अनोखी मिसाल : अनाज बचाने के लिए ग्रामीणों ने लिए एक समय भोजन करने का फैसला
कठुआ। कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए सभी स्तर पर प्रयास हो रहे हैं। शासन-प्रशासन अपनी ओर से कदम उठा रहे हैं। वहीं जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले की बैरा बोरथैन पंचायत ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी कर ली है। यहां की पंचायत ने कोरोना वायरस के खिलाफ लंबी लड़ाई का मन बनाया है। यहां के ग्रामीणों ने एक ही समय भोजन करने का फैसला किया है। एक समय का भोजन त्यागने के पीछे ग्रामीणों का लक्ष्य है कि अनाज की बचत हो सके। हालांकि गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग और बच्चों को इससे राहत दी गई है। इतना ही नहीं पंचायत ने कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति में जिला प्रशासन को 5 हजार मास्क तैयार करके देने की घोषणा भी की है।
बैरा बोरथैन गांव के सरपंच शिवदेव सिंह ने पंचायत प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में यह फैसला लिया। पंचायत ने लॉकडाउन का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए वार्ड स्तर पर युवाओं की कमेटियां गठित की गई हैं और ये युवा ही लॉकडाउन के नियमों को अमल में लाएंगे। पंचायत ने ये भी फैसला किया है कि गांव में किसी भी बाहर के व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी और ना ही पंचायत का कोई व्यक्ति गांव से बाहर जा पाएगा।
बता दें कि पंचायत की बैठक में लोगों ने एक वक्त का खाना त्यागने का निर्णय लिया है। पंचायत ने ये भी तय किया है कि एक समय खाने की व्यवस्था गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग और बच्चों को लागू नहीं होगी। इन सभी को इससे राहत दी गई है। इस फैसले के बाद अब पूरी पंचायत में सिर्फ दो वक्त ही चूल्हा जलेगा। इससे एक वक्त का खाना बचेगा। उन्होंने जम्मू कश्मीर की सभी 4 हजार पंचायतों के प्रतिनिधियों से भी सहयोग की अपील की।
सरपंच ने कहा कि पंचायत पहले दिन से ही लॉकडाउन का पालन कर रही है और आगे भी करेगी। उन्होंने प्रधानमंत्री से लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने की भी अपील की। पंचायत में निर्णय लिया गया कि सभी सदस्य मिलजुल कर एक दूसरे की खड़ी फसलों की कटाई और उसे समेटने के काम को अंजाम देंगे।
गोमूत्र और नीम से किया जा रहा सैनिटाइज
केवल लॉकडाउन के नियमों का पालन ही नहीं, गांव में कोरोना से लड़ने के लिए लगातार दवाई का छिड़काव भी किया जा रहा है। पंचायत ने क्षेत्र से बड़े पैमाने पर गोमूत्र और नीम के पत्ते भी इकट्ठे किए हैं। इसे उबालकर हर गली और घर में छिड़काव कर उन्हें सेनेटाइज किया जा रहा है ताकि कोरोना के संक्रमण के खतरे को खत्म किया जा सके।
पंचायत कर रही फंसे लोगों की देखरेख
सरपंच ने बताया कि दूसरे राज्यों से आए करीब 32 लोग गांव में फंसे हुए हैं। उनकी राशन व भोजन की व्यवस्था पंचायत की ओर से की जा रही है। पंचायत की ओर से प्रशासन को भी मदद स्वरूप पका हुआ खाना महिला कमेटी की सदस्य उपलब्ध करवाएंगी।