इस बार पंचक में होगी चैत्र नवरात्र की शुरूआत
चैत्र नवरात्र की शुरुआत 25 मार्च से होने जा रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखें तो इस समय पंचक लगा रहेगा। बहुत सारे लोगों के मन में नवरात्रि का पंचक में शुरू होने को लेकर कई सवाल होंगे, जैसे इस दौरान पूजा करना शुभ रहेगा या नहीं! क्या आपके द्वारा की गई पूजा फलदायक होगी ? या उसका पूर्ण फल आपको मिलेगा या नहीं मिलेगा? पंचक के दौरान कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए ? यहां हम आपको बता रहे हैं नवरात्र और पंचक से जुड़ी कुछ खास बातें।
नवरात्र से पहले ही लग जाएगा पंचक
नवरात्रों की शुरुआत 25 मार्च, बुधवार से हो रही है, जबकि पांच दिनों तक चलने वाले पंचक 21 मार्च से शुरू हो जाएंगे। पंचक की शुरुआत 21 मार्च, शनिवार को धनिष्ठा नक्षत्र में प्रातः 6:20 पर होगी, और पंचक की समाप्ति 26 मार्च, गुरुवार को रेवती नक्षत्र में प्रातः 7:16 पर होगी। शनिवार से शुरू होने वाले पंचक मृत्यु पंचक कहलाते हैं। यह पंचक काफी घातक और अशुभ पंचक माना जाता है। इस साल मृत्यु पंचक में ही नवरात्रों की शुरुआत हो रही है।
पंचक शुभ या अशुभ?
पंचक एक ऐसा समय होता है, जिसे ज्योतिष में अशुभ मानते हैं। आमतौर पर पंचक को लेकर लोगों के मन में एक डर होता है कि इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। जबकि आपको पता होना चाहिए कि सभी शुभ कार्यों के लिए पंचक वर्जित नहीं होता है। नवरात्र शक्ति की आराधना का त्यौहार होता है। हम सभी जानते हैं कि नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान लोग अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं, और सच्चे मन से माँ दुर्गा की पूजा-पाठ, हवन आदि करते हैं। इतने पावन समय में पंचक मान्य नहीं होता है, इसीलिए चैत्र नवरात्रि के दौरान पूजा आदि में किसी तरह की बाधा नहीं आएगी और आप पूरी भक्ति के साथ मां दुर्गा की आराधना कर सकते हैं।
पंचक का यह होगा प्रभाव
नवरात्रि का पंचक में शुरू होने को लेकर देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ पंडित गणेश शर्मा का कहना है कि “पंचक में नवरात्रि की शुरुआत होना कोई खास बात नहीं है। लोगों को भ्रमित होने या डरने की ज़रूरत नहीं है। इस बार बुधवार से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। बुधवार का स्वामी बुध ग्रह होता है, जो वित्त और बौद्धिक क्षमता का कारक है। चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि यानि पहले नवरात्रि से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। ऐसे में इस साल लोग अपनी बुद्धि-विवेक के बल पर अच्छा धन अर्जित कर सकते हैं। एक ख़ास बात और इस साल लोग धन के प्रभाव में अधिक रहेंगे और भौतिकवादी हो जायेंगे”।
क्या होता है पंचक ?
डॉ पंडित गणेश शर्मा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पांच नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है। पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के प्रारम्भ से रेवती नक्षत्र के अंत तक का समय होता है, जिस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करना अच्छा नहीं माना जाता है।
पंचक के दौरान भूलकर भी न करें ये काम
पंचक के दौरान बेड या लकड़ी की कोई चीज़ बनवाना अच्छा नहीं माना जाता है। इसके अलावा पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय में घास, लकड़ी आदि जैसी जलने वाली वस्तुएँ इकट्ठी नहीं करते। दक्षिण दिशा में यात्रा भी इस समय में वर्जित माना जाता है, क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है। पंचक में जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, तो उस समय घर की छत नहीं बनवानी चाहिए। पंचक के दौरान शव का अंतिम संस्कार करना सही नहीं रहता।