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शनि प्रदोष व्रत : भगवान शंकर के साथ मिलती है शनि देव की कृपा



हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व माना जाता है। इस साल मार्च में पड़ने वाला प्रदोष व्रत कई मायनों में खास बताया जा रहा है। इस साल प्रदोष व्रत फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 मार्च, शनिवार को मनाया जा रहा है। शनिवार के दिन प्रदोष तिथि पड़ने से आज का प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष माना गया है। 

शनि प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त-
प्रदोष पूजा का शुभ मुहू्र्तकाल 07 मार्च को शाम 06 बजकर 29 मिनट से शुरू होगा और शाम 08 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगा।

शनि प्रदोष व्रत से होते हैं ये लाभ-
-शनि प्रदोष के दिन शनि और भगवान शंकर की एकसाथ पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
-शनि प्रदोष व पुष्य नक्षत्र के योग में शनिदेव की पूजा कर ब्राह्मणों को तेल का दान करने से भी शनि दोष में राहत मिलती है। 
-मान्यता है कि यह व्रत करने से संतान प्राप्ति में आ रही बाधा भी दूर होती है।

शनि प्रदोष व्रत में शनि ही नहीं भगवान शंकर की भी करें पूजा-
हिंजू धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने का विदान बताया गया है। लेकिन शनिवार को पड़ने वाले शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ शनिदेव  की भी पूजा करने का भी विधान है। माना जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में शनि की दशा ठीक नहीं होती उन्हें इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए। 

शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि-
-शनि प्रदोष व्रत के दिन व्रती को पूरे दिन निराहार रहना होता है। सूर्यास्त के समय सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की फूल, बेलपत्रों के साथ पूजा करनी चाहिए। इस दिन व्रती को शनि देव को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए। शनि स्तोत्र और चालीसा का पाठ करने से भी शुभ फल मिलता है।  

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