भगवान श्री विष्णु को अतिप्रिय है वैशाख मास
सनातन संस्कृति के सभी मासों में वैशाख मास को श्रेष्ठ बताया गया है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि इस मास में पूजा-पाठ और दान-पूण्य करने से अनन्त गुना फल प्राप्त होता है। वैशाख मास में गरमी अपने चरम पर होती है इसलिए इस समय स्नान और जल के उपयोग और दान का विशेष महत्व बतलाया गया है। इसके साथ ही भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं तो कुछ कार्यों का निषेध भी बतलाया गया है।
वैशाख मास में करें इन चीजों का त्याग
तैलाभ्यघ्गं दिवास्वापं तथा वै कांस्यभोजनम्।
खट्वानिद्रां गृहे स्नानं निषि(स्य च भक्षणम्।।
वैशाखे वर्जयेदष्टौ द्विभुक्तं नक्तभोजनम्।।
वैशाख मास की प्रकृति के अनुसार इस समय दिन में सोने, तेल लगाने, कांसे के बर्तन में खाना खाने, पलंग पर सोने, वर्जित खाद्य पदार्थ को खाने, रात्रि में भोजन करने और घर में स्नान, इन आठ बातों का त्याग करने को कहा है।
वैशाख मास में करें ये काम
मान्यता है कि जो व्यक्ति वैशाख मास में पद्म पत्ते पर भोजन करता है, वह सब पापों से मुक्त हो विष्णुलोक में निवास करता है। भगवान श्रीहरी की उपासना करने वाला भक्त यदि इस महीने में पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करता है तो वह पिछले तीन जन्मो के पाप से मुक्त हो जाता है। जो व्यक्ति सूर्योदय के समय किसी समुद्रगामिनी नदी में वैशाख-स्नान करता है, उसके सात जन्म के पाप उसी समय समाप्त हो जाते है।
सूर्यदेव के मेष राशि में प्रवेश करने पर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए वैशाख मास-स्नान का व्रत लेना चाहिए। स्नान के पश्चात भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। स्कंदपुराण में एक कथा का वर्णन है कि महीरथ नामक एक विलासी और राजा को सिर्फ वैशाख-स्नान से वैकुंठधाम की प्राप्ति हुई थी। वैशाख मास के देवता भगवान श्रीहरी हैं। उनसे यह प्रार्थना करनी चाहिए।
मधुसूदन देवेश वैशाखे मेषगे रवौ।
प्रातःस्नानं करिष्यामि निर्विघ्नं कुरु माधव।।
हे मधुसूदन ! हे देवेश्वर माधव ! मैं सूर्य के मेष राशि में स्थित होने पर वैशाख मास में प्रातः स्नान करूंगा, आप इसे निर्विघ्न संपन्न कीजिए।
स्नान के बादनिम्न मंत्र से सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करें-
वैशाखे मेषगे भानौ प्रातः स्नानपरायणः।
अघ्र्यं तेऽहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।
वैशाख मास में संकल्प लेकर गोदान करता है उसको सुखों की प्राप्ति होती है। पूरे मास में व्रत रखकर गोदान करने वाले को श्रीहरी की कृपा की प्राप्ति होती है। इस मास में नियमों का पालन कर भगवान विष्णु की पूजा करने वाले को धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है।