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इसलिए की जाती मॉं शीतला की पूजा, खाते ठण्‍डा खाना



शीतला माता को पौराणिक देवी माना गया है। इस दिन माता को ठंडे भोजन का भोग लगाया जाता है। इस तिथि के एक दिन पहले रात्रि को माता को चढ़ाने के लिए स्वादिष्ट भोजन और व्यंजनों को तैयार किया जाता है और दूसरे दिन ब्रह्ममुहूर्त से माता की पूजा कर उनको ठंडे भोजन का भोग लगाया जाता है। इस दिन घर के सभी सदस्य भी ठंडे भोजन का सेवन करते हैं। शीतला सप्तमी का व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष शीतला सप्तमी 15 मार्च को है।

मान्यता है कि इस दिन ठंडा खाना खाने से रोगों का नाश होता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन देवी शीतला का व्रत रखकर माता का पूजन करने से चेचक,शीतला जैसे रोग नहीं होते हैं। शीतला सप्तमी से गर्मी के मौसम की शुरूआत होती है। इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन घर में खाना पकाने से देवी शीतला नाराज होती है और उनके कोप का शिकार होना पड़ता है।

शीतला सप्तमी की तिथि

शीतला सप्तमी - 15 मार्च, रविवार 2020

सप्तमी तिथि प्रारम्भ - 15 मार्च को सुबह 4 बजकर 25 पर

सप्तमी तिथि समापन - 16 मार्च को सुबह 4 बजकर 10 मिनट पर

शीतला सप्तमी की पूजा
सुबह सूर्योदय के पूर्व स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें। माता को समर्पित करने के लिए भोग एक दिन पहले रात्रि में तैयार कर लें। माता की रोली, अक्षत, हल्दी, मेंहदी, अबीर, गुलाल, वस्थ आजजि से पूजा करें। माता को सब्जी, पूरी, पकौड़े, मीठे चावल, हलवा आदि का भोग लगाएं। इसके बाद रात्रि को बने खाने को घर के सभी सदस्य प्रसाद रूप में ग्रहण करें।

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