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अक्षय तृतीया : अनंत गुना फलदायी होती है यह तिथि



अक्षय तृतीया को युगादी तिथि कहा जाता है। इस दिन दो युगों का प्रारंभ और एक युग का समापन हुआ था। हर कार्य का अक्षय फल देने वाली इस तिथि का शास्त्रों में काफी महत्व बतलाया गया है। इसलिए इस दिन श्रद्धालु बड़ी संख्या में पवित्र नदियों, सरोवरों और समुद्र के तटो पर इकट्ठा होकर स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन किए गए पवित्र स्नान से कष्टों का नाश होता है और समृद्धि का वास होता है। अक्षय तृतीया के दिन कुछ कार्यों को करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है, जबकि कुछ कार्यों को करने की मनाही भी इस दिन की गई है।

अक्षय तृतीया को करें यह कार्य
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन पितृों के लिए किया गया तर्पण, पिण्डदान या किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है। पितृ प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करने और भगवत पूजन से समस्त पापों का नाश हो जाता हैं। अक्षय तृतीया के दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान अक्षय फल प्रदान करता है।

यह तिथि यदि सोमवार और रोहिणी नक्षत्र में आए तो इस दिन किए गए दान, पुण्य और जप, तप का फल कई गुना बढ़ जाता है। यदि यह तिथि तृतीया मध्याह्न से पहले शुरू होकर प्रदोष काल तक रहे तो सर्वोत्तम होती है। आज के दिन भगवान सभी पापों को भी माफ कर देता है। अक्षय तृतीया के दिन हत्थाजोड़ी को सिद्ध किया जा सकता है और लक्ष्मी प्राप्ति साधना को भी संपन्न किया जा सकता है।

अक्षय तृतीया को न करें यह कार्य
अक्षय तृतीया विशेष संयोग वाली तिथि है इसलिए इस दिन स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। घर को स्वच्छ रखें और पूजाघर की सफाई अवश्य करें। स्वच्छ वस्त्र धारण कर श्रीहरी आराधना करें। इस दिन उपनयन संस्कार करने की मनाही है। मान्यता है कि ऐसे करने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पहली बार जनेऊ धारण न करे। कुछ स्थानों पर इस दिन यात्रा करना भी वर्जित माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन नया घर खरीदना तो शुभ है, लेकिन नया निर्माण कार्य आरंभ नहीं करना चाहिए। इस दिन पौधारोपण करना भी शुभ फलदायी नहीं होता है।

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