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वैशाख अमावस्‍या - ऐसे करे पूजा - विधान



सूर्य और चन्द्रमा के एक साथ होने से अमावस्या की तिथि होती है. इसमें सूर्य और चन्द्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है. यह तिथि पितरों की तिथि मानी जाती है. इसमें चन्द्रमा की शक्ति जल में प्रविष्ट हो जाती है. इस तिथि को राहु और केतु की उपासना विशेष फलदायी होती है. इस दिन दान और उपवास का विशेष महत्व होता है. इस दिन विशेष प्रयोगों से विशेष लाभ होते हैं. इस बार वैशाख की अमावस्या 22 अप्रैल, बुधवार की है.

वैशाख अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए. फिर नित्यकर्म से निवृत होकर पवित्र तीर्थ स्थलों पर स्नान करें. गंगा, यमुना आदि नदियों में स्नान का बहुत अधिक महत्व बताया जाता है. पवित्र सरोवरों में भी स्नान किया जा सकता है.

पूजन विधि
स्नान के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करें. पीपल के वृक्ष को भी जल अर्पित करना चाहिए. इस दिन चूंकि कुछ क्षेत्रों में शनि जयंती भी मनाई जाती है इसलिए शनिदेव की तेल, तिल और दीप आदि जलाकर पूजा करनी चाहिए. शनि चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं या फिर शनि मंत्रों का जाप कर सकते हैं. अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा भी अवश्य देनी चाहिए.

वैशाख अमावस्या का शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि - 22 अप्रैल 2020, बुधवार
अमावस्या प्रारम्भ - सुबह 05:37 (22 अप्रैल 2020)
अमावस्या समाप्त - सुबह 07:55 (23 अप्रैल 2020)

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