाती है.

इस महीने में सूर्य और देवी की भी उपासना की जाती है. इस महीने में तंत्र और शक्ति उपासना के लिए "गुप्त नवरात्रि" भी मनाई जाती है. इसी महीने से श्री हरि विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं.

रोगों से बचाव
आषाढ़ के महीने में रोगों के फैलने का खतरा काफी ज्यादा होता है जलवायु में परिवर्तन के कारण ऐसा होता है. आषाढ़ के महीने में जल जनित बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है. इसलिए स्वच्छ जल और रसीले फलों का सेवन ज्यादा करें.

कोरोना काल में इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों को सेवन करना बहुत जरूरी हो गया है. इस महीने आपको सौंफ, हींग और नीम्बू जैसी चीजों का सेवन करना चाहिए जो इम्यूनिटी बूस्ट करने में कारगर हैं.

इसके अलावा आषाढ़ में बेल बिलकुल भी न खाएं. जहां तक हो सके तेल वाली चीजें कम खाएं. जंक फूड का त्याग करें और खाने में तेल और नमक की मात्रा भी संतुलित करें.

शुभ कार्यों पर रोक
आषाढ़ लगने के बाद अगले चार महीने शुभ कार्यों वर्जित माने जाते हैं. आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का महान उत्सव भी मनाया जाता है.

किन देवी देवताओं की उपासना करें?
आषाढ़ के महीने में सबसे ज्यादा फलदायी उपासना गुरु की होती है. इसके अलावा देवी की उपासना भी शुभ फल देती है. श्री हरि विष्णु की उपासना से भी संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है.

इस महीने में जल देव की उपासना से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है. इस महीने में मंगल और सूर्य की उपासना अवश्य करें, ताकि ऊर्जा का स्तर बना रहे.

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