टेलिकॉम कंपनियों पर संकट, आम आदमी पर ये होगा असर
: एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू या समायोजित सकल राजस्व यानी AGR बकाये के मामले में सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख का दूरसंचार क्षेत्र पर गहरा असर हो सकता है। इस बात का जोखिम पहले के मुकाबले बढ़ गया है कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में केवल दो ही कंपनियां बाकी रह जाएं। AGR बकाया चुकाने के आदेश पर अमल नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बेहद कड़ा रुख अपनाया। इससे खास तौर पर Vodafone Idea जैसी कंपनियों के लिए स्थिति गंभीर हो गई है। एक विश्लेषक का तो कम से कम यही मानना है। वोडाफोन ग्रुप पीएलसी के सीईओ पहले ही कह चुके हैं कि उनकी भारतीय यूनिट को यदि एजीआर के मामले में राहत नहीं मिलती है तो परिचालन मुश्किल हो जाएगा।
कंसल्टेंसी फर्म कॉम फर्स्ट के निदेशक महेश उप्पल ने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह दूरसंचार उद्योग के लिए बुरी खबर है। इससे Vodafone Idea की स्थिति विशेष तौर पर कमजोर हुई है।' उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में दो ही कंपनियों के बचे रह जाने का जोखिम पहले की तुलना में सबसे अधिक हो गया है। अभी दूरसंचार क्षेत्र में सरकारी कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के अलावा निजी क्षेत्र की तीन कंपनियां भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जिओ हैं। उप्पल ने कहा कि कंपनियों के पास किसी उपाय की कम ही गुंजाइश है, लेकिन यदि सरकार इसे लंबी अवधि की समस्या माने तो वह नीति में बदलाव पर विचार कर सकती है।
वोडाफोन आइडिया पर सबसे ज्यादा बकाया
वोडाफोन आइडिया: सर्वाधिक 28,309 करोड़ लाइसेंस फीस, 24,729 करोड़ एसयूसी के बाकी
भारती एयरटेल: लाइसेंस फीस के 21,882 करोड़ तथा एसयूसी के 13,904 करोड़ बाकी
टाटा टेलीसर्विसेज: लाइसेंस फीस की 9,987 करोड़ तथा एसयूसी की 3,836 करोड़ रुपये की देनदारी
रिलायंस जियो: एकमात्र कंपनी जो 60 करोड़ रुपये का अपना बकाया था अदा कर चुकी है।
Jio, Bharti Airtel को नहीं होगी समस्या
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक अब वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल को 17 मार्च तक 92 हजार करोड़ रुपए सरकार को चुकाने होंगे। एक रिपोर्ट में इक्विनॉमिक्स के संस्थापक एवं एमडी जी. चोक्कालिंगम ने कहा, 'भारती एयरटेल और रिलायंस जियो को कोई समस्या नहीं आएगी। लेकिन, वोडाफोन आइडिया को बाजार में बने रहने के लिए काफी संघर्ष करना होगा। यदि उन्हें परिचालन जारी रखना है तो बड़ी रकम की व्यवस्था करनी होगी।' ऐसे में दूरसंचार बाजार की प्रतिस्पर्धा मुख्य रूप से दो ही कंपनियों के बीच सिमट जाएगी। चोक्कालिंगम ने कहा कि कई देश ऐसे हैं, जहां केवल दो कंपनियां हैं, लेकिन वहां की आबादी भारत जितनी विशाल नहीं है। इस लिहाज से अपने देश के लिए ऐसी स्थिति अच्छी साबित होगी या नहीं, इस पर सरकार को सोचना है।
डीओटी ने वापस लिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से शुक्रवार को की गई तल्ख टिप्पणी के बाद दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने वह आदेश वापस ले लिया है, जिसमें कहा गया था कि यदि दूरसंचार कंपनियां समय पर एजीआर बकाये का भुगतान नहीं करती हैं तो उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसके साथ ही क्षेत्रीय कार्यालयों को आदेश दे दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर के फैसले के अनुपालन करवाने के लिए तत्काल आवश्यक कार्रवाई की जाए।
जानिए कब क्या हुआ
- सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल तक चली अदालती लड़ाई के बाद पिछले साल 24 अक्टूबर को AGR को लेकर डीओटी की परिभाषा को सही ठहराते हुए भारती एयरटेल और वोडाफोन समेत 15 टेलीकॉम कंपनियों को लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज के रूप में 1.47 लाख करोड़ रुपए की बकाया रकम 23 जनवरी तक अदा करने करने का आदेश दिया था।
- भारती एयरटेल और वोडाफोन ने कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे जनवरी में कोर्ट ने खारिज कर दिया
- टेलीकॉम कंपनियों के लिए बकाया भुगतान करने की समय-सीमा 23 जनवरी को खत्म हो गई, लेकिन उसी दिन डीओटी के एक अधिकारी ने पत्र जारी कर बकाया भुगतान नहीं करने वाली कंपनियों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश जारी कर दिया।
- 14 फरवरी की सुनवाई में बकाया देनदारी मामले में डीओटी के एक अधिकारी के पत्र पर सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार विभाग व टेलीकॉम कंपनियों को जमकर लताड़ लगाई। टेलीकॉम कंपनियों व दूरसंचार विभाग (डीओटी) के ढीले रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि अगर उसके आदेशों की इस तरह अवमानना होती है और लगता है कि देश में कानून नहीं रह गया है तो क्या कोर्ट को बंद कर दिया जाए।
- भारती एयरटेल ने एक सप्ताह के भीतर 10 हजार करोड़ रुपये देने का किया एलान, बाकी कंपनियों की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।