मंदी के चलते घट सकता है सैलेरी इंक्रीमेंट
जैसे-जैसे मार्च-अप्रैल का महीना करीब आ रहा है, सभी कर्मचारियों के मन में Salary Appraisals को लेकर उत्सुकता बढ़ती जा रही है, लेकिन एक सर्वे रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि मंदी को देखते हुए इस बार ज्यादा उम्मीद लगाना सही नहीं होगा। एओन्स सेलरी इंक्रीज सर्वे के मुताबिक, इस साल पिछले एक दशक का सबसे कम Salary Increment होगा। भारतीय कर्मचारियों के लिए यह बहुत बुरी खबर हो सकती है कि इस साल उन्हें औसतन 9.1 फीसदी ही Salary Increment मिलेगा। 2009 में कर्मचारियों को 6.6 फीसदी वेतन वृद्धि मिली थी। सर्वे में 20 से ज्यादा उद्योगों के 1000 संस्थानों के जवाब शामिल किए गए हैं।
इस साल का यह इंक्रीमेंट पिछले साल के इंक्रीमेंट से थोड़ा ही कम है। 2019 में 9.5 फीसदी तो 2018 में 9.5 फीसदी वेतन बढ़ा था। अच्छी बात यह है कि भारत में इस साल का इंक्रीमेंट अन्य एशियाई देशों से अधिक है।
सर्वे की बड़ी बातें
औसत इंक्रीमेंट में कमी जरूरी आई है, लेकिन सर्वे में शामिल 30 फीसदी कंपनियों ने माना कि वे अपनी कर्मचारियों को दोहर अंक में इंक्रीमेंट देना चाहती हैं। सबसे ज्यादा 10 फीसदी वेतन वृद्धि e-commerce और प्रोफेशनल सर्विस देने वाली कंपनियों में हो सकती है।
वहीं फार्मा, मेडिकल डिवाइस, आईटी फर्म, FMCG, कंज्युमर ड्यूरेबल, कैमिकल्स और इंजीनियरिंग और मैन्युफैक्चरिंग में भी औसत वेतन वृद्धि 9 फीसदी रह सकती है। ट्रांसपोर्टेशन एंड लॉजिस्टिक्स में 7.6 फीसदी, हॉस्पिटेलिटी एंड रेस्टोरेंट 8.2 फीसदी, रियल एस्टेट 8.3 फीसदी और ऑटोमोबाइल्स में 8.3 फीसदी इंक्रीमेंट मिल सकता है।
ऑटो सेक्टर में सबसे ज्यादा असर
ऑटो सेक्टर में इंक्रीमेंट में सबसे ज्यादा असर देखने को मिल सकता है। 2018 में यहां 10 फीसदी इंक्रीमेंट हुआ था, जो अब 8.5 फीसदी रह सकती है। आर्थिक मंदी का सबसे ज्यादा असर इसी सेक्टर पर पड़ा है। जानकारों का मानना है कि 2020 का इंक्रीमेंट का जो ट्रेंड नजर आया है, वह लंबे समय से चला आ रहा है। 2011 से इंक्रीमेंट में गिरावट देखी गई है जो अब तक जारी है।